Short, sweet and salty Life experiences
विचारों के बंधन का साथ उसने छोड़ दिया,
जब विचारों ने उसे, उसके ख़यालों में उसे तोड़ दिया।
पसीने से भीगा जो बैठा छाँव में सुखाने,
हवाओं ने भी अपना रुख मोड दिया।
नाकाम जिंदगी के ख्याल से जो गुजरा,
निराशा ने उसमें और दुख जोड़ दिया।
अरमानों भरी उसकी जिंदगी को,
रहनुमाओं ने गुब्बारे सा फोड़ दिया।
दोस्ती भरा हाथ जो बढ़ाया उसने,
हमसफर ने उसे मरोड़ दिया।
कविता को अधूरा रख, कवि ने
किरदार को मझधार में छोड़ दिया।
मित्र के साथ स्कूल से तीसरे period के बाद भाग के घर को चले आना, बरसातों के मौसम में, अलग अलग घरों से, रास्ते में आयी बेलो में लगी लौकी, ककड़ी, कद्दू को तोड़ कर फेंक देना (यहाँ साफ़ कर दूँ मकसद, चोरी का या किसी को परेशान करने का तो बिलकुल नहीं होता था, उसका उस उम्र में अपना एक थ्रिल और adventure था)…