दीदी की जुबानी-कुमाऊं की कहानी ।

by Himanshu Pathak
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दीदी ओ दीदी आओ हों, काट छा हो दी हम लोग पाख में आपण क इंतजार करण लाग रैया”

दीदी हँसते हुए, “अरे बस उणियारै लाग्या रूँ।”

दीदी ने सारे काम छोड़े और चल दी छत में  सारे बच्चों ने दीदी को घेर लिया। पूरा मुहल्ला छत में  आ गया।

“दीदी आगे क्या हुआ”? “क्या शेर मंदिर में  आया “? बच्चे एक साथ उत्सुकतावश बोले।

“अरे नही नही शेर तो जंगल को चले गया होगा”। एक बच्ची बोली।

सभी लोग हँस पड़े।

तभी दीदी बोली ,”अरे! सुनाती हूँ, साँस तो लेने दो”।

एक बच्चा बोला,” दीदी क्या अभी तक साँस नही ले रही थी”।

सभी हँस पड़े। “अरे बुद्धु, तू भी।”

दीदी आगे बोली, “शेर की दहाड़ जब नजदीक आ गयी तो सभी घबरा गये। मगर माता कपर विश्वास कर सभी माता का भजन करती रहीं । तभी एक विशालकाय शेर मंदिर के प्रांगण मे प्रवेश कर गया सभी के अंदर भय व आश्चर्य का मिलजुला प्रभाव था ।

“फिर क्या हुआ दीदी?” एक बच्चा घबराते हुए  बोला

खैर शेर मंदिर के  द्वार के निकट गया माता की सात परिक्रमा करने लगा।  और फिर मंदिर में  माता के सामने शांत भाव से बैठ गया ।

सभी महिलाएं भजन कर रही थी शुरू में  तो उनकी आवाज मेंं भय का मिश्रण  था,परन्तु बाद में शेर को शान्त मुद्रा में बैठे देख उत्साह से भजन गाने लगी।

करीब आधे घंटे तक शेर मंदिर में माता के सामने बैठा।फिर एक परिक्रमा माता के सामने बैठा,तीन बाल पूँछ पटका , एक ऊँची दहाड़ मारी और जंगल की ओर छलाँग मार कर जंगल मे विलुप्त हो गया।  हम सभी ने माता को प्रणाम  किया।

सुबह होते ही हम सभी लोग अपने-अपने घर को चले गयें । पूरे गाँव में इस बात की चर्चा हर जुबां पर था।

कहानी यहाँ  पर समाप्त कर सभी लोगों को संबोधित कर दीदी ने पूछा,” तो बच्चों कैसी लगी कहानी”?

सभी बच्चे बोले ,”बहुत अच्छी  दीदी। अगली कहानी”!

दीदी बोली ,अगले हफ्ते “।

समाप्त

हिमांशु पाठक



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