घनी स्याह रात है, हर जगह संशय है। हर चेहरे में भय है। आज का दिन तो सुरक्षित गुजर गया। कल क्या होगा? एम्बुलेंस के सायरन की आवाज से डर सा लगने लगता है। अगले दिन पता चलता कि फलां मोहल्ले में फलां-फलां को कोरोना हो गया। फंला-फंला जगह में फलां-फलां मर गया कोरोना से। मगर कब तक चलेगा ये दौर? क्या इस रात की सुबह भी कभी आएगी!
जी बिल्कुल आएगी। ये काली रात भी एक दिन जरूर गुजर जायेगी, सुबह भी आएगी, सूर्योदय भी होगा, आसमान फिर से चमकेगा, खिली-खिली सी धूप होगी। पंछी पेड़ों पर चहचहाहेंगें, आदमी आदमी से बेफ़िक्र हो मिलेगा, महफ़िलें सजेगीं, हम रिश्तेदारों के घर जाएंगे व वो हमारे घर आएगें।
देखियेगा आप और हम मिलेंगे। विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा नहीं, बल्कि आमने-सामने। चाय-चाय-पकौड़ी की पार्टी चल रही होगी। हम सब गपशप मार रहे होंगे। कुछ आप अपनी बातें करेंगे, हम गौर से सुनेंगे। आज हम सभी लोग एक-दूसरे के विचारों को लिखकर समझते व समझाते हैं, लेकिन देखियेगा कल हम किसी ना किसी विषय पर चर्चा कर रहे होंगे, हैं ना।
मानते हैं ,थोड़ी मुश्किल घड़ी है। मुश्किल होता है इस दौर से गुजरना। मानसिक अवसाद, मन व शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। दूर शहर मे घर से दूर कोई अपना जब अपना दुःख बयाँ करता है तो ये दिल रोता है। मन करता है, पंछी बन उड़ चले अपनों के पास, और दूर कर दें उनकी तकलीफों को, पर मन के लाख चाहने पर भी हम कुछ कर नही सकते, सिवाय आँसुओं को निकालने के। किसी अपने की या किसी परिचित का कोरोना की वजह से दुनिया छोड़कर जाने से अंदर तक पीड़ा होती है। हम क्या कर पाते हैं, सिवाय कोरोना को कोसने के।
मित्रों के फोन आते हैं तो एक आनन्द की अनुभूति होती है। जब हम उनसे बात करते हैं तो उनके पास होने की अनुभूति होती है। हर रात ये सोचकर सोता हूँ कि सुबह जरूर आएगी, इस रात की सुबह जरूर आएगी।
चलो सब लोग मिलकर ईश्वर से प्रार्थना करें, कि हम सब लोग धैर्य के साथ, मिलकर संकट की इस घड़ी का सामना डटकर कर सकें। हम ऐसा करेगें, हम कोरोना से लड़ेगें, डटकर लड़ेगें। देखना हम ये लड़ेगें भी और जरूर जीतगें। क्या आप लोग देगें मेरा साथ?
देखिये आपको ना तलवार उठानी हैं, ना ही बंदुकें चलानी हैं। आप तो बस एक काम करें। जब तक बहुत जरूरी ना हो बाहर ना निकलें, बार-बार हाथ धोएं, खानपान पर विशेष ध्यान दें, घर पर बुजुर्गों व बच्चों का खास ख्याल रखें। अगर बाहर जाना ही पड़ जाए, तो चेहरे को किसी साफ कपड़े से ढककर जाएं या मास्क लगाकर जाएँ, साथ भी सेनेटाइजर भी रखें। ना केवल हम स्वयं ये सावधानी बरतें, बल्कि हम अपने आस-पड़ोस में भी लोंगो को भी जागरूक करें, क्योकि आप बहुत ही प्यारें व्यक्ति हैं और मैं ये भलीभाँति जानता हूँ, कि आप मेरी बात का मान अवश्य रखेंगे। आप ऐसा करेगें ना!
फिर देखिये कैसे ये कोरोना नही भागता। अजी ,दुम दबा के भागेगा ये कोरोना। और फिर हम सभी लोग खुली हवा में खुलकर साँस लेंगे, पेड़ों के नीचे बैठकर पंछियों की चहचहाहट सुनेंगे, अपनों से मिलकर उनका हाल समाचार लेंगे। हम सभी अपने दोस्तों के साथ काँफी का आनन्द लेंगे। प्रकृति के बीच में जाकर नई-नई कविताएं बनायेंगे। आप सपरिवार फिर पहाड़ो की सैर पर निश्चिंत हो निकल सकेगें, और हम सभी मित्रगण एक साथ बैठकर महफिलों का आनन्द ले पाएगें।
बंधुओं हम जरूर मिलेंगे खुलकर एक-दूसरे के साथ, खुली हवा में,जरूर जाएंगे, मिलकर पहाड़ों में प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द लेने। देखियेगा इस रात की सुबह जरूर आएगी।
तब तक ये करबद्ध निवेदन है आपसे अपना ध्यान रखें अपनों का ध्यान रखें। खुश रहें आप सभी लोग परिवार सहित। क्योंकि इस रात की सुबह जरूर आएगी और जल्दी ही आएगी। सो जाइए ये सोचकर कि कोरोना की अंतिम रात है। कल जब आप लोग जागेंगे तो एक नया सूर्योदय होगा खुशियों का। क्योंकि ये रात अब बीतने वाली है।
अब ये रात भी गुजर जायेगी,
इस रात की सुबह जरूर आएगी।
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