केदारनाथ से 16 किमी ऊपर दूध गंगा घाटी में हिमालय की तलहटी पर साफ पानी से लबालब पैंया ताल आज भी पर्यटकों की नजरों से ओझल है। ताल में पड़ रही मेरू-सुमेरू पर्वत श्रृंखला की छाया इसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा रही है। एक पखवाड़ा पूर्व जिले के दो युवक पहली बार यहां पहुंचे हैं। इससे पहले गरूड़चट्टी में रह रहे बाबा ही ताल तक पहुंचे थे।पर्वत, जल धाराओं और कुंडों की पावन भूमि केदारनाथ से वासुकीताल होते हुए पैंया ताल पहुंचा जाता है। भू-वैज्ञानिकों ने भी इस ताल को नया बताया है। एक पखवाड़ा पूर्व जिले के दो युवक संदीप कोहली और तनुज रावत अपने दो साथियों के साथ केदारनाथ गए थे। वहां से ये लोग वासुकीताल पहुंचे, जहां उन्हें बलराम दास मिले। जो वहां एक गुफा में साधना कर रहे थे।
यूं तो बाबा बीते पांच वर्ष से गरूड़चट्टी में रह रहे हैं, लेकिन वर्षभर में कुछ समय वे यहां साधना के लिए आते हैं। उन्होंने युवाओं को जानकारी दी कि दूध गंगा घाटी में एक भव्य ताल है, जिसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। लगभग तीन वर्ष पूर्व वे पहली बार पैंया ताल गए थे।