
विचारों के बंधन का साथ उसने छोड़ दिया (कविता)
विचारों के बंधन का साथ उसने छोड़ दिया, जब विचारों ने उसे, उसके ख़यालों में उसे तोड़ दिया। पसीने से भीगा जो बैठा छ...

अपड़ु मुलुक अपड़ी भाषा (हिंदी – गढ़वाली कविता)
आजकल गांव से शहरों में भाग रहे हैं लोग,और सब को लगता है कि अब जाग रहे हैं लोग।अपड़ी कूड़ी पूंगड़ी छोड़ के फ्लैट म...

अनकही बातें..(कविता निर्मला जोशी )
कह डालो, कह डालो जो कहना है बाहर निकालो पर रोक लिया अंगद के पैर से जमे हुवे संस्कारों ने और….. अनकही रह...
विचारों के बंधन का साथ उसने छोड़ दिया, जब विचारों ने उसे, उसके ख़यालों में उसे तोड़ दिया। पसीने से भीगा जो बैठा छाँव में सुखाने, हवाओं ने भी अपना रुख मोड दिया। नाकाम जिंदगी के ख्याल से जो गुजरा... Read more
आजकल गांव से शहरों में भाग रहे हैं लोग,और सब को लगता है कि अब जाग रहे हैं लोग।अपड़ी कूड़ी पूंगड़ी छोड़ के फ्लैट में रह रहे हैं,किराए के मकान में अपड़ी कमाई फूक रहे हैं लोग। घर में जो प्रणाम बौडा... Read more
कह डालो, कह डालो जो कहना है बाहर निकालो पर रोक लिया अंगद के पैर से जमे हुवे संस्कारों ने और….. अनकही रह गईं कुछ बातें उन अनकही बातों का स्वाद जब उभरता है आज तब बड़ा सुकून मिलता है अच्छा... Read more