आज मैं आपको एक कहानी सुनाने जा रही हूं। यह कहानी है रघु और प्रिया की। दोनों ही, जोश, जुनून और दृढ़ इच्छाशक्ति से परिपूर्ण है। रघु और प्रिया, दोनों ही कॉलेज में सहपाठी है। इस कहानी से हम जानेंगे कि, क्या जोश और जुनून के बल पर रघु और प्रिया, परिवार के खिलाफ होते हुए भी अपने लक्ष्य को हासिल कर पाते हैं या नहीं और एक-दूसरे का जीवन साथी बनने में भी कामयाब हो पाते हैं या नहीं? आइए जानते हैं इस कहानी के माध्यम से-
रघु और प्रिया दोनों ही बनारस के रहने वाले है। दोनों कॉलेज में साथ पढ़ते है, एक ही कक्षा में। रघु और प्रिया दोनों ही अच्छे सिंगर भी है। दोनों की दोस्ती की शुरुआत कॉलेज में ही होने वाले एक सिंगिंग कंपटीशन के दौरान हुई थी। इस कंपटीशन के बाद भी उन्होंने कॉलेज के अन्य इवेंट्स में भी अनेक गाने साथ मिलकर गाये। यहीं से उनकी जान पहचान का सिलसिला शुरू हुआ और यह सिलसिला दोस्ती से भी आगे बढ़ गया। वे दोनों एक दूसरे को जीवनसाथी बनाने का निर्णय कर चुके होते हैं। रघु, प्रिया की फैमिली को मनाने के लिए उसके घर जाता है।
लेकिन प्रिया की फैमिली राजी नहीं होती है। वहां से रघु को निराशा ही हाथ लगती है, और साथ में बेइज्जती भी मिलती है, क्योंकि प्रिया के चाचा ने प्रिया का हाथ मांगने पर रघु को थप्पड़ मारा , वह भी घर के बाहर बीच सड़क पर सभी के सामने, और प्रिया के चाचा रघु से कहते हैं कि तेरे पास क्या है? तेरी हमारे सामने कोई औकात नहीं है, हम तुझे प्रिया का हाथ कैसे दें दें!
यह सब सुनकर रघु काफी दिन तक हताश, निराश, गुमसुम सा रहने लगा। वह किसी से बात नहीं करता था। लेकिन रघु हार मानने वालों में से नहीं था। लगभग 1 महीने तक गुमसुम रहने के बाद उसने ठान लिया था कि उसे अब क्या करना है!
अब वह सोचता है कि कुछ भी हो लेकिन वह शादी प्रिया से ही करेगा। इसलिए अब वह बनारस छोड़कर दिल्ली चला आता है, और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में लग जाता है। परीक्षा की तैयारी करते-करते लगभग डेढ़ साल बीत जाते हैं और परीक्षा की तारीख भी नजदीक आ जाती है।
लेकिन पहली बार में यूपीएससी परीक्षा में रघु को निराशा ही हाथ लगती है। फिर वह थोड़ा घबराता है और सोचता है कि, मैं जो कर रहा हूं उसमें सफल हो पाऊंगा या नहीं! वह घंटों यूं ही उदास होकर खिड़की के पास बैठ कर खुद से बातें करता है। लेकिन आखिरकार वह फिर खुद को मनाता है और खुद को समझाता है की अगली बार फिर से परीक्षा दूंगा लेकिन हार नहीं मानूंगा, और फिर से बिना समय गवाएं अगले साल की परीक्षा की तैयारी में लग जाता है।
अंततः रघु दूसरी बार भी यूपीएससी की परीक्षा में पूरे जोश और जुनून के साथ शामिल होता है और इस बार उसे सफलता मिल ही जाती है। रघु लिस्ट में अपना नाम देखकर बहुत खुश होता है। वह खुशी से पूरी रात सोता नहीं है, क्योंकि खुशी से उसके आंखों की नींद उड़ चुकी होती है। वह रात भर सोचता है कि अब वह वापस गांव जाएगा और प्रिया के घरवालों से प्रिया का हाथ फिर से मांगेगा।
परीक्षा में सफलता हासिल करने के बाद वह वापस अपने गांव आता है, उसी गांव में प्रिया भी रहती है। प्रिया भी अपनी आगे की पढ़ाई पूरी कर चुकी होती है और अब वह भी कॉलेज में प्रोफेसर बन चुकी होती है। रघु को किसी तरीके से पता चलता है कि, प्रिया की अभी शादी नहीं हुई है, प्रिया भी रघु के वापस आने का इंतजार कर रही होती है।
रघु उससे कॉलेज में मिलने जाता है जिस कॉलेज में वह प्रोफेसर होती है। वह कॉलेज के बाहर ही घंटों प्रिया का इंतजार करता है लेकिन छुट्टी होने पर भी जब प्रिया उसे नहीं दिखती है तो वह प्रिया के बारे में सिक्योरिटी गार्ड से पूछता है, तब सिक्योरिटी गार्ड उसे बताता है कि प्रिया मैडम आज अब्सेंट है।
रघु अगले दिन भी कॉलेज के बाहर प्रिया का इंतजार करता है। अंततः अगले दिन रघु से प्रिया छुट्टी के बाद मिलती है, और कई सालों बाद उसे देखकर बहुत खुश होती है। रघु भी उसे देखकर खुश होता है। रघु प्रिया से कहता है कि मैं तुम्हारे घर तुम्हारा हाथ मांगने फिर से आऊंगा। यह बात सुनकर प्रिया की खुशी का ठिकाना नहीं होता है।
वैसे तो रघु के कलेक्टर बनने की खबर पूरे गांव में फैल चुकी हूं, और यह खबर प्रिया के परिवार वालों को भी मालूम होती है। तब रघु द्वारा फिर से प्रिया का हाथ मांगने पर उसके परिवार वाले कोई आपत्ति नहीं जताते हैं, और यह रिश्ता स्वीकार कर लेते हैं। रघु और प्रिया, दोनों की फैमिली खुशी खुशी इस रिश्ते को आगे बढ़ाने पर सहमति दे देती है।
लेकिन रघु को बार-बार अपना तिरस्कार याद आता है की, प्रिया के चाचा ने उसके गाल पर जो थप्पड़ मारा था। उस थप्पड़ का जवाब देने के लिए रघु, प्रिया के चाचा के सामने खड़े होकर कहता है- अब क्या कहेंगे चाचा जी बताइए, अब मेरी औकात कितनी है? इतनी तो है ना कि अब मैं प्रिया से शादी कर सकता हूं। चाचा जी की बोलती बंद हो जाती है और वह एक शब्द भी कुछ नहीं कह पाते, अंततः प्रिया और रघु एक दूसरे से शादी कर खुशी-खुशी अपना जीवन बिताते हैं।
परंतु यह सब केवल रघु के दृढ़ संकल्प, मजबूत इच्छा शक्ति और जुनून के द्वारा ही संभव हो पाया, और प्रिया ने भी रघु के वापस आने का लंबे समय तक इंतजार किया।
इस कहानी से पहली शिक्षा यह मिलती है कि, यदि आप अपना सर्वस्व, अपना पल पल का कीमती समय पूरे जुनून से अपने लक्ष्य को हासिल करने में लगा दे तो अवश्य अपना लक्ष्य हासिल कर पाएंगे और दूसरी शिक्षा यह मिलती है कि हमें किसी की परिस्थितियों को देखकर उसका मजाक नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि परिस्थितियां तो कभी भी बदल सकती है। लेकिन कड़वी बातें भुलाई नहीं जा सकती।
उम्मीद है आपको यह कहानी अच्छी लगी होगी। आपके जीवन में भी अनेक सपने होंगे, लक्ष्य होगा जिसे आप हासिल करना चाहते होंगे, तो लग जाइए अपने सपनों को पूरा करने में।
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