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आखिर क्यों ??? किसानों पर रचित कविता : निर्मला जोशी

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बहुत भारी पड़ेगा तुम्हे किसानों के दिल से खेलना आये दिन उनके नाम पर सियासत करना ये न भूलना कभी भी कि तुम्हारी थाली में जो रोटी है वो मेरे अन्नदाता...

अपड़ु मुलुक अपड़ी भाषा (हिंदी – गढ़वाली कविता)

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आजकल गांव से शहरों में भाग रहे हैं लोग,और सब को लगता है कि अब जाग रहे हैं लोग।अपड़ी कूड़ी पूंगड़ी छोड़ के फ्लैट...
poem what lost what you found (1)

क्या खोया क्या पाया (कविता, स्मिता पाल)

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क्या खोया क्या पाया, हिसाब ये किसने है लगाया? जो भी मिल गया इस सफर में, उसे हम ने पूरे दिल से अपनाया। किसी के कड़वे बोल ने, दिल...
tear poem by rohit joshi

आसुओं को बया नही कर सकता (कविता )

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आंसुओं को बंया कर नही सकता, आंसुओं को कहने का नहीं मैं वक्ता, आंसुओं का मोल नहीं गिन सकता, आंसुओं की गिनती नहीं कर सकता, प्रेम...