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सोशल मीडिया गाइडलाइन्स, सरकार ने कहा- आपत्तिजनक सामग्री स्वीकार्य नहीं

by Deepti Pandey

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कम्पनियों के लिए नियमों में बदलाव और इंटरमीडियरी जवाबदेही पर नए दिशा निर्देशों की घोषणा कर दी है।  इसके साथ ही सरकार ने ओटीटी प्लेटफॉर्मस के लिए भी नई गाइडलाइन्स जारी कर दी हैं। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सोशल मीडिया पर गलत भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन अब सरकार सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री को मंजूरी नहीं देगी।

हिंसा फैलाने के लिए हो रहा है सोशल मीडिया का इस्तेमाल- रविशंकर

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमने देखा है कि लोग अब हिंसा फैलाने के लिए भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया को दो श्रेणियों में बांटा गया है,

  1. इंटरमीडरी और
  2. सिग्निफिकेंट सोशल ​मीडिया इंटरमीडरी।
    सिग्निफिकेंट सोशल ​मीडिया इंटरमीडरी पर अतिरिक्त कर्तव्य है, हम शीघ्र ही इसके लिए यूजर संख्या का नोटिफिकेशन जारी करेंगे।

महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट 24 घंटों के अंदर हटाने होंगे- रविशंकर

रविशंकर ने बताया कि अब सोशल मीडिया की त्रिस्तरीय निगरानी होगी। एक शिकायत निवारण तंत्र रखना होगा और शिकायतों का निपटारा करने वाले ऑफिसर का नाम भी रखना होगा। ये अधिकारी 24 घंटे में शिकायत का पंजीकरण करेगा और 15 दिनों में उसका निपटारा करेगा।

पहले यह समयसीमा 72 घंटों की थी। फेसबुक, ट्विटर, व्हॉट्सअप, गूगल जैसी कंपनियों को अब सरकार की बात माननी पड़ेगी और तय समयसीमा के भीतर उन्हें कंटेट भी हटाना होगा। यही नहीं, सरकार कंपनियों से गैर-कानूनी कंटेंट के सोर्स के बारे में भी जानकारी मांग सकती है ताकि उनपर कार्रवाई की जा सके।

कंपनियों को महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट 24 घंटों के अंदर हटाने होंगे। कंपनियों को नियमों का पालन करने पर हर महीने सरकार को रिपोर्ट देनी होगी। उन्होंने कहा कि जिसने सबसे पहले आपत्तिजनक पोस्ट डाली, उसके बारे में सरकार को बताना पड़ेगा। तीन महीनों के अंदर नियमों का पालन करना होगा।

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सोशल मीडिया कंपनी को भारत में ऑफिस खोलना अनिवार्य
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कानून में संशोधन के बाद 50 लाख से ज्यादा यूजर्स वाली सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में अपना ऑफिस खोलना अनिवार्य हो सकता है। साथ ही कंपनी को एक नोडल ऑफिसर भी अपॉइंट करना होगा ताकि सरकार और एजेंसियां जरूरत पड़ने पर उनसे संपर्क कर सकें। नए नियम नोटिफाई होने के बाद लागू कर दिए जाएंगे। इसके बाद सोशल मीडिया कंपनी को कोर्ट या सरकार के आदेश का पालन करना होगा।
इन कंपनियों को कुछ ऐसे टूल तैयार करने होंगे, ऑटोमेटिक्ली गैर-कानूनी कंटेंट को हटाएं और लोगों तक इनकी पहुंच भी कम हो जाए। कंपनियों को अपने यूजर्स को इन नियमों के अनुपालन के बारे में भी समय-समय पर जानकारी देनी होगी। गैर-कानूनी कंटेंट के सोर्स के बारे में बताने के लिए भी कंपनियों को बाध्य होना पड़ेगा। हालांकि अभी तक व्हॉट्सअप जैसी कंपनियां गैर-कानूनी कंटेंट के सोर्स के बारे में जानकारी देने से मना करती रही हैं।

OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए गाइडलाइन्स

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए अब एक नियम हो। हमें ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए नियम बनाने को लेकर हर दिन सैकड़ों पत्र मिल रहे हैं। जावेड़कर ने कहा कि ओटीटी और डिजिटल मीडिया के लिए तीन स्तरीय व्यवस्था की गई है।

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