Home History भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में यूरोपियों के आगमन पर व्यापार करने के प्रमुख मार्ग

भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में यूरोपियों के आगमन पर व्यापार करने के प्रमुख मार्ग

by Sunaina Sharma

यूरोप में बंद रवि से 19वीं शताब्दी के मध्य महत्वपूर्ण आर्थिक रूपांतरण हुआ। 15 वी शताब्दी में यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियां नवीन विकल्पों की खोज में बाहर निकली। इन नए विकल्पों की खोज में व्यापार करने के नए रास्ते भी शामिल थे।

मार्कोपोलो ने (1254 से 1324 ईस्वी) चीन की यात्रा की थी, जिसके यात्रा वृतांत ने यूरोपियों को बेहद आकर्षित किया और पूर्वी एशिया से व्यापार करने के लिए उत्साहित किया।

यूरोपीय, पूर्वी एशिया से व्यापार करने के लिए अत्यधिक उत्साहित हुए क्योंकि वे पूर्व एशिया की बेशुमार धन संपदा और समृद्धि की ओर आकर्षित हुए। इसकी जानकारी उन्हें यात्रियों के यात्रा वृतांत से मिली थी।

इसी दौरान लगभग 12 वीं शताब्दी में इटली ने पूर्वी एशिया के व्यापार पर एकाधिकार प्राप्त कर लिया। इस समय दो मार्गों द्वारा इटली और दक्षिण पूर्वी एशिया और भारत में व्यापार किया जाता था।

1. पहला मार्ग- इस मार्ग के माध्यम से पूर्वी वस्तुओं को फारस की खाड़ी से होते हुए इराक और तुर्की लाया जाता था, वहां से इन्हें स्थल मार्गों के द्वारा जेनेवा और वेनिस में ले जाया जाता था।

2. दूसरा मार्ग- इस मार्ग के माध्यम से वस्तुओं को लाल सागर होते हुए मिस्र में अलेक्जेंड्रिया लाया जाता था, लेकिन उस समय स्वेज नहर नहीं थी, इसलिए अलेक्जेंड्रिया को भूमध्य सागर के माध्यम से इटली के शहरों तक जोड़ा गया था।

इस प्रकार उपरोक्त दो मार्गों के माध्यम से इटली (यूरोप) और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों और भारत के मध्य व्यापार होता था।

You may also like

Leave a Comment

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00