शीतला देवी मंदिर, हल्द्वानी

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Sheetla Devi Temple
Sheetla Devi Temple, near Ranibag, Haldwani

हल्द्वानी के निकट एक प्रसिद्ध, रमणीय एवं पौराणिक धार्मिक श्रद्धा स्थल – माँ शीतला देवी मंदिर के दर्शन करने के साथ यहाँ के बारे मे जानेंगे इस लेख में।

यह स्थान ६ठीं से ११वीं सदी तक, कुमाऊँ में कत्युरी शासन और उसके बाद चंद शासन काल के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थान रहा था।

हल्द्वानी से नैनीताल रोड मे काठगोदाम से कुछ किलोमीटर की दूरी पर गुलाब घाटी के निकट, रानीबाग की एक पहाड़ी पर पौराणिक और ऐतिहासिक रानीबाग नदी की चोटी पर जंगल के बीच स्थित है माँ शीतला देवी मंदिर।

माँ शीतलादेवी के मंदिर उत्तराखण्ड में द्वाराहाट, शीतलाखेत, अल्मोड़ा तथा काठगोदाम सहित कई स्थानो मे हैं।

माँ शीतला देवी मंदिर घने जंगल में स्थित है। हल्द्वानी या काठगोदाम से sharing ऑटो या अपने वाहन द्वारा यहाँ पहुच सकते है। हल्द्वानी से यहाँ की दूरी लगभग 9 किलोमीटर है। अपना वाहन  चौड़ी सड़क के किनारे उचित स्थान पर खड़ा कर मंदिर तक लगभग आधा किलोमीटर का ट्रेक कर पहुचा जा सकता है, जिसे तय करने मे लगभग 10 से 15 मिनट का समय लगता है।

शीतला माता मंदिर को जाने का यह मार्ग चट्टानों को काट कर बनाया गया था, इसलिए ये पहले काफी ऊबड़ खाबड़ और पथरीला था, अब मार्ग को चलने के लिए अधिक सुविधाजनक बना दिया गया है। जिसमे एक और खाई की और railing और पहाड़ी की और दीवार बनाई गयी है।

मार्ग में कई बंदर आदि काफी दिखाई देते हैं, जो यहां आने वाले नए और असावधान श्रद्धालुओं से प्रसाद झपट कर अपनी भूख मिटाते हैं, इनसे घबराये ना, ये भोजन की आशा में पास आते हैं, ये अन्य कुछ नुकसान नहीं पहुचाते।

यहाँ बोर्ड मे वन क्षेत्र में प्रवेश ना करने हेतु निर्देश लिखा गया है। शुरुवाती चड़ाई के बाद मार्ग फिर समतल मार्ग आरंभ हो जाता है – मार्ग के दोनों ओर कुछ इस प्रकार किसी खूबसूरत पेंटिंग से दृश्य नजर आते हैं। यहाँ हलदु सहित विभिन्न प्रजतियों की वनस्पतियाँ दिखाई देती हैं।

यहाँ की शांति कर प्राकर्तिक खूबसूरती को देख ये ख्याल आता है – कि हल्द्वानी/ काठगोदाम जैसे व्यस्त क्षेत्र और इतने अधिक ट्रेफिक के समीप  इतना शांत, साफ सुथरा और प्राकर्तिक सुंदरता से परिपूर्ण  क्षेत्र कैसे हो सकता है!

प्राकर्तिक सुंदरता निहारते, मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के प्रागण में पहुच जाते हैं, अपने footwear उतार कर, यहाँ स्थित प्राकर्तिक जल श्रोत, मे शृदालु अपने हाथ, पैर, चेहरा आदि धो मंदिर परिसर में प्रवेश करते हैं। उत्सव, त्यौहारों के अवसर पर श्रद्धालु पास के जलस्रोत में स्नान भी किया करते हैं।

यहां निरंतर चलने वाली आरती और भजन का संगीत मन मोह लेती है। यहाँ पर विभिन्न देवी देवताओं जैसे माँ काली, दुर्गा जी, गणेश जी, हनुमान जी आदि को समर्पित छोटे छोटे मंदिर भी स्थित हैं।

यहाँ के मुख्य मंदिर में शीतला देवी की काले पत्थर की एक सुन्दर प्रतिमा है। लोगों की आस्था है कि शीतलादेवी की कृपा से त्वचा संबंधी रोगो सहित अनेकों रोगों का निवारण होता है।

स्थानीय लोगों की गहरी आस्था माता शीतला से जुड़ी हैं। यहाँ समय समय पर भक्तों और श्रद्धालूओं द्वारा रामायण, भागवत, देवी पूजन व  भंडारे का आयोजन किया जाता रहता है। साथ ही नवरात्रि और अन्य पर्वों के अवसरों पर यहाँ बड़ी संख्या में दर्शनार्थी पहुचते हैं।

उपलब्ध जानकारी के अनुसार, मंदिर के पीछे चंद राजाओं के समय में  हाट का बाजार लगाया जाता था तथा यहाँ  लोग दूर-दूर से सामान खरीदने आया करते थे। 1892 में हल्दवानी अल्मोड़ा मोटर मार्ग के निर्माण से पहले, दक्षिण पूर्वी इलाकों से कुमाऊँ और गढ़वाल के विभिन्न क्षेत्रों में जाने वाली यात्री इसी मार्ग से होकर जाया करते थे और यह स्थान उनके लिए एक पड़ाव हुआ करता था।

माना जाता है  कि मंदिर के पास ही बदरखरी गढ़ था जो गोरखा राजाओ के द्वारा युद्ध में ध्वस्त कर दिया गया।यहां  पर आज भी ध्वस्त दीवारों और पत्थरों में ओखली आदि के अवशेष दिखाई देते हैं |

शीतला देवी मंदिर मे –  नैनीताल, उधम सिंह नगर, अल्मोड़ा जनपदों से श्रद्धालु एक दिन में आ कर और  माँ के दर्शन कर वापस लौट सकते हैं। रात्रि विश्राम के लिए रानीबाग क्षेत्र मे हर बजट के होटल उप्ल्बब्ध हो जाते है।

यहाँ के वन क्षेत्र में बाघ, तेंदुवे, घुरड़, कांकण आदि जीव भी पाये जाते हैं, इंसान और वन जीव एक दूसरे के अधिकार क्षेत्र में ना जाये इसलिए वन विभाग ने इस क्षेत्र की तार बाढ़ भी कर दी है।

माँ शीतला देवी से प्रार्थना करते है वो सबका कल्याण करें, इन्ही शब्दों के साथ इस लेख को को समाप्त करते है।

इस मंदिर की जानकारी देता विडियो देखें ?