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हल्द्वानी मेरा शहर

by कुमार
haldwani railway station

नैनीताल जिले का शहर हल्द्वानी 1901 में 6000 लगभग की आबादी के साथ बसा था जो भाभर क्षेत्र का मुख्यालय हुआ करता था। यहाँ 1901और 1902  में आर्य समाज भवन और सनातन धर्म का निर्माण हुआ। उन दिनों इसमें 5 कस्बों और 511 गांव शामिल थे। हालांकि 1891 में नैनीताल जिले के गठन से पहले, यह कुमाउं जिले का हिस्सा था, जिसे बाद में अल्मोड़ा जिला कहा जाता था। सन् 1904 में इसे ‘अधिसूचित क्षेत्र’ के रूप में शामिल किया गया था। और सन 1907 में हल्द्वानी को शहर क्षेत्र का दर्जा मिला था। वर्तमान में हल्द्वानी  हरिद्वार के बाद दूसरा सबसे बड़ा नगर परिषद् है।

हल्द्वानी-काठगोदाम नगर परिषद की स्थापना 21  सितंबर,1942 को हुई थी ।​​ हल्द्वानी अपने में कई इतिहास छुपाये हुए है, हल्द्वानी की स्थापना सन् 1834 में हुई थी, उन दिनों हल्द्वानी को पहाड़ का बाजार के नाम से जाना जाता था । यहां हल्दू के पेड़ अत्यधिक मात्रा में पाए जाते थे, जिसके कारण इस शहर का नाम हल्द्वानी पड़ा। ​हल्द्वानी के स्थानीय शासक चंद वंश के ज्ञान चंद  ने दिल्ली के दौरे के दौरान सुल्तान से अनुदान में गंगा तक भाभार-तराई के क्षेत्रों को प्राप्त किया।

उसके बाद मुग़ल सुल्तानों ने पहाड़ियों पर कब्ज़ा करने की कोशिश की परन्तु क्षेत्र की कठोर पहाड़ी भूमि के कारण उन्हें सफलता प्राप्त नहीं हुई। ​सन् 1815 में जब यहां गोरखों का शासन था, तब अंग्रेज कमिश्नर गार्डनर के नेत्रत्व में अंग्रेजों ने गोरखों को यहां से भगाया। जब जॉर्ज विलियम ट्रेल यहां के कमिश्नर बन कर आये, तब उन्होंने इस हल्द्वानी शहर को बसाने का काम शुरू किया। 1882 में रैमजे ने पहली बार नैनीताल से काठगोदाम तक एक सड़क का निर्माण करवाया था। 24 अप्रेल 1884 को पहली बार काठगोदाम में रेल का आगमन हुआ, जो लखनऊ से काठगोदाम आयी थी।

देखें हल्द्वानी शहर पर बना यह खूबसूरत वीडियो।


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2 comments

nirmay August 24, 2020 - 5:39 pm

nice knowledge

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shashwat August 25, 2020 - 11:04 am

our beautiful city, beautiful article

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