Home Culture उत्तराखंड का पारंपरिक Choliya (छोलिया/छलिया) नृत्य

उत्तराखंड का पारंपरिक Choliya (छोलिया/छलिया) नृत्य

by Neha Mehta

उत्तराखंड के कुमायूँ क्षेत्र में प्रचलित एक नृत्य शैली है। यह मूल रूप से एक शादी के जुलूस के साथ एक तलवार नृत्य है, लेकिन अब यह कई शुभ अवसरों पर किया जाता है।

उत्तराखंड का लोकनृत्य छोलिया उत्तराखंड के लोगों में रोमांच भर देता हैं, इस लेख में जानते है, छोलिया परंपरा कैसे शुरू हुई, इसका इतिहास और वीडियो में लीजिये झालियाँ नृत्य का आनंद!

छोलिया या छलिया उत्तराखंड के कुमायूँ क्षेत्र में प्रचलित एक प्रसिद्ध नृत्य शैली है।  कुमाऊं के लोगों की मार्शल परंपराओं में इसकी उत्पत्ति के अलावा इसका धार्मिक महत्व भी है। यह कला रूप मुख्य रूप से राजपूत समुदाय द्वारा उनके विवाह जुलूसों में प्रदर्शित किया जाता है, जिसे कई अन्य कई शुभ अवसरों पर भी किया जाता है।

छोलिया विवाह में किया जाता है और इसे शुभ माना जाता है क्योंकि यह बुरी आत्माओं और राक्षसों से सुरक्षा प्रदान करता है। ऐसा माना जाता था कि विवाह के जुलूस ऐसी आत्माओं के प्रति संवेदनशील होते हैं जो लोगों की खुशियों को निशाना बनाती हैं।

यह एक आम धारणा थी कि राक्षसों ने नवविवाहितों को मोहित करने के लिए बारात का पीछा किया और छोलिया का प्रदर्शन इसे रोक सकता था।

यह नृत्य  कुमाऊं में पिथौरागढ़, चंपावत, बागेश्वर और अल्मोड़ा जिलों में विशेष रूप से लोकप्रिय है गढ़वाल में भी कुछ जगहों में यह नृत्य देखा जा सकता है।

छोलिया नृत्य का एक हजार साल से पुराना इतिहास रहा है। एक हजार साल से भी पुराने इस नृत्य की उत्पत्ति कुमाऊँ हुई।  यह कुमाऊं में  कत्यूरी और चंद शाशन काल के राजपूत सैनिकों की युद्ध की परंपराओं में जुड़ा हैं।

इस नृत्य में तुतरी या तुरही, रनसिंह (रणसिंह),  धोल (ढोल), दमाउ (दमाऊ) सहित अनेकों पारंपरिक वाद्य यंत्र  प्रयोग में लाये जाते हैं, जो हज़ारों वर्ष पूर्व, युद्ध के समय सैनिकों के मनोबल को बढ़ाने के लिए लड़ाइयों में इस्तेमाल किए जाते थे।

ब्रिटिश पीरियड में इसमें ब्रिटिशर्स आर्मी द्वारा प्रयोग किये गए मसाकबीन (मसकबीन) या बैगपाइप  को इस नृत्य शैली के वाद्य यत्रों को शामिल किया गया।

इस नृत्य में कलाकारों द्वारा प्रयुक्त वेशभूषा कुमाऊं के प्राचीन सैनिको की वेशभूषा से मिलती है। पारंपरिक कुमाउनी पोशाक सफेद चूड़ीदार पायजामा, उनके सिर पर टांका, चोला, चंदन की लकड़ी के लेप से ढका चेहरा जैसे कि तलवार और पीतल की ढाल से लैस लड़ाई के लिए तैयार हो।

आप उत्तराखंड में घूमने आ रहे हैं, विशेषतः कुमाऊं में और इस नृत्य शैली का अनुभव लेना चाहते हों – अपने होटल – रिसोर्ट में आग्रह कर अथवा छोलिया कलाकारों से सीधे संपर्क कर, छोलिया नृत्य कार्यक्रम भी आयोजित करवा सकते हैं, इस हेतु शुल्क कलाकारों, उपकरणों की संख्या, परिधान एवं स्थान विशेष पर निर्भर करेगा।

उत्तराखंड के इस खूबसूरत छलिया नृत्य के बारे में और जानने के लिए वीडियो देखें।

 

 

You may also like

Leave a Comment

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00