प्रकृति द्वारा अपने कुछ सबसे सुन्दर आभूषणों से सुसज्जित हिमालय की गोद में बसा है उत्तराखंड। उत्तराखंड को देव भूमि अर्थात देवताओं की भूमि’ की उपमा दी जाती है, एक ऐसी जगह जहाँ देवता स्वयं निवास करते हैं। उत्तराखंड का बड़ा हिस्सा वनों से आच्छादित है, यहाँ हरियाली, वन्य जीवन की विविधता के साथ अनेकों वनस्पतियों, जीवन दायिनी जड़ी- बूटियों की प्रजातियां मिलती है, जिनका भारतीय पुराणों/ प्राचीन ग्रंथों में भी वर्णन है।
हिमालय की ऊंचाइयों में बिखरे बर्फ के ग्लेशियर जो कई पवित्र और जीवनदायी नदियां का उद्गम है। हिमयुगीय संरचनाओं के अनुसार, हिमालय श्रृंखला के पाँच पारंपरिक भागों में से दो उत्तराखंड में पाए जाते हैं, अर्थात् गढ़वाल और कुमाऊँ। गढ़वाल के प्रमुख हिमनदों में बंदरपूँछ, दुनागिरी, खटलिंग, गंगोत्री और ग्लेशियर के नंदा देवी समूह शामिल है।
जबकि कुमाऊं में मिलम, पिंडारी और रालम ग्लेशियर शामिल हैं। पर्वतारोहण मानव द्वारा पहाड़ों को जानने के लिए किया गया था। प्राचीन काल से, ऋषि-मुनियों और तीर्थयात्रियों के लिए पहाड़ अपार ऊर्जा, ज्ञान और आनंद का स्रोत थे, क्योंकि वे न केवल एकांत के स्थान प्रदान करते हैं, बल्कि उनके द्वारा आत्म उत्थान हेतु स्थान मिलता और इन पर्वतों को अतुलनीय बनाती है, अनंत की यात्रा के लिए राह देती है।
छुट्टियाँ बिताने के लिए भी लोग इन पहाड़ों का रुख़ करते है, ये पहाड़ कई साहसिक गतिविधि के लिए क्रीड़ा स्थल हैं। ऊँचे स्थानों में ट्रेकिंग, अधिक ऊंचाई पर स्थित कैंपिंग, माउंटेन बाइकिंग, रॉक क्लाइंबिंग और स्कीइंग साहसिक गतिविधियों में से कुछ हैं।
प्रकृति-प्रेमी और फोटोग्राफर प्रकृति के इस कोष में दुर्लभ वनस्पतियों और जीवों के साथ जीवन के नये अनुभव लेते हैं, यहाँ वन्य जीवों और वनस्पतियों की हजारों प्रजातियों हैं। कई तो केवल दुनिया के इसी हिस्से में पायी जा सकती हैं। प
उत्तराखण्ड के पहाड़ी भाग बर्फ से ढकी चोटियाँ से घिरे दिखते है और हिमालय की तरह ही विशाल हैं, यहाँ रहने वालों का हृदय । उत्तराखंड के बारे में कहा जाता है कि हैं यहाँ प्रकृति, पहाड़, घाटियाँ, मैदान, पक्षी, पशु और मानव सभी एक सूत्र में एक परिवार की तरह रहते हैं।