Home UttarakhandGarhwalChamoli डाली डाली फूलों की, तुझको बुलाये रे मुसाफिर मेरे उत्तराखंड में…- ‘बेदिनी बुग्याल’

डाली डाली फूलों की, तुझको बुलाये रे मुसाफिर मेरे उत्तराखंड में…- ‘बेदिनी बुग्याल’

by Vikram S. Bisht
Bedini Bugyal

डाली डाली फूलों की, तुझको बुलाये रे मुसाफिर मेरे उत्तराखंड में…, इन पंक्तियों को सुन कुछ याद आता है, तो वह है –बेदिनी बुग्याल‘ है।

 

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित, मशहूर पर्यटक स्थल बेदिनी बुग्याल की कुछ अलग ही पहचान है। यूं तो उत्तराखंड में बहुत सारे बुग्याल है, लेकिन यह सबसे बड़ा बुग्याल है। इस स्थान को अगर शांत और प्राकृतिक सौंदर्य का, पहरेदार कहा जाए तो कम ना होगा।

 

हजारों फीट की ऊंचाई पर दूर-दूर तक फैली हरी, मखमली, अनछुई हरियाली से भरी वादियां, पेड़ पौधों के बीच पक्षियों के चहकने कि मधुर सुरीली आवाज़, यहां आने वाले हर सैलानी को मदहोश कर देती है। यहां एक बार आकर पर्यटक वापस नहीं लौटना चाहते हैं।

 

बुग्याल एक गढ़वाली शब्द है, जिसका अर्थ होता है ऊंचे पहाड़ों पर घास का मैदान। यूं तो बुग्याल सर्दियों में बर्फ की चादर ओढ़ लेते हैं, और फरवरी-मार्च के महीने में बर्फ पिघलनी शुरू होती है। गर्मियों के दिनों में यहां मौसम सुहाना होता है, और वादियों में रंगबिरंगे खिले फूलों की खुशबू, दूर तक फैली हरी घास की चादरें पर्यटक को को मदमस्त कर देती है।

 

बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियों के बीच, समुद्र तल से लगभग 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित, बेदिनी बुग्याल का नजारा ही कुछ अद्भुत और अनोखा है। मीलों फैले हरी मखमली घास के मैदान का दृश्य ही कुछ अनोखा है। इस बुग्याल के बीचोंबीच फैली झील, यहां के सौंदर्य में चार चांद लगा देती है

 

Bedini Kund Pic Credit-Gokul Singh Negi

Bedini Kund, Pic Credit- Gokul Singh Negi

 

बेदिनी बुग्याल में एक पौराणिक नंदा देवी मंदिर स्थित है। यह मंदिर पत्थरों से बना हुआ है, और प्राकृतिक कुंड के किनारे विराजमान है। यह प्राकृतिक कुंड बेदिनी कुंड के नाम से मशहूर है।

 

 

 

बेदिनी बुग्याल में घास के मखमली मैदान के अलावा, कई  प्रजातियों के जंगली फूल और कई अनमोल जड़ी बूटियां पाई जाती हैं। यहां कस्तूरी मृग, मोनाल और कई अलग-अलग  प्रकार के अन्य पशु पक्षी पाए जाते हैं।

 

यहां से चौखम्भा, नीलकंठ, आदि पर्वत, बंदरपूंछ, नंदा घुंटी आदि हिमालयी पर्वत मालाओं का अलौकिक और अविस्मरणीय दृश्य दिखाई देता है। यहां से सूर्यास्त का दृश्य भी बड़ा मनमोहक प्रतीत होता है।

 

इसलिए पूरा बेदिनी बुग्याल घूमने योग्य है, यहां वादियों के सौंदर्य के दर्शन के साथ-साथ ट्रैकिंग का लुफ्त उठाया जा सकता है। बेदिनी बुग्याल आने का सही समय मईजून और सितंबरअक्टूबर के महीनों में हैं।

 

अपनी खूबसूरती के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध बेदिनी बुग्याल, वाँण गांव के पास, रूपकुंड के रास्ते में पड़ता है। यह बुग्याल वाँण गांव से 12 किलोमीटर की दूरी पर है। वाँण गांव से बुग्याल तक सड़क नहीं है, अतः बेदिनी बुग्याल तक का सफर, ट्रैकिंग के माध्यम से ही तय करना पड़ता है।

 

चमोली जिले के दुर्गम गांव वाँण तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। पहला हल्द्वानी, कौसानी, ग्वालदम, देवाल, लोहाजंग से होते हुए वाँण गांव तक जाया जा सकता हैं, या फिर हरिद्वार, ऋषिकेश, कर्णप्रयाग, थराली, देवाल, लोहाजंग होते हुए वाँण गांव तक पहुंचा जा सकता है।

 

वाँण से बेदिनी के लिए 12 किलोमीटर का चढ़ाई वाला पहाड़ी रास्ता शुरू होता है। सैलानियों को यहां आने के लिए अपने साथ गर्म कपड़े, टेंट, ट्रैकिंग शूज, पीने का पानी, पैक खाना आदि लेकर चलना चाहिए।

 

एक बार यहां पहुंचने के बाद वापस लौटने का मन नहीं करता। जिसका कारण है, दूर तक फैली हरी घास की चादरें, प्राकृतिक झील के नजारे और रंगबिरंगें फूलों की महकती खुशबू

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3 comments

Saurav August 27, 2020 - 5:43 pm

Bahut sunder lekh

Reply
Neeraj Bhojak August 28, 2020 - 4:44 am

Wow amazing.

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B S Bisht August 29, 2020 - 1:10 am

Waah bhai…. ??

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