पीर ये पहाड़ सी (कविता)
बरस फिर गुज़र गया
तिमिर खड़ा रह गया
उजास की आस थी
निराश क्यों कर गया
शहर शहर पसर गया
साँस साँस खा गया
कोविड का साल ये
जहर जहर दे...
आओ नूतन वर्ष मनाएं (कविता)
आओ नूतन वर्ष मनाएं
दस्तक देने लगा द्वार पर
फिर से नूतन वर्ष
कुछ करें नया ऐसा
कि सबका हो उत्कर्ष
आओ नई उमंगें जगाएं
आशाओं के बंदनवारों को
मन देहरी...
आसुओं को बया नही कर सकता (कविता )
आंसुओं को बंया कर नही सकता,
आंसुओं को कहने का नहीं मैं वक्ता,
आंसुओं का मोल नहीं गिन सकता,
आंसुओं की गिनती नहीं कर सकता,
प्रेम...