Home Tourism Gwaldam: कम भीड़ और प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण

Gwaldam: कम भीड़ और प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण

by Neha Mehta

Uttarakhand: उत्तराखंड में कई बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन हैं, जहां साल के 12 महीनो या किसी विशेष अवसर पर भीड़ होती हैं, लेकिन यदि आप उत्तराखंड में की ऐसी जगह, जहां भीड़ कम और  प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण हो जाना चाहते हैं तो उत्तराखंड में  एक छोटे से हिल स्टेशन ग्वालदम ऐसी ही जगह में से एक है।

ग्वालदम कुमाऊँ और गढ़वाल के मध्य, चमोली जिले मे स्थित प्राकृतिक सुंदरता से भरा एक छोटा हिल स्टेशन है।

ग्वालदम एक छोटा पहाड़ी कस्बा है जहां टॅक्सी स्टैंड मे सड़क के किनारे टॅक्सी, आस पास मुसाफिरों के लिए भोजनालय, पहाड़ के घुमावदार सफर से यात्रियों को राहत देती ग्वालदम की ताजी हवाएँ और प्रफुल्लित करने वाला वातावरण है। जो शहर से दूर एक  बेहद मनोरम अनुभव देता है।

ग्वालदम कुमाऊँ और गढ़वाल जाने वाले यात्रियों के साथ सुप्रसिद्ध नन्दा राजजात यात्रा और रूपकुंड ट्रेक के रूट मे भी महत्वपूर्ण पड़ाव हैं।

ग्वालदम में बधानगढ़ी एक छोटा ट्रैक है, जहां मां दक्षिणेश्वर काली का मंदिर है। मां के दर्शन के साथ आपको यहां से हिमालय की वृहद श्रंखलाए, घाटी के महमोहक नज़ारों के साथ सुदूर पहाड़ियों मे फैले गाँव के सुंदर दृश्य दिखाई देते हैं।

यहाँ से दिखने वाली हिमालय श्रृंखलाओं , मन्त्र मुग्ध कर देने वाले प्रकृति के नजारों, यहाँ के ठन्डे मौसम और ग्वालदम(Gwaldam) ट्रेकिंग प्रेमियों के साथ उन लोगों के लिए भी अच्छा destinaation हैं – जो शांत जगहों में प्रकृति के साथ अपनी छुट्टियाँ बिताना चाहते हैं।

बधानगढ़ी से इस सुंदर दृश्य को देखने के लिए  gwaldam से करीब 8-9 किलोमीटर motorable रोड से हैं, उसके बाद 2-3 किलोमीटर का रास्ता ट्रेक कर तय किया जाता हैं।

ग्वालदम से कर्णप्रयाग रोड मे 4-5 किलोमीटर आगे जाकर एक अलग छोटी रोड बधानगढ़ी के लिए जाती हैं। हिमालय की शृंखलाए ग्वालदम की सड़कों से गुजरते हुए भी बेहद आकर्षक दिखाई देती हैं।

बधानगढ़ी मंदिर ट्रेक पर्यटकों के लिए less known destination हैं, इसलिए ज़्यादातर उत्तराखंड के समीपवर्ती जिलों के लोग यहाँ आते हैं,

ग्वालदम से बधानगढ़ी को जाते  हुए इस शांत और लुभावने दृश्य को देखकर मन में देश की जनसंख्या को लेकर प्रश्न उठ जाता है। क्योंकि व्यस्त शहरों को देख, कोई भी आसानी से समझ लेते हैं, कि – भारत आबादी के दुनिया के शीर्ष देशों मे हैं। जबकि, शहरों से दूर इस ट्रेक्किग रूट पर प्रकृति के अतिरिक्त जब कोई दूर तक कोई नहीं दिखता तब लगता हैं, घनी आबादी का कारण देश मे – कम जमीन का होना नहीं, बल्कि हमने खुद को शहरों मे भर लिया हैं।  और बड़े सारे ग्रामीण  भूभाग में हम नहीं रहना चाहते –  क्योकि वहाँ बड़े बड़े मॉल, स्कूल, मार्केट, हॉस्पिटल, रोशनी से नहाई शामें, उपभोग और उपभोक्तवादी जीवन को आसान करने वाले साधनों का आभाव हैं।

शहरों के विपरीत छोटे क़सबों की बाज़ार, और सड़के  शाम ढलते ही वीरान हो जाती हैं।

यहाँ से दिखते हैं मीलों तक फैली प्रकृति के खूबसूरत landscape। शहरों मे लगे एयर कंडीशनरसग, कमरे की गर्म हवा को ठंडा कर दें,  लेकिन पेड़- पौधों कि तरह शुद्ध oxyzen तो नहीं पैदा कर सकते।

बाधनगढ़ी पहुच कर लगता हैं, किसी और ही दुनिया मे आ गए, एकदम से पूरे दृश्य बदल जाते हैं,  दूर तक खुली घाटियां दूर पहाड़ियों मे बसे गाँव और कस्बे, और सबसे पीछे ऊंची  हिमालय की वृहद श्रंखलाए, यहाँ से नंदादेवी, पंचचुली, त्रिशूल सहित हिमालय की बेहद आकर्षक छवि नज़र आती हैं।

यहां माँ कालि के साथ भगवान शिव को समर्पित हैं, मन्दिर का निर्माण 8वी और 12वी शताब्दी के मध्य मे कत्युरी वंश के राजाओं ने किया।

ग्वालदम के बारे में और जानने के लिए वीडियो देखें। https://youtu.be/q7Wskk3TZ0Q

You may also like

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00