उत्तराखंड के चाय बागान पर्यटन के द्वारा बढ़ाएंगे राज्य आय

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पूर्वोत्तर राज्यों की तरह ही अब उत्तराखंड राज्य के चाय बागान भी पर्यटन के द्वारा प्रदेश की आय का साधन बनेंगे।  नैनीताल जनपद के भवाली स्थित श्यामखेत में यह प्रयोग सफल रहने के बाद अब इसे विस्तार दिया जा रहा है। कौसानी और अल्मोड़ा के विभिन्न चाय बागानों को टी-टूरिज्म के तौर पर विकसित किया जा रहा है। प्रयास यह है कि इन चाय बागानों में नए वित्तीय वर्ष से टी-टूरिज्म की गतिविधियां प्रारंभ हो जाएं। इसके साथ ही उत्तराखंड के चाय बागानों में फिल्म शूटिंग के मद्देनजर मुंबई फिल्म इंडस्ट्री से भी संपर्क करने की तैयारी है।

असम सहित अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में चाय उत्पादन वहां की आय का महत्वपूर्ण श्रोत है। न सिर्फ चाय उत्पादन बल्कि चाय बागानों की सैर और फिल्म शूटिंग के जरिये भी इन प्रदेशों को अच्छी आमदनी हो रही है साथ ही इन राज्यों में रोजगार के मौके भी बढ़े हैं। इस सबको देखते हुए उत्तराखंड ने भी इस माडल को यहां लागू करने का निश्चय किया। इसी के तहत चाय बागानों की हालत संवारने के साथ ही इन्हें पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा रहा है।

इसे क्रम में पहले उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड ने तीन वर्ष पूर्व नैनीताल के भवाली – श्यामखेत स्थित चाय बागान में टी-टूरिज्म की पहल की। 15 हेक्टेयर के इस बागान के लिए पर्यटक सोसायटी गठित की गई। साथ ही ट्रैक का निर्माण, कैफे, पर्यटकों के लिए हट, फोटोग्राफी, सोवेनियर शाप, सुलभ शौचालय जैसी सुविधाएं स्थापित की गयी। बोर्ड के निदेशक संजय श्रीवास्तव के अनुसार इसके अच्छे परिणाम आए। पिछले वित्तीय वर्ष में बागान को पर्यटन से 42 लाख रुपये की आय हुई। कोरोना संकट के बावजूद इस वित्तीय वर्ष में अब तक करीब पांच लाख की आय हो चुकी है। यहाँ आने वाले पर्यटक चाय बागान देखने के साथ ही यहाँ होने वाली चाय की विभिन्न क़िस्मों के बारे में भी जानकारी ले रहे हैं।

श्रीवास्तव के अनुसार अब यही प्रयोग कौसानी और चंपावत के चाय बागानों में धरातल पर उतारा जा रहा है। 35 हेक्टेयर में फैले कौसानी चाय बागान में पर्यटन से संबंधित व्यवस्थाएं जुटाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसके अलावा चंपावत में सिलिंगडांग स्थित चाय बागान के लिए 1.05 करोड़ रुपये की राशि अवमुक्त हो चुकी है। इन दोनों बागानों में भी इसी वित्तीय वर्ष से टी-टूरिज्म की गतिविधियां शुरू हो जाएंगी। उन्होंने ये भी बताया कि इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे अन्य चाय बागानों में भी आकार दिया जाएगा।

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