
अपड़ु मुलुक अपड़ी भाषा (हिंदी – गढ़वाली कविता)
आजकल गांव से शहरों में भाग रहे हैं लोग,और सब को लगता है कि अब जाग रहे हैं लोग।अपड़ी कूड़ी पूंगड़ी छोड़ के फ्लैट म...

आसुओं को बया नही कर सकता (कविता )
आंसुओं को बंया कर नही सकता, आंसुओं को कहने का नहीं मैं वक्ता, आंसुओं का मोल नहीं गिन सकता, आंसुओं की गिनती नही...

क्या खोया क्या पाया (कविता, स्मिता पाल)
क्या खोया क्या पाया, हिसाब ये किसने है लगाया? जो भी मिल गया इस सफर में, उसे हम ने पूरे दिल से अपनाया। किसी के...

आओ नूतन वर्ष मनाएं (कविता)
आओ नूतन वर्ष मनाएं दस्तक देने लगा द्वार पर फिर से नूतन वर्ष कुछ करें नया ऐसा कि सबका हो उत्कर्ष आओ नई उमंगें ज...

पीर ये पहाड़ सी (कविता)
बरस फिर गुज़र गया तिमिर खड़ा रह गया उजास की आस थी निराश क्यों कर गया शहर शहर पसर गया साँस साँस खा गया कोविड का स...

आखिर क्यों ??? किसानों पर रचित कविता : निर्मला जोशी
बहुत भारी पड़ेगा तुम्हे किसानों के दिल से खेलना आये दिन उनके नाम पर सियासत करना ये न भूलना कभी भी कि तुम्हारी थ...
आजकल गांव से शहरों में भाग रहे हैं लोग,और सब को लगता है कि अब जाग रहे हैं लोग।अपड़ी कूड़ी पूंगड़ी छोड़ के फ्लैट में रह रहे हैं,किराए के मकान में अपड़ी कमाई फूक रहे हैं लोग। घर में जो प्रणाम बौडा... Read more
आंसुओं को बंया कर नही सकता, आंसुओं को कहने का नहीं मैं वक्ता, आंसुओं का मोल नहीं गिन सकता, आंसुओं की गिनती नहीं कर सकता, प्रेम में आंसू, सुख में आंसू, दुख में आंसू, खुशी में आंसू, आंसूओं की... Read more
क्या खोया क्या पाया, हिसाब ये किसने है लगाया? जो भी मिल गया इस सफर में, उसे हम ने पूरे दिल से अपनाया। किसी के कड़वे बोल ने, दिल का छलनी है कर डाला। किसी ने पीठ में छुरा घोंप, अपना नक़ाब हैं... Read more
आओ नूतन वर्ष मनाएं दस्तक देने लगा द्वार पर फिर से नूतन वर्ष कुछ करें नया ऐसा कि सबका हो उत्कर्ष आओ नई उमंगें जगाएं आशाओं के बंदनवारों को मन देहरी के द्वार सजाएं दिल के केनवास पर नये उछाह के... Read more
बरस फिर गुज़र गया तिमिर खड़ा रह गया उजास की आस थी निराश क्यों कर गया शहर शहर पसर गया साँस साँस खा गया कोविड का साल ये जहर जहर दे गया सनसनी मचा गया आँख हर भिगो गया जीवन की आस थी क्रूर काल बन गय... Read more
बहुत भारी पड़ेगा तुम्हे किसानों के दिल से खेलना आये दिन उनके नाम पर सियासत करना ये न भूलना कभी भी कि तुम्हारी थाली में जो रोटी है वो मेरे अन्नदाता ने हाड़ तोड़ मेहनत से उगाई है पर उसके साथ आखिर... Read more