….और ट्रेन चलने लगती है

by Sunaina Sharma
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यह कहानी है 5 साल की छोटी बच्ची की, जो ट्रेन में अपनी मम्मी से बिछड़ जाती है। उसके बाद उसकी क्या प्रतिक्रिया होती है। वह अपनी मम्मी को वापस मिली या नहीं, यह हम जानेंगे आगे कहानी में। ?

श्रुति के पिता एक फौजी हैं। वर्तमान में उनकी पोस्टिंग है, वह घर पर नहीं है और श्रुति 5 साल की छोटी बच्ची है, जिसने हाल ही में पहली कक्षा के वार्षिक एग्जाम दिए हैं, उसके वार्षिक एग्जाम खत्म हो चुके हैं, स्कूल में ग्रीष्मावकाश हो चुका है। श्रुति अपनी मम्मी से जिद करती है, मम्मी स्कूल की छुट्टियां हो चुकी क्या हम नानी के घर घूमने जा सकते हैं। उसकी मम्मी पहले टालमटोल करती हैं, कहती है बेटा स्कूल के समर कैंप में डांस क्लास ज्वाइन कर लो। तुम्हारे पापा भी घर पर नहीं है, हम कैसे जाएंगे नानी के घर?

श्रुति बिटिया जिद पकड़ लेती और कहती है छुट्टियां खत्म हो जाने के बाद फिर से स्कूल शुरू हो जाएगा और फिर हम पूरे 1 साल तक नानी के घर नहीं जा पाएंगे, मम्मा प्लीज चलो ना! हम पापा को सब कुछ फोन पर बता देंगे, पापा कुछ भी नहीं कहेंगे, मम्मा प्लीज चलोगी ना नानी के घर! प्लीज बताओ ना मम्मा ?

श्रुति की मम्मा उसकी जिद सुनकर परेशान हो जाती हैं, और कहती हैं ठीक है बेटा चलेंगे नानी के घर, लेकिन हम ज्यादा दिन नहीं रुकेंगे सिर्फ 1 हफ्ते में वापस आ जाएंगे। लेकिन नानी के घर जाने से पहले एक शर्त है कि, तुम अपना होलीडे होमवर्क पहले ही पूरा कर लोगी तभी जाएंगे हम नानी के घर। श्रुति कहती है ओके मामा मैं जल्दी से अपना होमवर्क पूरा कर लेती हूं, फिर हम चलेंगे नानी के घर।

श्रुति की मम्मी भी तैयारियों में लग जाती है, वह सबसे पहले श्रुति के पापा को फोन करती हैं और कहती है कि, श्रुति के जिद है नानी के घर जाने की। हम दोनों मां बेटी सिर्फ 1 हफ्ते के लिए जाएंगे मां के घर, आप ट्रेन का टिकट बुक कर दीजिए हमारा, अपना ख्याल रखिएगा, हम जल्दी वापस आ जाएंगे।
श्रुति के पापा भी टिकट बुक कर देते हैं और श्रुति की मम्मी भी पैकिंग शुरू कर देती हैं, श्रुति से पूछ कर उसके मनपसंद की सभी ड्रेसेस की पैकिंग कर लेती है। देखते ही देखते श्रुति का होमवर्क भी पूरा हो जाता है और नानी के घर जाने का दिन भी आ जाता है। सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
श्रुति की मम्मी श्रुति को समझाती है कि, ट्रेन में यदि कोई भी तुम्हें फल फ्रूट बिस्किट खाने को दे तो बिल्कुल भी मत लेना। यहां तक कि किसी का पानी भी मत पीना। श्रुति अपनी मम्मा की सभी बातें ध्यान पूर्वक सुनती है और समझ जाती है।

श्रुति और उसकी मम्मा को ट्रेन में खिड़की वाली सीट मिली होती है, ट्रेन चलने लगती है। श्रुति और उसकी मम्मा बहुत खुश होते हैं। श्रुति खुश होकर कहती है, हम जल्दी ही नानी के घर पहुंच जाएंगे।

देखते ही देखते सफर आगे बढ़ता है, ट्रेन की खिड़की से ठंडी ठंडी हवा आती है और श्रुति के मम्मा की आंख लग जाती है। लेकिन श्रुति ट्रेन की खिड़की से नजारे देखने में व्यस्त होती है। देखते ही देखते अगला स्टेशन भी आ जाता है और ट्रेन वहीं रुक जाती है। लेकिन श्रुति की मम्मा अभी भी सोई हुई है, ट्रेन की खिड़की का सहारा लेकर।

श्रुति ट्रेन की खिड़की से बहुत से लोगों को आते जाते ध्यान से देखती है। तभी श्रुति के खिड़की के सामने एक महिला एक छोटे से बच्चे को गोद में लेकर आती है और खिड़की के सामने ही खड़ी हो जाती है। श्रुति उस बच्चे को देखती है और उसे खिलाने लगती है, उससे बातें करने लगती है।

श्रुति की उत्सुकता और बढ़ती जाती है और वह बच्चे से मिलने के लिए बाहर जाने के लिए सोच लेती है। वह सोचती है कि उसके पास जो चॉकलेट है, वह जल्दी से बच्चे को देकर वापस ट्रेन में आ जाएगी, और उसकी मम्मी को पता भी नहीं चलेगा।
और फिर श्रुति ट्रेन से उतर जाती है और बच्चे के पास जाने लगती है, देखते ही देखते बच्चे को गोद में लिए महिला आगे बढ़ने लगती है और श्रुति भी बच्चे से मिलने के खातिर महिला के पीछे पीछे चलने लगती है, उसे ट्रेन का ध्यान ही नहीं रहता है कि उसे वापस जल्दी से ट्रेन में जाना है।

इतने में ट्रेन के चलने का समय हो जाता है और ट्रेन का हॉर्न बजता है लेकिन श्रुति का ध्यान बच्चे की तरफ ही होता है। श्रुति बच्चे को चॉकलेट तो पकड़ा देती है, लेकिन जब मुड़कर देखती है तो ट्रेन मंद गति से धीरे-धीरे आगे बढ़ रही होती है।

श्रुति बिल्कुल घबरा जाती है और जोर से रोते हुए और चिल्लाते हुए मम्मा…..मम्मा….ट्रेन के पीछे भागती है, देखते ही देखते ट्रेन बहुत आगे निकल जाती है। श्रुति हताश निराश दौड़ते दौड़ते थक कर गिर जाती है।

तभी श्रुति पर एक पुलिस वाले की नजर पड़ती और वह श्रुति को चुप कराते हैं, श्रुति से पूरी घटना की जानकारी लेते हैं, श्रुति रोते रोते अपनी पूरी व्यथा सुनाती है, पुलिस वाले बहुत सज्जन व्यक्ति होते हैं। श्रुति को खाने पीने की चीजें खरीद कर देते और श्रुति को रेलवे स्टेशन के पुलिस चौकी में ले जाते हैं।

इसके बाद यह खबर अगले रेलवे स्टेशन तक पहुंच जाती है और वहां पर अनाउंसमेंट करवा दिया जाता है की पिछले रेलवे स्टेशन पर श्रुति नाम की बच्ची मिली है, जो अपनी मम्मा से बिछड़ गई है। यह बच्ची जिसकी भी हो कृपया आकर ले जाए।

नींद से उठने के बाद श्रुति की मम्मी का भी रो रो कर बुरा हाल होता है, लेकिन जैसे ही वह अगले रेलवे स्टेशन पर अनाउंसमेंट सुनती है तो वह अपनी बेटी को लेने के लिए झटपट ट्रेन से उतर जाती है और श्रुति से मिलने बताएं गए पते पर पर चली आती है। इस प्रकार श्रुति को उसकी मम्मा मिल जाती है, दोनों गले लग कर बहुत रोते हैं और बहुत खुश होते हैं।

उम्मीद है आपको श्रुति और उसकी मम्मा की यह कहानी अच्छी लगी होगी और आप भी अपने बच्चे का ख्याल रखेंगे।



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