लखुउडियार शैलाश्रय अल्मोड़ा

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हजारों वर्ष पूर्व, प्रागेतिहासिक युग के लोग कैसे रहते होंगे, जब आदमी पेड़ो और गुफाओं में रहा करता था। जब उसने पत्थरों से आग जलाना सीखा, और फिर पत्थरों के हथियार बना, शिकार करना सीखा, और उसने सीखा – अपने शिकार को आग में आग मे भून कर खाना।

इसके साथ उसने चित्र बनाने भी सीखे और calligraphy की शुरुआत की शुरुआत की, और उस युग के बने कुछ चित्रों को  देखने के लिए उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में ‘लखुउड्यार‘ नाम की जगह मे आया जा सकता है।

लखुउड्यार बहुत ज्यादा नहीं बदला, प्रागेतिहासिक युग मे यह जगह जैसी रही होगी, आज भी उतनी ही शांत हैं,  सिवाय इसके कि अब ये मोटोरेबल रोड के किनारे हैं, और motrable सड़क से, यहाँ तक पहुचने के लिए सीमेंटेड रास्ता।

लखुउडीयार शैलाश्रय – अल्मोड़ा से 15 किलोमीटर और चितई से से 7 किमी की दूरी पर बाड़ेछीना के निकट चीड़ के पेड़ो से घिरे एक शांत और सुरम्य स्थल पर है।

यूं तो शैलाश्रय देश के विभिन्न हिस्सों सहित, दुनियाभर मे कई जगहों पर हैं।

लखु जिसका अर्थ है –  ‘लाख‘ यानि 100 thousand, उड्यार यानि खोह, या गुफा, – प्राकृतिक रूप से बने शेल्टर को कहते हैं, लखु उडियार का अर्थ है   – 100 thousand केव्स।

लखु उड्यार – में शैलाशृय पर उकेरी विभिन्न आकृतियों के लिए यह माना जाता है कि, ये आकृर्तियाँ, आदम युग के मानव ने बनाई हैं, स्वयं को अभिव्यक्त करने के लिए।

इन चित्रों में उनके दैनिक जीवन, जानवर और शिकार के तरीकों को काले, लाल और सफेद रंगों में उंगलियों द्वारा बनाया गया है। और हजारों वर्षों के बीतने के बाद ये आकृतिया अब भी दिखाई देती हैं, हालांकि थोड़ा धुंधली पड़ी हैं। माना जाता है कि प्रागेतिहासिक मानव – इन शैलाश्रयों यानि stone shelters मे बारिश और प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए रहा करता होगा।

लखुड़ियार एक अच्छा पिकनिक स्थल भी हैं, यहाँ से दिखती नीचे की ओर बहती नदी, और चारों ओर चीड़ के जंगल की ठंडी हवाओं के बीच परिवार अथवा मित्रों के साथ इतिहास के बीते पलों को महसूस करते हुए, वक्त बिताने के लिए, ये अद्भुत जगह है।

देखिये, लखुउडीयार स्टोन शेल्टर की विस्तृत जानकारी देता यह वीडियो। ?


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