Home Motivation ज्यादातर भारतीय पैसे के पीछे भागने में जीवन लगा देते हैं, लेकिन खुश कैसे रहें यह नहीं जानते!

ज्यादातर भारतीय पैसे के पीछे भागने में जीवन लगा देते हैं, लेकिन खुश कैसे रहें यह नहीं जानते!

by Khajan Pandey
Fishing

एक कहानी से शुरुआत करता हूँ।

एक अमीर व्यक्ति नदी किनारे अपने आधुनिक बोट और उपकरणों की मदद से मछली पकड़ने की कोशिश में लगा हुआ था। पास ही एक और व्यक्ति मछुआरा कुछ मछलियाँ पकड़ने के बाद आराम से लेटे हुए उसे देख रहा था और मुस्कुरा रहा था। अमीर व्यक्ति बीच-बीच में उसे देखता और फिर मछली पकड़ने में लग जाता।

लगभग 1-2 घंटे बाद वह उस व्यक्ति के पास गया जो अभी भी आराम से लेटा था और कहा- ऐसे क्यों लेटे हो, मछली क्यों नहीं पकड़ते? मछुआरा – मैं आज की मछली पकड़ चुका हूँ. अमीर व्यक्ति- तो क्या हुआ और पकड़ लो. मछुआरा- नहीं मेरी आज की जरूरत पूरी हो गई अब मैं कल फिर से आऊँगा और पकडूंगा।

अमीर व्यक्ति- ज्यादा पकड़ लोगे तो तुम्हारा ही फायदा होगा।
मछुआरा- कैसे?
अमीर व्यक्ति-ज्यादा मछली पकड़ोगे तो ज्यादा पैसे आएंगे।
मछुआरा-उससे क्या होगा?
अमीर व्यक्ति झल्लाहट में- अरे! ज्यादा पैसे आएंगे तो तुम एक दिन बड़े आदमी बन जाओगे।

मछुआरा-फिर क्या होगा?
अमीर व्यक्ति- ज्यादा पैसे आएंगे तो तुम्हारे पास बड़ा घर, बड़ी नाव सब कुछ होगा और तुम सुख-चैन से जी पाओगे।
मछुआरा हँसा और बोला- तो मैं क्या कर रहा हूँ! मैं तो अभी भी सुख-चैन से ही जी रहा हूँ।
बिना किसी तनाव के आराम कर रहा हूँ।

सुख-चैन को पाने के लिए जो मुझे तुम बता रहे हो वो तो मेरे पास पहले से ही है फिर मैं क्यों अत्यधिक की लालसा में अपना सुख-चैन खराब करूँ और उठ कर चला गया। इस छोटी सी कहानी में जो असल बात छुपी हुई है वह उस व्यक्ति की खुशी से जुड़ी हुई है।

हर व्यक्ति के लिए खुशी के अलग-अलग मापदंड हैं। खुशी और आर्थिक संपन्नता दोनों अलग-अलग विषय हैं। आर्थिक रूप से सम्पन्न (अमीर) व्यक्ति के पास सभी तरह की सुविधाएं होने के बाद भी जरूरी नहीं की वह खुश हो या संतुष्ट हो। इसके विपरीत आर्थिक तौर पर सामान्य या कमजोर व्यक्ति जरूरी नहीं कि दुःखी ही हो।

हम अपने आस-पास में नज़र दौड़ाएं तो हमें इस तरह के कई उदाहरण देखने को मिल जाएंगे। इसका कतई यह मतलब नहीं कि आर्थिक तौर पर संपन्न होने की कोशिश त्याग दी जाए और उसके लिए कोशिश ही न की जाए। असल में खुशी-सुखी होना हमारे जीवन की जरूरत है और प्रत्येक व्यक्ति जाने और अनजाने इसकी चाहत में कार्य करता दिखाई देता है।

स्कूली पढ़ाई-लिखाई और उसके बाद नौकरी या व्यवसाय करना भी इसमें शामिल है। इन सब की कोशिश के बाद एक अच्छी नौकरी अथवा व्यवसाय के जरिए अच्छा भोजन, अच्छा घर समेत लगभग सभी तरह की सुविधाओं को पाया जरूर जा सकता है लेकिन इन सब को प्राप्त कर लेने के बाद भी व्यक्ति सुखी और ख़ुश रह पाएगा इसकी कोई गारण्टी नहीं।

रुपया-पैसा आपकी दैनिक आवश्यकताओं (सुविधाओं) को पूरा कर सकता है लेकिन आवश्यकता की पूर्ति के बाद भी सुखी हुए या नहीं इसको जाँचने का कोई आधार व्यक्तिगत तौर पर नहीं बन पाया है। जीवन की जरूरी आवश्यकताओं की पूर्ति के बाद ज्यादातर व्यक्ति को सुखी और संतुष्ट हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा दिखाई नहीं देता।

वैश्विक स्तर पर पिछले कई वर्षों से यू एन (यूनाइटेड नेशन) द्वारा हैप्पीनेस को अलग-अलग मापदंडों द्वारा जाँचने और उसका क्रम निर्धारित किया जाता रहा है। जो देश ज्यादा खुशहाल है उन्हें पहले के पायदान से शुरू कर अन्त तक यानि क्रम एक से लेकर एक सौ उनपचास देशों तक की एक सूची तैयार गयी है। यह आँकड़ा पिछले कई वर्षों से हर वर्ष जारी किया जाता रहा है। कुछ दिन पूर्व ही इस वर्ष का आँकड़ा प्रस्तुत किया गया।

149 देशों के आंकड़ों द्वारा तैयार इस सूची में भारत यानी हम भारतवासी 139 वें पायदान पर हैं। यह कहा जा सकता है कि विश्व के 149 देशों ( जो इन आंकड़ों में शामिल हैं) में से 138 देश के लोग हमारे देश के लोगों की अपेक्षा ज्यादा ख़ुश हैं या ख़ुशहाल हैं। दूसरे तरीके से कहें तो मात्र दस देश ही हैं जिनके मुकाबले में हम आगे हैं।

आँकड़े पूरा सच नहीं होते हैं किन्तु ये इतने कमज़ोर भी नहीं होते की इन्हें झुठलाया जा सके। ख़ुशहाली को मापने के यू एन के जो भी आधार रहे हों वैश्विक तौर पर इनकी अपनी अहमियत है। किसी भी व्यक्ति के लिए ख़ुशी एक निरन्तर चलने वाली प्रकिर्या है। सामाजिक औऱ पारिवारिक जीवन जीते हुए उतार-चढ़ाव हालांकि जीवन का हिस्सा है फिर भी मानव जीवन का अन्तिम लक्ष्य ख़ुशी, संतुष्टि, सुखी होना ही है।

भारत जैसे देश में जहाँ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया जैसे श्लोक सभी लोगो के सुखी और निरोग रहने की कामना करते हैं उस देश के लोगोंं का इस सूची में इतना अधिक पिछड़ना व्यक्तिगत औऱ व्यवस्थाओं के तौर पर एक सोचनीय विषय तो है ही।

खजान पान्डे, दन्या,अल्मोड़ा, उत्तराखंड।

You may also like

Leave a Comment

-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00