उत्तराखंड प्रकृति से जितना समृद्ध राज्य हैं, उतना ही समृद्ध यह यहाँ के पकवान हैं। जानिए उत्तराखंड के मुख्य और स्वादिष्ट भोजन के बारे में-
उड़द दाल के बड़े:
उड़द के डाल के बड़े पहाड़ी पकवानों में से सबसे विशेष हैं। इसे तीज-त्योहारों में, किसी भी शुभ कार्य में बनाया जाता हैं। उड़द दाल को पीस कर तैयार किये जाने वाला यह पकवान स्वाद में अच्छा होने के साथ-साथ पौष्टिक भी होता है।
मुख्य सामग्री: उड़द दाल, धनिया पत्ते, हरी मिर्च, सिलबट्टा, तिल, सरसों का तेल।
समृद्ध स्रोत: प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिन बी
लिंगुड़े की सब्जी:
लिंगुड़े की सब्जी को उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बनाया जाता है, यह पहाड़ की सबसे पसंदीदा सब्ज़ियों में से एक हैं, यह साथ ही साथ यह कई औषधीय गुणों से भरपूर हैं।
लिंगुड़े की सब्जी के कई लाभ हैं और ये मात्र सब्जी ही नहीं बल्कि एक आयूर्वेदिक दवाई बनाने में भी प्रयोग किया जाता है। यह जून और जुलाई मानसून के दौरान नमी वालें स्थानों में पायी जा सकती है।
मड़ुआ/कोदा की रोटी:
मडुए की रोटी मडुए के आटे से बनती है। यह एक स्थानीय अनाज है और इसमें बहुत ज्यादा फाइबर होता है। मडुए का दाना गहरे लाल या भुरे रंग का होता है। मडुए की रोटी को घी, दूध या भांग व तिल की चटनी के साथ साथ पालक या सरसों की सब्जी के साथ परोसा जाता है। मडुए के आटे को गेहूँ के आटे के साथ मिलाकर भी रोटी बनाई जाती हैं।
झिंगोरा की खीर:
झिंगोरा एक अनाज है और यह उत्तराखंड के पहाड़ों में उगता है। यह मैदानों में व्रत के दिन खाए जाने वाले व्रत के चावल की तरह ही होता है. झिंगोरा की खीर यहां का एक स्वादिष्ट व्यंजन है. दूध, चीनी और ड्राइ-फ्रूट्स के साथ बनाई गई झिंगोरा की खीर एक स्वादिष्ट पकवान है।
मुख्य सामग्री: दूध, झिंगोरा, चीनी
कंडाली का साग:
बिच्छू घास जिसे गढ़वाली में ‘कंडाली’ और कुमाऊँनी में ‘सिसौंण’ भी बोलते हैं, का साग एक हरी पत्तेदार सब्जी है जो अन्य हरी सब्जियों के व्यंजनों की तरह ही तैयार की जाती है। हालांकि, इसका मुख्य घटक बिच्छू घास इसे बाकी समान व्यंजनों से अलग बनाता है।
हालांकि सिसौंड के पत्तों या डंडी को सीधे छूने पर इसके काँटे चुभने से दर्द होता है और दाने के साथ जलन भी हो जाती है। जो कुछ देर में अपने आप ठीक हो जाता है। इसीलिए इसे बिच्छू घास भी कहते हैं।
सब्ज़ी बनाने से पहले इसके सावधानी से काटकर, हरे पत्ते पानी में उबाल कर इसके काँटे निकाले जाते है। सिसौंण के साग में बहुत ज्यादा पौष्टिकता होती है।
मुख्य सामग्री: बिच्छू घास, प्याज, घी, मसाले।
समृद्ध स्रोत: विटामिन ए
गहत दाल के पराठे:
गहत की दाल के परांठे गढ़वाल में बहुत ही प्रसिद्ध हैं। गहत गर्म डाल हैं जो पहाड़ी मौसम के लिहाज से भी लाभदायक है। इसे भांग की चटनी के साथ खाया जाता है। लोग गहत की दाल को भूनकर भी खाना पसंद करते हैं। आमतौर पर इसके लिए मंडवे के आटे का इस्तेमाल होता है।
गहत या कुलथ को हमारे शरीर में किडनी पर सकारात्मक प्रभाव के लिए भी जाना जाता है। लोग गहत की दाल को भूनकर भी खाना पसंद करते हैं. आमतौर पर इसके लिए मड़ुए के आटे का इस्तेमाल होता है।
फाणु:
फाणु एक ऐसा व्यंजन है जो ज्यादातर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में बनाया जाता है । इसे पकाने की विधि लंबी है क्योंकि इसमें कई प्रकार की दालों को रात भर भिगाया जाता है और फिर उन्हें मिलाकर इस व्यंजन को बनाया जाता है। इस स्वादिष्ट व्यंजन को ज्यादातर चावल के साथ परोसा जाता है।
मुख्य सामग्री: अरहर की दाल, अन्य पहाड़ी दालें
समृद्ध स्रोत: प्रोटीन
बाड़ी:
बाड़ी गढ़वाल में विशेष रूप से बनाया जाता हैं। इसे बनाने के लिए आटे में गुड़ या चीनी को घी में मिलाकर घोल बनाया जाता हैं। इसे लोहो की कढ़ाई में तब तक घुमाया जाता हैं जब तक यह पतला न हो जाए। इसे बनाने में समय लगता हैं, हालांकि ये खाने में स्वादिष्ट होता हैं।
भांग और तिल की चटनी:
भांग और तिल की चटनी काफी खट्टी बनाई जाती है और इन्हें कई तरह के स्नैक्स और रोटी के साथ खाया जाता है। भांग की चटनी हो या तिल की चटनी इसके लिए इनके दानों को पहले गर्म तवे या कढ़ाई में भूना जाता है।
इसके बाद इन्हें सिल या मिक्सी में पीसा जाता है,हालांकि सिल में ये ज्यादा स्वादिष्ट होती हैं। इसमें जीरा पावडर, धनिया, नमक और मिर्च स्वादानुसार डालकर अच्छे से सभी को सिल में पीस लिया जाता है। बाद में नींबू का रस डालकर इसे आलू के गुटके या अन्य स्नैक्स व रोटी आदि के साथ परोसा जाता है।
मुख्य सामग्री: भांग के बीज, जीरा, नींबू, लाल मिर्च, इमली।
चैसोणी:
गढ़वाल क्षेत्र में सबसे लोकप्रिय व्यंजनों में से एक चैंसू उड़द या मास की दाल से तैयार किया जाता है। अपने उच्च प्रोटीन सामग्री के कारण चैंसू को पचने में थोड़ा समय लग सकता है लेकिन फिर भी, इसे एक बार इसका जरूर स्वाद लेना चाहिए। शुरू में दाल को टोस्ट करना और फिर उसमें से एक दरदरा या मोटा पिसना बनाना इस नाजुकता को तैयार करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
मुख्य सामग्री: उड़द दाल / मास की दाल, घी, मसाले
समृद्ध स्रोत: प्रोटीन
झोली भात:
इसको बनाना बहुत आसान है, आपको बस थोड़ा दही और बेसन की आवश्यकता है। दोनों को मिक्स करके इसमे पानी ओर अन्य मसले स्वादानुसार मिला कर इसका पेस्ट बनाकर साथ में प्याज और टमाटर को तेल या घी मैं फ्राई करके बनाया जाता है या जीरा का तड़का भी लगा सकते है।
मुख्य सामग्री: दही या छाछ, टमाटर, प्याज, बेसन, मूली, जीरा, हरा धनिया, हरि मिर्च।
भट के डुबुक / डुबुके:
डुबक भी कुमाऊं के पहाड़ों में अक्सर खाई जाने वाली डिश हैं। डुबक पहाड़ी दाल भट और गहत आदि की दाल से बनाया जाता है. लंच के समय चावल के साथ डुबुक का सेवन किया जाता है।
भट्ट के दुबके को चावल और भांग की चटनी के साथ परोसा जाता है जो खाने में बहुत ज्यादा स्वाद होती हैं। इसे तैयार करने के लिए, भट्ट की दाल या अरहर की दाल को एक कढ़ाही में धीमी गति से पकाने के बाद बारीक पेस्ट में बदल दिया जाता है। इसे खासकर सर्दियों के दौरान बनाया जाता हैं। धीमी आंच में इसे अच्छे से पकाया जाता हैं, जो इसका स्वाद और भी बढ़ा देता हैं।
मुख्य सामग्री: भट्ट की दाल
समृद्ध स्रोत: प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व
काप / कापा:
यह कुमाऊँ के व्यंजन का एक अभिन्न अंग हैं। यह सरसों, पालक आदि के हरे पत्तों को पीस कर बनाया जाता है। इसे रोटी और चावल के साथ लंच और डिनर में खाया जाता है।
यह एक शानदार और पोषक अहार है। ‘काप’ बनाने के लिए हरे साग को काटकर उबाल लिया जाता है। उबालने के बाद साग को पीसकर पकाया जाता है।
अरसा:
अरसा गढ़वाल का एक पारंपरिक पकवान हैं, जिसे शुभ अवसरों में बनाया जाता हैं।
इसे चावल के आटे से बनाया जाता है। आटे में गुड़ मिलाकर इसे गुथा जाता हैं जिसके बाद इससे अलग अलग आकार में छोटी-छोटी रोटियाँ सी बनाई जाती हैं। जिसे घी या तेल में हल्के भूरे होने तक तला जाता हैं।
सिंगल और पुए:
पुए कुमाऊँ में बनाए जाते हैं। इन्हें यहाँ इन्हें त्योहार या किसी शुभ अवसर पर बनाया जाता हैं।
इन्हें बनाने के लिए चावल के आटे में गुड़ या चीनी मिलकर एक रात पहले भिगाकर रखा जाता हैं। इन्हें तेल में गोल आकार में डालकर पूरी जैसा बनाया जाता हैं और रंग आने तक तला जाता हैं। यह खाने में बहुत स्वाद होते हैं।