वो बचपन की यादें और शरारतें

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बात है उस समय की जब मैं प्राइमरी स्कूल में पढ़ती थी जो कि सिर्फ प्री नर्सरी से फिफ्थ क्लास तक था और मेरे...

महंगा दूध

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घर के समीप की डेयरी में दूध, कुछ दूरी पर स्थित एक ग्रामीण क्षेत्र से आता था। दूध प्रतिदिन दो बार, एक बार सुबह,...

और किस तरह जिंदगी को seriously ले कर उसने अपनी जिंदगी में जो पाया

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कमरे के अदंर से ज़ोर ज़ोर से आवाजें आ रही थी... "जिंदगी को मजाक समझा है क्या ...जिंदगी ने भी तुम्हारे बारे में ऐसा ही...

कूड़ा फेकें खाली प्लॉट में…

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आज अधिकतर लोग स्वच्छता को अपना चुके है अपने आस पास सफाई रखना पसंद करते है और दुसरो को प्रेरित करते हैं - लेकिन...

मानसिक पिटाईयाँ

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सबसे पहले पिटाई हुयी थी-जिसकी याद है- सन 93 में। अल्मोड़ा आये साल-दो-एक हो गए थे- दीदी को दीदी बोलो, उसके नाम पे नहीं।...

गीत को लय में ढालना शेष था (कविता)

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जब मन ने विचारों के समुद्र में गोते लगाये, गहरे पानी पैठ शब्दों के दो मोती पाए। फिर कल्पना के आकाश में ऊँची उडान भरी, सुंदर भावो...

वो बारिश में बाहर निकलता था

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वो बारिशों में बाहर निकलता था दिख ना जाएँ दिल का दर्द, जो आंखो से छलकता था, इन आंखो की मासूमियत के जाहिर होने से डरता...

आहा से ओह तक

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डायरी के पन्नो से मित्र के साथ स्कूल से तीसरे period के बाद भाग के घर को चले आना, बरसातों के मौसम में, अलग अलग...

पहले प्यार से लेकर आखिरी प्यार के भी बाद की कहानी

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ये किस्सा है - सच्चा थोड़ा सा, अच्छा थोड़ा सा, जिंदगी के कई किस्सो की कहानी है। पहला प्यार उसे तब हो गया था जब...

पड़ोसी की गर्लफ्रेंड से यूँ हुई नफरत!

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कोई भी धारणा बस यों ही नहीं बन जाती। उसके पीछे वजह होती है, और ये वजह कभी कभी समय और हालात भी हो सकते...

विचारों के बंधन का साथ उसने छोड़ दिया (कविता)

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विचारों के बंधन का साथ उसने छोड़ दिया, जब विचारों ने उसे, उसके ख़यालों में उसे तोड़ दिया। पसीने से भीगा जो बैठा छाँव में सुखाने, हवाओं...

एक्जाम की कॉपियाँ

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आज अचानक से नजर पड़ी एक गट्ठर पर, सफ़ेद-कापियां पैरेलल रूल वाली- जिनमें लिखा होता है ‘उत्तर-पुस्तिका’। भाईसाब अपने हाई-स्कूल और इंटर के दिन...

नींद अब आती नहीं (कविता)

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दिल बहल जाता था तब, कागज के खिलौने से भी, मखमली बिस्तर में भी नींद अब आती नहीं। ख़्वाहिश पूरी हो जाती थी कभी, बारिश के...

अपड़ु मुलुक अपड़ी भाषा (हिंदी – गढ़वाली कविता)

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आजकल गांव से शहरों में भाग रहे हैं लोग,और सब को लगता है कि अब जाग रहे हैं लोग।अपड़ी कूड़ी पूंगड़ी छोड़ के फ्लैट...

….और ट्रेन चलने लगती है

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यह कहानी है 5 साल की छोटी बच्ची की, जो ट्रेन में अपनी मम्मी से बिछड़ जाती है। उसके बाद उसकी क्या प्रतिक्रिया होती...

पासपोर्ट वेरिफिकेशन – काम लटकाने वाले को जब काम पड़ा!

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साल 2015 मेरा पासपोर्ट के पेजस् समाप्त हो गए थे। मुझे नए पासपोर्ट की जरूरत थी। मेरा घर इंदिरापुरम गाजियाबाद में था, मैंने ऑनलाइन नई...

असोज और ये जीवन

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कुछेक दिनों में ‘असोज’ लग जायेगा। भारतीय ग्रामीण समाज में असोज का अलग ही स्थान है। असोज ख़ाली एक महीना नहीं बल्कि अपने आप में...
UttaraPedia

सब ठीक हो जायेगा लेकिन…

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सारी संभावनाओं के बीच आवाज आयी- "अबे टेंशन मत लो, सब ठीक हो जायेगा"। ठीक है, आप कहते हो तो ऐसा ही कर लेते हैं।...

संडे के बाद आता – जालिम मंडे

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Monday से वैसे तो कोई शिकायत न है, बस कसूर इसका इतना भर है कि ये सन्डे के बाद आता है और स्कूली दिनों...

“मैं” और “एक और मैं”

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मेरा मानना था जिंदगी बहुत छोटी है, उसका ख्याल था कि बहुत लम्बी। मेरा मानना था कि जितना कम जानोगे उतना खुश रहोगे, उसकी कोशिश...