इस बार केवल आठ दिन के होंगे चैत्र नवरात्र 2025: जानें कारण, महत्व, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्र 2025 इस बार विशेष हैं — न केवल मां दुर्गा की कृपा दृष्टि के कारण, बल्कि इसलिए भी क्योंकि यह नवरात्र नौ नहीं बल्कि आठ दिनों के होंगे। यह परिवर्तन तिथि क्षय के कारण हो रहा है, जो ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत दुर्लभ परंतु शुभ संयोग माना जा रहा है।
इस लेख में हम जानेंगे कि यह नवरात्र क्यों आठ दिन के होंगे, इसके क्या धार्मिक और ज्योतिषीय संकेत हैं, कलश स्थापना का श्रेष्ठ मुहूर्त, पूजन विधि, देवी आगमन के संकेत और जनमानस पर पड़ने वाले प्रभाव।
🔶 क्यों इस बार आठ दिन के हैं नवरात्र?
2025 के चैत्र नवरात्र 30 मार्च से 6 अप्रैल तक रहेंगे। सामान्यतः नवरात्र 9 दिन के होते हैं, लेकिन इस वर्ष तृतीया तिथि का क्षय (समापन) हो रहा है। इसका अर्थ है कि पंचांग में तृतीया की तिथि लगभग लुप्त रहेगी और उसका पृथक दिन नहीं गिना जाएगा। इसी कारण पूरे नवरात्र में केवल 8 तिथियाँ आएँगी।
📌 तिथियाँ इस प्रकार होंगी:
दिन | तिथि | देवी स्वरूप |
---|---|---|
30 मार्च | प्रतिपदा | शैलपुत्री |
31 मार्च | द्वितीया | ब्रह्मचारिणी |
01 अप्रैल | चतुर्थी (तृतीया क्षय) | चंद्रघंटा |
02 अप्रैल | पंचमी | कूष्मांडा |
03 अप्रैल | षष्ठी | स्कंदमाता |
04 अप्रैल | सप्तमी | कात्यायनी |
05 अप्रैल | अष्टमी | कालरात्रि |
06 अप्रैल | नवमी | महागौरी और सिद्धिदात्री (कन्या पूजन) |
🌺 मां दुर्गा का आगमन हाथी पर – क्या है महत्व?
इस वर्ष मां दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है, जो विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
🟢 हाथी पर आगमन का संकेत होता है:
- पर्याप्त वर्षा
- कृषक वर्ग के लिए अनुकूल समय
- जनकल्याण और सुख-शांति
- धार्मिक प्रवृत्तियों में वृद्धि
देवी के हाथी पर आगमन का उल्लेख पुराणों में भी है कि जब हाथी पर मां का प्रवेश होता है, तो वह वर्षा और धनधान्य से भरपूर वर्ष देता है।
🕉️ कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त (Ghatasthapana Muhurat)
कलश स्थापना नवरात्र का सबसे महत्वपूर्ण आरंभिक कार्य होता है।
📆 तिथि: 30 मार्च 2025
⏰ चौघड़िया मुहूर्त: सुबह 08:00 बजे से
⏰ अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:02 बजे से 12:52 बजे तक
कलश स्थापना करने के लिए एक मिट्टी का पात्र लें, उसमें जौ बोएं, जल से भरा कलश रखें, नारियल, आम के पत्ते, रोली, अक्षत आदि से सजाएं और देवी का आवाहन करें।
🧘♀️ नवरात्र पूजन विधि और नियम
नवरात्र का पर्व संयम, साधना और शक्ति उपासना का प्रतीक है। नौ रूपों की आराधना के लिए विशेष नियम पालन करें:
✅ व्रत और उपवास नियम:
- केवल फलाहार करें
- सेंधा नमक, कुट्टू या सिंघाड़े का आटा
- दिन में एक बार भोजन (निर्जल उपवास करने वाले सिर्फ फल लें)
✅ नियम:
- ब्रह्मचर्य और संयम का पालन
- रोजाना देवी मंत्रों का जाप
- दुर्गा सप्तशती का पाठ
- आरती: “जय अम्बे गौरी…”
✅ विशेष मंत्र:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
(यह बीज मंत्र नकारात्मकता को दूर करता है)
🧒 कन्या पूजन और नवमी का महत्व
इस बार अष्टमी और नवमी दोनों 5 और 6 अप्रैल को पड़ेंगी, जिससे भक्त अपनी सुविधानुसार किसी भी दिन कन्या पूजन कर सकते हैं।
कन्या पूजन में 9 कन्याओं को माता का स्वरूप मानकर आदर सहित भोजन कराना, चरण धोना और उपहार देना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।
📜 श्रद्धा-विश्वास और सामाजिक संदेश
नवरात्र केवल देवी पूजा तक सीमित नहीं है। यह पर्व आत्मशुद्धि, सकारात्मक ऊर्जा के जागरण, स्त्री शक्ति के सम्मान, पर्यावरण के प्रति जागरूकता और समाज में अनुशासन का प्रतीक है।
आज के संदर्भ में यह पर्व नारी शक्ति, धर्मनिष्ठा, और सामाजिक चेतना का उत्सव है।
🌧️ क्या कहता है ज्योतिष इस बार के नवरात्र पर?
ज्योतिषाचार्य पं. जयप्रकाश शर्मा के अनुसार:
- मां दुर्गा का आगमन हाथी पर वर्षा और समृद्धि का संकेत है
- ग्रह स्थिति उत्तम है — राहु, केतु की शांति के उपाय के लिए आदर्श समय
- पूजा-पाठ करने वालों को मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होगी
🛕 देवी आराधना का महत्व आध्यात्मिक दृष्टि से
शैलपुत्री से सिद्धिदात्री तक की आराधना न केवल देवी के नौ रूपों की पूर्ति है, बल्कि यह आंतरिक शक्ति, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक उन्नति का भी प्रतीक है। प्रत्येक दिन साधक को एक नए रूप, एक नए गुण को आत्मसात करना चाहिए।
🧾 निष्कर्ष:
2025 का चैत्र नवरात्र अनेक दृष्टिकोणों से विशेष है —
● ज्योतिषीय दृष्टि से
● धार्मिक दृष्टि से
● और सामाजिक दृष्टि से भी
हालाँकि यह नवरात्र आठ दिन का होगा, फिर भी इसका फल और पुण्य नौ दिन जितना ही प्रभावशाली होगा। श्रद्धा, नियम और सच्चे मन से उपासना करने वाले साधकों के लिए यह अवसर जीवन में सुख, शांति और सफलता लेकर आएगा।
Chaitra Navratri 2025
8-day Navratri
Kalash Sthapana 2025
Navratri 2025 Muhurat
Tritiya Tithi Kshaya
Devi arrival on elephant
Hindu festivals 2025
Navratri vrat rules
Kanya Pujan 2025
Significance of Navratri