नई किस्म में विटामीन सी की मात्रा प्रति 100 ग्राम में 86 मिलीग्राम है जबकि सामान्य टमाटर में यह 32 मिलीग्राम होती है.
अल्मोड़ा. पहाड़ में रोजॉगार का साधन मुख्यतः खेती या फिर सब्ज़ी उत्पादन है. कोरोनाकाल में लौटे कई प्रवासियों ने सब्ज़ी और अन्य रोज़गार शुरू किया है. सब्ज़ी उत्पादन करने वाले ऐसे सभी लोगों के लिए विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से अच्छी ख़बर आई है. संस्थान ने टमाटर की नई किस्त विकसित की है, जिसमें विटामिन की मात्रा दोगुनी से अधिक है. यही नहीं यह टमाटर सामान्य फ़सल के मुकाबले ज़्यादा पैदावार भी देता है. यानी इसकी खेती से किसानों को दोगुना फ़ायदा होने की उम्मीद है.
ढाई गुना तक है विटामिन सी
विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान समय समय पर नये फसलों और सब्जियों के उन्नत बीजों की किस्म को विकसित करता है. इस बार टमाटर की नई किस्म वीएल चैरी टमाटर 1 के नाम से विकसित की है. जो पर्वतीय राज्यों के साथ मैदानी क्षेत्रों में अच्छा उत्पादन दे सकता है.
संस्थान के निदेशक लक्ष्मीकांत ने न्यूज़ 18 को बताया कि संस्थान ने कोरोनाकाल में विटामीन सी अधिक मिले इस दृष्टि से नई किस्म विकसित करने की कोशिश की थी. वीएल चैरी टमाटर-1 के रूप में इस अभियान में सफलता मिली है. नई किस्म में विटामीन सी की मात्रा प्रति 100 ग्राम में 86 मिलीग्राम है जबकि सामान्य टमाटर में यह 32 मिलीग्राम होती है. यह टमाटर सलाद के लिए बेहत्तर माना जा रहा है।
लक्ष्मीकांतकहतेहैं कि संस्थान ने जो टमाटर विकसित किया है उससे काश्तकारों को काफी लाभ हो सकता है. फिलहाल काश्तकारों के लिए संस्थान बीज उपलब्ध करा रहा है. जो प्रवासी और अन्य किसान टमाटर से ही अपनी आजीविका चला रहे है उनके लिए यह बेहतर विकल्प है.
विटामिन सी अधिक होने की वजह से यह इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में काम करेगा और इस वजह से किसानों को इसके अच्छे दाम मिलने की भी उम्मीद है. यानी किसानों को इस टमाटर की फ़सल में दोहरा फ़ायदा हो सकता है.