बहुत भारी पड़ेगा तुम्हे
किसानों के दिल से खेलना
आये दिन उनके नाम पर
सियासत करना
ये न भूलना कभी भी
कि तुम्हारी थाली में
जो रोटी है
वो मेरे अन्नदाता ने
हाड़ तोड़ मेहनत से
उगाई है
पर उसके साथ आखिर
क्यों होती बेवफाई है ??
सदियां गुज़र गईं
पर मेरे देश का किसान
आज भी वहीं खड़ा है
जहां आज़ादी के वक़्त था
आखिर क्यों उसे आये दिन
उतरना पड़ता है सड़कों पर ??
विचार करना ज़रूरी है
आखिर क्यों ?
याद रखिये किसान और जवान हैं
तो ये देश है
और देश है तो हम हैं
– निर्मला जोशी ‘निर्मल’, हल्द्वानी