आजकल गांव से शहरों में भाग रहे हैं लोग,और सब को लगता है कि…
Category:
Poem
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आंसुओं को बंया कर नही सकता, आंसुओं को कहने का नहीं मैं वक्ता, आंसुओं…
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क्या खोया क्या पाया, हिसाब ये किसने है लगाया? जो भी मिल गया इस…
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आओ नूतन वर्ष मनाएं दस्तक देने लगा द्वार पर फिर से नूतन वर्ष कुछ…
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बरस फिर गुज़र गया तिमिर खड़ा रह गया उजास की आस थी निराश क्यों…
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