ऋषिकेश के एक संत ने दिखाई कलाम को राह

0
163

मिसाइल मेन एपीजे अब्दुल कलम को कौन नहीं जानता ,सभी के चहते प्रेरणास्त्रोत रहे। हमारे मिसाइल मेन ने  किस तरह तमिलनाडु के शहर रामेश्वरम (Rameshvaram) के साधारण से परिवार से  मिसाइल मैन तक का सफर पूरा किया। आज लाखों-करोड़ों लोग उन्हें अपना प्रेरणा स्त्रोत मानते हैं। और उनकी बातों का अनुसरण करते हैं। लेकिन शायद आप यह नहीं जानते होंगे की अब्दुल कलाम के जीवन में भी ऐसा समय आया था जब वह टूट गये थे। और जिंदगी से निराश हो गये थे। जिंदगी को लगभग खत्म करने के इरादे में थे ।

मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से पढ़ाई खत्म करन के बाद कलाम साहब ने हिंदुस्तान ऐरोनोटिक्स लिमिटेड (HAL) में बतौर ट्रैनी काम किया उसी दौरान कलाम साहब ने दो जगह नौकरी पाने के लिए आवेदन किया था। जिसमें पहला था मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस (Ministry of Defence) दिल्ली में बतौर इंजीनियर पद पर तो वही दूसरी जगह थी एयरफोर्स (Airforce) में फाइटर पायलट की।

कलाम साहब ने दोनों जगह आवेदन तो कर दिया मगर उनकी दिल से इच्छा थी की वह एयरफोर्स में जाकर फाइटर प्लेन उड़ना चाहते थे। एयरफोर्स में जाना उनकी पहली पसंद थी।  उन्होंने मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस में इण्टरव्यू न देकर सीधे देहरादून जाकर एयर फाॅर्स का इंटरव्यू देने का निर्णय लिया।

और फिर वह देहरादून में एयरफोर्स का इण्टरव्यू देने गये। दुर्भाग्यपूर्ण उनका एयरफोर्स में सलेक्शन नहीं हो पाया जिसके बाद अब्दुल कलाम काफी निराश हो गये थे। और वह बुरी तरह टूट गये थे। वह उनकी जिंदगी का बहुत बुरा समय था। क्योकि पारिवारिक जिम्मेदारी भी उनके ऊपर थी उन्हें इस नौकरी से बहुत उम्मींदे थी ।

हताश कलाम देहरादून से सीधे ऋषिकेश चले गए वहां की एक ऊँची छोटी पर जाकर जीवन का अंत करने का सोचने लगे जब यह विचार उनके मन में हिलोरे ले रहा था तभी वहां एक तेज युक्त साधु (स्वामी शिवानंद) आते हुए उन्हें दिखाई दिए उनकी आँखों से निकलते तेज पुंज ने मानो उनके ह्रदय में जाकर उनकी मन की विचलता को शांत कर दिया हो ।

स्वामी जी (जैसे सब पहले ही जानते हो) ने उनसे बोला बालक अभी एक रास्ता बंद हुआ है । बाकि सब खुले हुए है। जाओ इस अंधकार से निकलकर आगे बड़ो ।

स्वामी जी उन्हें अपने आश्रम लाये उन्हें एक भगवतगीता की छोटी किताब और कुछ घर जाने के लिए पैसे भी दिए इस घटना ने कलाम सहाब के जीवन को बदल कर रख दिया। उन्हें अपने जीवन का लक्ष्य मिल चूका था ।

इसके बाद कलाम साहब ने किन ऊँचाइयों को छुआ आप सब जानते है ।

भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम की ये कहानी उनकी किताब “विंग्स ऑफ़ फायर” में लिखी गयी है । स्वामी जी द्वारा दी गयी गीता की किताब अब्दुल कलाम हमेशा अपने पास रखते थे।