Home UttarakhandGarhwal आदि बद्री मंदिर समूह Adi Badri Group of Temples

आदि बद्री मंदिर समूह Adi Badri Group of Temples

by Neha Mehta

Uttarakhand: उत्तराखंड का इतिहास बहुत पुराना है, जिसके बारे में हमें पुराणों से भी पता चलता है। देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में  कई ऐतिहासिक स्थल है, जो यहाँ सदियों पुराने इतिहास के साक्ष्य हैं।

आदिबद्री भगवान विष्णु का सबसे प्राचीन मंदिर है, जिसे उनकी तपस्थली भी कहा जाता है। यह उत्तराखंड के चमोली जिले में कर्णप्रयाग से मात्र 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह 16 मंदिरों का एक समूह है जिसमें से 14 मंदिर आज भी यथावत सुरक्षित हैं और इन मंदिरों की सुरक्षा का जिम्मा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को सौंपा गया है।

आदिबद्री अल्मोड़ा के रानीखेत – कर्णप्रयाग मार्ग पर स्थित है जो कुँमाऊ और गढ़वाल से गुज़रने वाले तीर्थयात्रियों के लिए सुगम मार्ग है। बद्रीनाथ की यात्रा पर जाने वाले यात्री कर्णप्रयाग से लगभग 2 किलोमीटर पहले गैरसैंण की ओर जाने वाली सड़क से आदिबद्री के दर्शन कर सकते हैं।

इस मंदिर के लिए कहा जाता है कि स्वर्ग को जाते समय पांडवों द्वारा इन मंदिरों का निर्माण किया गया था। इसके साथ ही  कुछ मान्यताओं के अनुसार आदि गुरू शंकराचार्य ने इन मंदिरों का निर्माण आठवीं सदी में किया था। जबकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का मानना है कि आदिबद्री मंदिर समूह का निर्माण आठवीं से ग्यारहवीं सदी के बीच कत्यूरी वंश के राजाओं ने करवाया था।

प्रमुख मंदिर भगवान विष्णु का है जिसकी पहचान इसका बड़ा आकार तथा एक ऊंचे मंच पर निर्मित होना है। मुख्य मंदिर के गर्भगृह  में भगवान विष्णु की 3 फुट ऊँची मूर्ति की पूजा की जाती है, जो अपने चतुर्भुज रूप में खड़े हैं।

इसके सम्मुख एक छोटा मंदिर भगवान विष्णु की सवारी गरूड़ को समर्पित है। इसके अलावा मंदिर परिसर में सत्यनारयण, लक्ष्मी, अन्नपूर्णा, चकभान, कुबेर (मूर्ति विहीन), राम-लक्ष्मण-सीता, काली, भगवान शिव, गौरी, शंकर एवं हनुमान को समर्पित हैं। इन मंदिरों पर गहन एवं विस्तृत नक्काशी है तथा प्रत्येक मंदिर पर नक्काशी अलग-अलग और विशिष्ट है।

विष्णु मंदिर की देख-रेख और पूजा थापली गांव के ब्राह्मण पिछले करीब सात सौ वर्षों से करते आ रहे हैं।

आदिबद्री, पंचबद्री में से ही एक है। पंचबद्री जिनमें आदिबद्री, विशाल बद्री, योग-ध्यान बद्री, वृद्ध बद्री और भविष्य बद्री सभी भगवान विष्णु को समर्पित हैं। एक मान्यता है कि भगवान विष्णु प्रथम तीन युगों (सतयुग, द्वापरयुग, त्रेतायुग) तक आदिबद्री मंदिर में ही रहे और कलयुग में वह बद्रीनाथ मंदिर चले गए और जब कलयुग समाप्त हो जाएगा तब वह भविष्य बद्री स्थानांतरित हो जाएँगे।

 

 

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