Home UttaraPedia Special धामों को सजाया जाएगा स्थानीय फूलों से, फूलों की खेती से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

धामों को सजाया जाएगा स्थानीय फूलों से, फूलों की खेती से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

by Diwakar Rautela
badrinath dham decorated with flowers

  कपाट खुलने पर चमोली में उत्पादित गेंदे के फूलों से सजाया जाएगा बदरीनाथ धाम, साथ ही फूलों की खेती के साथ बढ़ेगे प्रदेश में आत्मनिर्भरता के अवसर

यदि चमोली जिला उद्यान विभाग की योजना मूर्त हो पायी, तो इस बार श्री बदरीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब सहित पंच केदार मंदिरों के कपाट खुलने के मौके पर स्थानीय काश्तकारों द्वारा उत्पादित गेंदे के फूलों से खूबसूरती से सजाया जाएगा। हेमकुंड साहिब समेत पंच केदार मंदिरों के कपाटोद्धघाटन में भी दिए जाएंगे फूल। जिले में फूलों की खेती के लिए छह कलस्टर बनाए गए हैं। साथ ही यहाँ उत्पादित हुए फूलों की बिक्री के लिए विभाग बाजार भी उपलब्ध कराएगा।

देखिये बद्रीनाथ धाम पर बना विडियो ?

प्रतिवर्ष बदरीनाथ धाम सहित अन्य मंदिरों के कपाट खुलने और बंद होने की अवसर पर इन मंदिरों को कई क्विंटल फूलों से सजाया जाता है। अभी तक इन धामों की सजावट के लिए मैदानी क्षेत्रों से फूल मगवाए जाते है। केवल बदरीनाथ धाम में ही एक सीजन में लगभग 45 क्विंटल फूलों का प्रयोग हो जाता है, इसे मद्देनजर रखते हुए उद्यान विभाग द्वारा केंद्र पोषित योजना मिशन फॉर नार्थ हिमालया के तहत मंडल घाटी, रैणी, बगोली और माणा क्षेत्रों में फूलों की खेती की योजना बनाई गयी है।

बदरीनाथ महायोजना का प्लान तैयार हो गया है। पहले चरण में अनुमानित 245 करोड़ की लागत से धाम के सौंदर्यीकरण के साथ तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं के कार्य किए जाएंगे।

परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत फूलों की खेती के लिए छह जोन बनाए गए हैं। जिला उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह ने बताया कि फूलों की खेती पर जोर दिया जाएगा। काश्तकारों को इसके लिए प्रेरित किया जा रहा है। उत्पादित फूलों की मठ-मंदिरों के साथ ही शादी समारोह व अन्य सम्मेलनों और त्योहारों के सीजन में भी बड़ी मांग रहती है।

काश्तकारों को दिया जाएगा गुलदस्ता/बुके बनाने का प्रशिक्षण
फूलों की खेती करने वाले काश्तकारों को उद्यान विभाग की ओर से बुके (पुष्प गुच्छ) बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि शादी व अन्य किसी भी समारोह के लिए अभी तक बुके और फूलों के लिए ऋषिकेश व अन्य मैदानी क्षेत्रों में डिमांड दी जाती है। अब जिले में ही फूलों की खेती के साथ साथ काश्तकारों को फ्लावर बुुके व गुलदस्ता बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। जिससे स्वरोजगार के अवसर बढ़ने के साथ साथ वे आर्थिक रूप से सक्षम भी हो सकेंगे।

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