कुछ समय पहले की बात है, एक गांव में मंटू नाम का एक बहुत गरीब व्यक्ति रहता था। गरीबी के कारण उसके घर में कभी-कभी खाने के लिए अनाज भी नहीं रहता था, लेकिन उसकी पत्नी बहुत दयावान थी।
मंटू का कोई खुद का व्यापार या जीविका अर्जित करने का कोई अच्छा साधन नहीं था। वह दूसरों के खेतों में काम करके अपने परिवार का पालन पोषण करता था। एक दिन वह सेठ के खेतों से कार्य समाप्त करके घर लौटा था तब उसकी पत्नी ने उसे और छोटी बिटिया को खाना परोस कर दिया । दोनों खुशी-खुशी भोजन का आनंद ले रहे थे, मंटू ने अपनी पत्नी से भी कहा कि तुम भी भोजन कर लो हमारे साथ तब मंटू की पत्नी ने कहा कि हां आप लोग भोजन कर लीजिए फिर मैं करती हूं। पिता और पुत्री ने भोजन समाप्त कर लिया, बर्तन में बस पत्नी के लिए भोजन बचा था।
पत्नी अपना भोजन करने ही जा रही थी, तभी उनके घर पर एक साधु आया। वह बाहर से आवाज लगाने लगा, बेटी बहुत भूख लगी है कुछ खाने को है तो दे दो। यह सुनकर मंटू की पत्नी बाहर आई।
मंटू भी बाहर आया। तब मंटू ने साधु से कहा कि बाबा भोजन तो समाप्त भी हो चुका है, हम आपको क्या दें। तब उसकी पत्नी ने कहा कि अभी मैंने भोजन नहीं किया है, मैं अपने हिस्से का देती हूं, तब मंटू ने कहा कि तुम यदि अपने हिस्से का भोजन दे दोगी तो तुम क्या खाओगी? तब पत्नी ने कहा कि कोई बात नहीं मैं भूखी रह लूंगी, लेकिन अपने घर से किसी को भूखा नहीं जाने दे सकती।
तब मंटू की पत्नी ने साधु को अपने हिस्से का भजन कराया। साधु भी भोजन करके बहुत प्रसन्न थे। साधु ने कहा बेटी मुझे भोजन करके मन को बहुत तृप्ति मिली है। मैं बहुत प्रसन्न हूं, लेकिन मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ भी नहीं है। मेरे पास सिर्फ यह अंगूठी है, इसे तुम अपने पास रख लो यह तुम्हारे बुरे समय में काम आएगी लेकिन इसे सिर्फ दिन में पहनना रात्रि के समय मत पहनना यह बहुत शक्तिशाली अंगूठी है, रात्रि में इसकी शक्तियां तुम्हारी उंगली बर्दाश्त नहीं कर पाएगी। तब मंटू और मंटू की पत्नी दोनों अंगूठी अपने पास रख लेते हैं।
मंटू की बिटिया मंटू से मेले में जाने की जिद करती है, और गुड़िया मांगती है। उसकी बिटिया जैसे ही गुड़िया का नाम लेती है, वैसे ही घर में गुड़िया प्रकट हो जाती है,जिसे देखकर मंटू की बिटिया बहुत खुश होती है। तब मंटू की पत्नी कहती है अर्थात हम जिस भी चीज का नाम लेंगे तो वह चीज हमारे सामने प्रकट हो जाएगी।
तब मंटू समझ जाता है और जादुई अंगूठी की सहायता से ही अपने कारोबार को बढ़ा लेता है, एक कपड़ा व्यापारी बन जाता है। मंटू की पत्नी भी अपने लिए तरह-तरह की साड़ियां मांगती है। अर्थात वे जो कुछ भी अंगूठी से मांगते हैं सब पूरा हो जाता है।
एक दिन मंटू और उसका परिवार मेले में जाने के लिए अंगूठी से पैसे मांगते हैं और पैसे उन्हें मिल जाते हैं, तब वह मेले का खूब आनंद उठाते हैं, तरह-तरह के पकवान खाते हैं और खूब सारी खरीदारी करते हैं।
यह सब देखकर गांव का सेठ सोचता है कि मंटू मेले में इतनी चीजे कैसे खरीद रहा है? महंगी वस्तु भी वह आसानी से खरीद ले रहा है, यह सब कैसे संभव है? उसके पास इतने पैसे कहां से आए? सेठ के मन में अनेकों सवाल आने लगे। तब सेठ अपने लोगों को मंटू के पास भेजता है, यह जानने के लिए की मंटू के पास इतने पैसे कहां से आ रहे हैं?
सेठ के आदमी मंटू के पास जाते हैं, तब मंटू सेठ के आदमियो से कहता है कि आप लोगों को भी जरूरत है तो बता दीजिए आप लोगों की भी मदद कर दूंगा। तब सेठ के आदमी सेठ को जाकर सारी बात बताते हैं।
मंटू के मित्र गरीब होते हैं कुछ मित्र भी सोचते हैं कि मंटू से मदद ली जाए, ताकि वह भी अपना कुछ कारोबार कर पाए।
मंटू के मित्र भी मंटू से मदद मांगते हैं तो खुशी-खुशी मंटू उनकी मदद कर देता है। लेकिन यह सारी बात सेठ तक पहुंच जाती है। तब सेठ के मन में मंटू के अमीर होने का रहस्य जानने की इच्छा प्रकट होती है। तब सेठ अपने आदमियों को रात्रि के समय मंटू के घर भेजता है। तो मंटू के आदमी मंटू और उसकी पत्नी को बात करते हुए सुन लेते हैं की अंगूठी को रात्रि के समय नहीं पहनना है और यह बात जाकर सेठ को बता देते हैं कि, उनके पास एक रहस्यमई अंगूठी है जिसकी वजह से अब वह धनी हो गया है।
तब सेठ अपने आदमियों से कहता है कि उसे अंगूठी को मेरे पास ले आओ तब सेठ के आदमी रात्रि के समय जाते हैं, और उस अंगूठी को ले आते हैं। सेठ रात्रि के समय ही उस अंगूठी को अपनी उंगली में पहन लेता है और देखते ही देखते उसकी उंगली में बहुत सारा घाव हो जाता है और वह परेशान हो जाता है, डॉक्टर के पास जाकर अपनी मरहम पट्टी करवाता है और अंगूठी जाकर वापस कर देता है। और मंटू से कहता है कि मुझसे गलती हो गई, यह अंगूठी तुम अपने पास रखो।
तब मंटू और उसकी पत्नी दृढ़ निश्चय कर लेते हैं कि इस अंगूठी की वजह से उनकी सभी आवश्यकताएं पूरी हो चुकी हैं। कारोबार भी अच्छे से चल रहा है। उनका जीवन हंसी खुशी से आगे बढ़ रहा है अब उन्हें इस अंगूठी की जरूरत नहीं है। इस अंगूठी को किसी जरूरतमंद को उन्हें सौंप देना चाहिए।
अगले ही दिन उनके घर एक गरीब व्यक्ति आता है। वह भूखा होता है और खाने के लिए भोजन मांगता है। तब मंटू की पत्नी गरीब व्यक्ति को भरपेट भोजन करवा देती है और यह जादुई अंगूठी भी उसे सौंप देती है और उसकी सारी शक्तियों के बारे में भी बता देती है।
दोस्तों वह गरीब व्यक्ति जिसे मंटू और मंटू की पत्नी अंगूठी सौंपते हैं वह कोई और नहीं जबकि साधु ही होते हैं। गरीब व्यक्ति के वेश में। साधु ही गरीब का वेश धारण करके मंटू के घर आए थे अपनी अंगूठी वापस लेने।
तो दोस्तों इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा गरीबों की और जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए। हर अच्छे कार्य का फल अवश्य मिलता है।