कहाँ गया वो अल्मोड़ा!
आज लगभग बयालीस वर्षों के बाद अपनी जन्मभूमि अल्मोड़ा की पावन भूमि की मिट्टी को अपने माथे पर लगाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मन...
बचपन वाली गर्मियों की छुट्टियां
बचपन की यादों मे नैनीताल के साउथ वूड कोटेज की हल्की हल्की यादे अब तक साथ निभा रही हैं। बाबुजी अल्मोडा मे कार्यरत थे,...
गैर पेशेवर रिटेलर से मिला एक कड़वा अनुभव
साल 2017
मैं अपनी कंपनी का बिजनेस बढ़ाने का कोशिश कर रहा था। हमारे पास प्रोडक्टस बहुत कम थे, हमने दो और कंपनियों का डिस्ट्रीब्यूशन...
लिट्टी चोखा, समान मंगाया, घर में बनाया, पसंद भी आया पर फिर कभी दोबारा...
जनाब, सात आठ माह से पुत्र से न मिल पाने की विवशता, श्रीमतीजी का पुत्र मोह, पुत्र के रहन सहन, खाने पीने की व्यवस्था...
जंगली सुअरों से खेती को ऐसे बचाया
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के गरुड़ विकासखंड के अणां गांव के काश्तकारों ने खेतों में लगी फसलों को जंगली सुअरों से बचाने के लिए...
विदेशी धरती, अपहरणकर्ताओं के चंगुल में…
साल 2010
मैं 1 सप्ताह के लिए दार ए सलाम, तंजानिया गया हुआ था। मेरे डिस्ट्रीब्यूटर का ऑफिस इंडिया स्ट्रीट में था, लगभग 2:00 बजे...
जब की -अँधेरे में सुनसान सड़क से गुजरती लड़की की मदद की कोशिश
बात कुछ 20 वर्ष पुरानी है, अपने कॉलेज के दिनों में, एक शाम मित्र और मैं ब्राइट एंड कार्नर वापस लौट रहे थे, रात...
रात, पंक्चर साइकल में वजन और 15 किलोमीटर दूर थी मंजिल
साल 1996
मैं 12th का एग्जाम देकर एक डोर टू डोर मार्केटिंग कंपनी में सेल्समैन था। दरअसल रिजल्ट आने लगभग 2 महीने का समय था।...
एक्जाम की कॉपियाँ
आज अचानक से नजर पड़ी एक गट्ठर पर, सफ़ेद-कापियां पैरेलल रूल वाली- जिनमें लिखा होता है ‘उत्तर-पुस्तिका’। भाईसाब अपने हाई-स्कूल और इंटर के दिन...
कोहरा, झिलमिल सी बूंदे, ठंडी हवा और नैनीताल का वो सफर
बात है कुछ साल पहले की, मेरे पापा हमारे गांव से शहर हमसे और हमारे भाई बहनों से मिलने आए थे। पापा बोले कि...
पोखरा में मिले एक ड्राइवर ने कैसा व्यवहार किया!
साल 2007
मुझे 1 सप्ताह के लिए नेपाल जाना था, एक मार्केट सर्वे के लिए। अगस्त का महीना था, उत्तर बिहार बाढ़ में डूबा हुआ...
ऐसा रोचक होता था बचपन डिजिटल दुनिया से पहले।
हम सभी का मन करता है कि एक बार फिर लौट चलें बचपन में। खासतौर पर तब, जब हम उम्र के उस पड़ाव में...
अतिथि देवो भव (समृद्ध ग्रामीण पारंपरिक आतिथ्य सत्कार का अनुभव)
आज मैं जब इस विषय पर चर्चा करने जा रहा हूँ तो मेंरे अंतर्मन में अनेक विचारों का आवागमन चल रहा है।कभी सोच रहा...
काफल का पेड़
काफल का पेड़, जो मेरे घर के पीछे स्थित था।मैं तब छोटा था, अल्मोड़ा में, पनियाँउडार मुहल्ले में रहता था। वहीं था ये काफल...
माँ गंगा ने बुलाया है – हरिद्वार यात्रा अनुभव
मैैं यहाँ स्वयं नही आया, बल्कि माँ गंंगा ने मुझे बुुलाया था अपने सानिध्य में, अपने शुभ-आशीष और स्नेह के साथ। माँ पुत्र को...
पर क्या पता है तुम्हे, मुझे पता है (कविता)
हां मैं नहीं कर सकता गौर,
तुम्हारी कानों की नई इयररिंग्स को।
हां मै नही कह सकता हर बार,
तुम्हारे दुपट्टे और नेल पोलिश का कलर, हर...
घर जो छोड़ना पड़ा
चम्पानौला का तिमंजिला मकान, मेरी दिल्ली वाली बुआ के ससुराल वालों का था, और हम लोग उस मकान के पाँच कमरों मे साठ रुपये...
आँगन बचपन वाले अब कहाँ!
बचपन! क्या दिन हुआ करते थे वो भी। सुबह-सुबह बिस्तर से उठकर घर की देहरी में बैठकर, मिचमिचाई आँखों को मलते हुऐ, मैं, आँगन...
अंधेरी रात के चमकीले भूत का सच
दोस्तों मैं आज आपको कहानी बताने जा रही हूं, अंधेरी रात के चमकीले भूत की। इस कहानी में पांच-छह साल के बच्चों का ग्रुप...
वास्तविक अनुभव : कल क्या होगा कौन जान सकता है!
साल 2005
मैं एक कंपनी का झारखंड और बिहार का सेल्स देखता था। कंपनी की ऑफिस रांची और पटना दोनों जगह था। मेरा घर रांची...