
Bharat Bangari Articles 8
लेखक ने अल्मोड़ा माध्यमिक शिक्षा के बाद स्नातक (Agriculture) , पंतनगर यूनिवर्सिटी से किया और फिर उच्च शिक्षा के लिए यू एस रहे। वापस आकर राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आसाम, सहित अपने पैतृक क्षेत्र सल्ट और उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में कृषि कार्यों से जुड़, जमीनी वास्तविकताओं का अनुभव लिया। इस दौरान नौकरशाही, सिस्टम के कार्यप्रणाली, जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले मजदूरों, किसानों को समझने का मौका मिला। इन्हीं में से कुछ खट्टे मीठे अनुभव, कहानियां आदि आप इस पटल पर सांझा करेंगे।
कुछेक दिनों में ‘असोज’ लग जायेगा। भारतीय ग्रामीण समाज में असोज का अलग ही स्थान है। असोज ख़ाली एक महीना नहीं बल्कि अपने आप में एक पड़ाव है, जिसमें घास के लूटों से लेकर, मकान की मरम्मत, बेटी क... Read more
सारी संभावनाओं के बीच आवाज आयी- “अबे टेंशन मत लो, सब ठीक हो जायेगा”। ठीक है, आप कहते हो तो ऐसा ही कर लेते हैं। बड़ी दुविधा है साहब; एक तरफ संभावनाओं की तलाश में जीवन व्यर्थ करने क... Read more
आज अचानक से नजर पड़ी एक गट्ठर पर, सफ़ेद-कापियां पैरेलल रूल वाली- जिनमें लिखा होता है ‘उत्तर-पुस्तिका’। भाईसाब अपने हाई-स्कूल और इंटर के दिन याद आ गए तुरंत। अच्छा एक मित्र थे, जो लगभग ७-८ कापिय... Read more
प्रस्तावना – इस लेख में, मैंने किरदार के जीवन के अफेयर्स जो कई वर्षों के दरमियान हुए, को कुछ पैराग्राफ में समेटने का प्रयास किया है, कि कैसे उनके जीवन के बदलते दिनों और हालात ने उनके ज... Read more
सबसे पहले पिटाई हुयी थी-जिसकी याद है- सन 93 में। अल्मोड़ा आये साल-दो-एक हो गए थे- दीदी को दीदी बोलो, उसके नाम पे नहीं। माँ की खास आदत थी कि, जो हाथ में हो वो फैंक के मार दें, या फिर पकड़-पकड़ क... Read more
ये वो होते हैं जो बरसात में पैंट मोजों के अन्दर करके सड़क पार करते हैं। ये अक्सर क्लास में पीछे से तीसरी लाइन में बैठते हैं, ताकि टीचर या तो आगे के बच्चों को देखे या पीछे के, इन्हें नहीं। ये... Read more
पहाड़ के गाँव में सुबह जल्दी हो जाने वाली हुयी। सुबह 5 बजे से बरसात शुरू हो गयी थी, लेकिन आज के सुबह के काम की शुरुआत लगभग 5:45 पे शुरू हुयी। आज चूँकि कुछ दुरी में रहने वाले जग्गु की बहन की... Read more