
ऐसा रोचक होता था बचपन डिजिटल दुनिया से पहले।
हम सभी का मन करता है कि एक बार फिर लौट चलें बचपन में। खासतौर पर तब, जब हम उम्र के उस पड़ाव में पहुँच जाते हैं,...

अतिथि देवो भव (समृद्ध ग्रामीण पारंपरिक आतिथ्य सत्कार का अनुभव)
आज मैं जब इस विषय पर चर्चा करने जा रहा हूँ तो मेंरे अंतर्मन में अनेक विचारों का आवागमन चल रहा है।कभी सोच रह...

पहले प्यार से लेकर आखिरी प्यार के भी बाद की कहानी
किस्सा है – सच्चा थोड़ा सा, अच्छा थोड़ा सा, जिंदगी के कई किस्सो की कहानी है। पहला प्यार उसे तब हो गया था ज...

काफल का पेड़
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माँ गंगा ने बुलाया है – हरिद्वार यात्रा अनुभव
मैैं यहाँ स्वयं नही आया, बल्कि माँ गंंगा ने मुझे बुुलाया था अपने सानिध्य में, अपने शुभ-आशीष और स्नेह के साथ...

पर क्या पता है तुम्हे, मुझे पता है (कविता)
हां मैं नहीं कर सकता गौर, तुम्हारी कानों की नई इयररिंग्स को। हां मै नही कह सकता हर बार, तुम्हारे दुपट्टे और ने...

घर जो छोड़ना पड़ा
चम्पानौला का तिमंजिला मकान, मेरी दिल्ली वाली बुआ के ससुराल वालों का था, और हम लोग उस मकान के पाँच कमरों मे साठ...

नींद अब आती नहीं (कविता)
दिल बहल जाता था तब, कागज के खिलौने से भी, मखमली बिस्तर में भी नींद अब आती नहीं। ख़्वाहिश पूरी हो जाती थी कभी, ब...
हम सभी का मन करता है कि एक बार फिर लौट चलें बचपन में। खासतौर पर तब, जब हम उम्र के उस पड़ाव में पहुँच जाते हैं, जब हम जीवन में वो सब प्राप्त कर चुके होतें हैं, जो हम प्राप्त करना चाहते थें। स... Read more
आज मैं जब इस विषय पर चर्चा करने जा रहा हूँ तो मेंरे अंतर्मन में अनेक विचारों का आवागमन चल रहा है।कभी सोच रहा हूँ कि प्राचीन काल में लोगों के आतिथ्य भाव का तुलनात्मक अध्ययन वर्तमान काल में... Read more
किस्सा है – सच्चा थोड़ा सा, अच्छा थोड़ा सा, जिंदगी के कई किस्सो की कहानी है। पहला प्यार उसे तब हो गया था जब वो तीसरी में पढता था। स्कूल में बस उसकी एक झलक देख लेने से ही उसका मन पढाई में... Read more
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मैैं यहाँ स्वयं नही आया, बल्कि माँ गंंगा ने मुझे बुुलाया था अपने सानिध्य में, अपने शुभ-आशीष और स्नेह के साथ। माँ पुत्र को बुलाए और पुत्र ना जाए, ऐसा भला होता है क्या? वर्ष 2018 की बात है... Read more
हां मैं नहीं कर सकता गौर, तुम्हारी कानों की नई इयररिंग्स को। हां मै नही कह सकता हर बार, तुम्हारे दुपट्टे और नेल पोलिश का कलर, हर बार होता है एक सा। हां मैं नहीं कह सकता हर बार, तुम्हारे आईला... Read more
चम्पानौला का तिमंजिला मकान, मेरी दिल्ली वाली बुआ के ससुराल वालों का था, और हम लोग उस मकान के पाँच कमरों मे साठ रुपये महीने के किरायेदार थे। बीच वाली मंजिल मे देबी बुआ, सबसे ऊप्पर सांगुड़ी जी... Read more
दिल बहल जाता था तब, कागज के खिलौने से भी, मखमली बिस्तर में भी नींद अब आती नहीं। ख़्वाहिश पूरी हो जाती थी कभी, बारिश के आ जाने से भी, बहता समुंदर भी अब इस दिल को बहला पाता नहीं। धूल की गुबार म... Read more
साल 2017 मैं अपनी कंपनी का बिजनेस बढ़ाने का कोशिश कर रहा था। हमारे पास प्रोडक्टस बहुत कम थे, हमने दो और कंपनियों का डिस्ट्रीब्यूशन ले रखा था। जिससे हमें कुछ सेल्स मिलता और हम अपने डे टुडे खर... Read more
बचपन! क्या दिन हुआ करते थे वो भी। सुबह-सुबह बिस्तर से उठकर घर की देहरी में बैठकर, मिचमिचाई आँखों को मलते हुऐ, मैं, आँगन को निहारा करता था। आँगन में चिड़ियाऐं चहचहाती थी। पेड़ों से छनती हु... Read more