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हरिद्वार – कुंभ मेला 2021

by Adarsh Gupta
Haridwar

कुंभ पर्व हिन्दू धर्म का एक महत्त्वूर्ण पर्व है, जिसमे करोड़ों भक्त कुंभ स्थल जैसे प्रयाग,हरिद्वार,उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं। इनमे से हर स्थान में बारह वर्षों बाद कुंभ पर्व और प्रयाग में 6 वर्ष बाद कुंभ पर्व का आयोजन होता हैं।

परन्तु इस बार हरिद्वार में 11 वर्ष बाद कुंभ मेला लगा है। इससे पहले हरिद्वार में कुंभ मेला 2010 में लगा था। क्योंकि ग्रह गोचर चल रहे है। दरअसल अमृत योग का निर्माण काल गणना के अनुसार होता है। जब गुरु कुंभ राशि में नहीं होंगे। इसलिए इस बार 11वें साल में कुंभ का आयोजन हुआ है। 83 साल में यह अवसर अब आया है। इससे पहले इस तरह की घटना 1760,1885 और 1938 में हुई थी। इसमें स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होता है। इस साल कुंभ मेले में 4 शाही स्नान होंगे और 13 अखाड़े होंगे। इन अखाड़ों से झांकी निकाली जाएगी। इस झांकी में सबसे आगे नागा बाबा होंगे।।

खगोल गणनाओं के अनुसार यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है। इसमें स्नान करने का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है।

इसके आयोजन को लेकर कई कथाएं है, जिसमे सबसे अधिक प्रचलित है – देव और दानवों द्वारा समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत कुंभ से अमृत बूंदे गिरने को लेकर है। अमृत प्राप्ति के लिए देव —दानवों में बारह दिन तक निरंतर युद्ध हुआ था। देवताओं के बारह दिन मनुष्यों के बारह वर्ष के तुल्य हैं। इसलिए कुंभ भी बारह होते है, जिसमे चार पृथ्वी पर होते है। और शेष आठ देवलोक में है, वहां तक मनुष्यों की पहुंच नहीं है।
कुंभ पर्व की शुरुआत हरिद्वार में हो चुकी है और कुंभ मेला हरिद्वार में अप्रैल 2021 तक रहेगा ।

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