बात है कुछ साल पहले की, मेरे पापा हमारे गांव से शहर हमसे और हमारे भाई बहनों से मिलने आए थे। पापा बोले कि तुम लोग हमेशा पढ़ाई में व्यस्त रहते हो। चलो आज कहीं घूमने चलते हैं। पापा की बात सुनकर हम सभी भाई बहन बहुत खुश हुए।
पापा का घुमाने वाला ऑफर देने से हमारी खुशी का ठिकाना ना था। मानो ऐसे कि हमारी सालों की हसरत पूरी होने वाली हो। पापा ने कहा कि परिवार के सभी सदस्य और बच्चे सभी एक साथ हम घूमने चलेंगे। घूमने की प्लानिंग तो बन गई लेकिन घूमने कहां जाना है यह अभी डिसाइड नहीं था। पापा ने पूछा- अच्छा यह तो बताओ बच्चों घूमने कहां जाओगे?
परिवार के सभी लोग डिस्कस करने लगे कि कहां घूमने चलें, फिर पापा ने मुझसे पूछा कि बताओ कहां घूमने चलें? मैं कभी नैनीताल घूमने नहीं गई थी।
जैसे ही पापा ने पूछा- मेरा जवाब था नैनीताल। खैर मेरी बात मानी गई और नैनीताल घूमने की प्लानिंग शुरू हो गई। अगले दिन सुबह सभी टिपटॉप तैयार होकर गाड़ी में बैठ कर नैनीताल के लिए निकल पड़े।
नैनीताल हमारे घर से ज्यादा दूर न होने के बावजूद मैं इतने सालों बाद नैनीताल घूमने जा रही थी। हमारे यहां से नैनीताल जाने में मुश्किल से 2 घंटे का वक्त लगता है। गाड़ी में पूरी फैमिली इकट्ठी बैठी थी, तो बात करते करते और हंसते खिलखिलाते नैनीताल कब आ गया पता ही नहीं चला।
हल्द्वानी शुरू होते ही पहाड़ों का सिलसिला शुरू हो गया। कुछ और आगे बढ़े तो धीरे धीरे वातावरण और ठंडा होते गया और पहाड़ हमारे बेहद करीब नजर आने लगे। हम जून के महीने में गए थे, जिस समय टेंपरेचर 40 डिग्री के भी पार होता है। लेकिन जैसे ही हम नैनीताल के करीब पहुंचते गए, टेंपरेचर उतना ही गिरता गया। पहाड़ों के रास्ते में घुमावदार रोड और कहीं-कहीं अधिक संकरी रोड थी।
प्रत्येक तीव्र मोड़ पर छोटे-छोटे बोर्ड लगे थे, जिन पर यात्रियों के लिए अनेक प्रकार के संदेश और चेतावनी लिखी गई थी, जैसे एक बोर्ड पर लिखा था -आगे तीव्र मोड़ है, रास्ता संकरा है, गाड़ी ध्यान से चलाएं घर में बच्चे आपका इंतजार कर रहे हैं।
हम भी सावधानीपूर्वक गाड़ी चलाते हुए आगे बढ़ रहे थे। रास्ते में एक रेस्टोरेंट पर भी रुके, रेस्टोरेंट के बैक पोर्शन से पहाड़ देखने में और सुंदर लग रहे हैं, वहां हमने फोटो भी खिचवाई, वहां से सब ने अपने मनपसंद का खाने पीने का सामान लिया। रेस्टोरेंट की पास ही भुट्टा भूनने की भी दुकान थी, वहां से हमने नींबू और सेंधा नमक लगा हुआ भुट्टा भी खाया जो कि बेहद स्वादिष्ट था।
नैनीताल जाते-जाते रास्ते में हमें अनेक रेस्टोरेंट होटल और भुट्टा भूनने वाले दिखे। हमने कई जगह ऐसे भी सीन देखें जहां चारों तरफ पहाड़ और बीच में गहरी खाई थी और खाई में कोहरे के कारण धुंध दिख रहा था। जिसे देखकर हमारी ठंड और बढ़ रही थी, रास्ते में दिखे प्रत्येक दृश्य को अचरज निगाहों से देख रहे थे, फिर कुछ आगे बढ़े तो मौसम बदल गया, हमें आसमान में काले घने बादल दिखने लगे। इन बादलों ने मौसम को और हमारी यात्रा को और भी अधिक खुशनुमा बना दिया था।
रास्ते में अनेक जगह रुक कर हमने फोटो खिंचवाई, सेल्फी ली। सुंदर पहाड़ों के दृश्य, कभी घनघोर घटा, और कभी कोहरा हमारा मन मोह रहे थे। लगभग 2 घंटे की यात्रा के बाद आखिरकार हम नैनीताल पहुंच गए।
नैनीताल पहुंचकर हमने गाड़ी पार्किंग में लगाई। आराम से नैनीताल घूमे नैना देवी मंदिर भी गए। नैना देवी मंदिर के बाहर ही प्रसाद और पूजा सामग्री की बहुत दुकानें हैं, जहां से हमने प्रसाद खरीदा, और नैना देवी के दर्शन किए। नैना देवी के मंदिर के प्रांगण से नैनी झील का दृश्य अत्यंत मनोरम दिख रहा था।
नैना देवी के दर्शन करके हमने नैनीताल के मार्केट में शॉपिंग भी की, वहां के मार्केट में कई सारी विशेष चीजें मिलती है, जो सिर्फ वही पर देखी जा सकती है। वहां पर आप ऊनी कपड़ों की बहुत वैरायटी देख सकते हैं। मुझे वहां की रंग बिरंगी भिन्न-भिन्न डिजाइन की मोमबत्तियां भी बहुत अच्छी लगी। पेड़ों की टहनियों और सुखी जड़ों से रंग-बिरंगे रंगों से रंगे हुए, भिन्न भिन्न प्रकार के गुलदस्ते भी मेरा मन मोह रहे थे। मैंने एक गुलदस्ता खरीदा भी जोकि बहुत सुंदर था।
वहां के मोमो का स्वाद भी बिल्कुल अलग था, वहां पर हमने मोमोज भी खाएं जो कि बहुत ही स्वादिष्ट थे। वहां पर पत्तियों से बने कोन में अनेक प्रकार के पहाड़ी फल भी बिक रहे थे।
वहां की मार्केट घूमने के बाद हमने नैनी झील में बोटिंग भी की जो कि बहुत ही मनोरंजक और रोमांचक था।
वहां हम मालरोड पर भी घूमे, माल रोड का दृश्य अत्यंत मनोहारी था, वहां भी हमने कई फोटोज खिचवाई। मार्केट और माल रोड घूमते घूमते वहां बारिश भी शुरू हो गई थी। पूरे नैनीताल में हर तरफ कोई छाते में तो कोई रेनकोट में छुपा हुआ दिख रहा था। कुछ देर की बारिश ने हमारी यात्रा में चार चांद लगा दिए, वहां की बारिश की फुहारे चेहरे पर महसूस करने का आनंद ही अलग था। बारिश की वजह से हमें मार्केट घूमने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ा बारिश रुकने का।
पूरा दिन घूमने के बाद शाम को हम घर वापसी के लिए लौट गए। वहां पर कुछ और दिन रुकने का मन था, लेकिन घर नैनीताल के पास होने की वजह से, हम फिर से घूमने आएंगे नैनीताल, इस उम्मीद में हम घर वापस लौट चलें। पहली नैनीताल यात्रा के बाद मैं 3 बार और नैनीताल घूमने गई लेकिन शायद मैं कितनी बार भी नैनीताल जाऊं मेरा मन नहीं भरेगा, क्योंकि नैनीताल है ही इतनी सुंदर जगह।
नैनीताल की सम्पूर्ण जानकारी देता मनोरंजक विडियो देखें
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