अल्मोड़ा जिले के दौलाघट तिखौन पट्टी के अंतर्गत छाना गांव में मोहन चन्द्र तिवारी के घर में दुर्लभ ताम्र पत्र मिला है। ये 424 साल पुराना है। माना जा रहा है कि यह ताम पत्र तत्कालीन चंद शासक रूद्र चंद ने थाना गांव के तिवारी परिवार के एक पूर्वज को दिया था। यह ताम्र पत्र 1596 ईस्वी का है। इसमें तीन वीसी भूमि लगभग 450 नाली दान करने का आदेश दिया गया था। यह ताम्रपत्र तत्कालीन चंद शासक रुद्रचंद ने छाना गांव के तिवारी परिवार के एक पूर्वज को दिया था। जिसमें 450 नाली जमीन देने का आदेश है।
रुद्रचंद ने अपने शासन काल में विजित क्षेत्रों का विधिवत बंदोबस्त किया था। वह अपने रजवारो को भी कई नाली जमींन रोंत में दे दिया करता था
सूचना मिलने पर पुरातत्व विभाग की टीम ने तुरंत गांव पहुंचकर इस महत्वपूर्ण ताम्रपत्र को अपने रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया। वहीं क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. चंद्र सिंह चौहान ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि छाना गांव में किसी तिवारी परिवार के पास दुर्लभ ताम्र पत्र मौजूद है। जिसके बाद खोजबीन करते हुए पुरातत्व विभाग की टीम वहां पहुंची। जिसके बाद उन्हें यह ताम्र पत्र मिला।
आपको बता दें, राजा रुद्रचंद का कार्यकाल 1565 से 1597 तक माना जाता है, जबकि उन्होंने 1596 ई. में यह ताम्रपत्र प्रदान किया। यह ताम्रपत्र करीब 700 ग्राम वजन का है। ताम्रपत्र कुमाऊंनी भाषा में लिखा गया है।
इस ताम्रपत्र को तत्कालीन राजा रुद्रचंद ने तिवारी परिवार के पूर्वज किशलाकर तिवारी को दिया था। इसमें तिखौन पट्टी में उन्हें करीब 450 नाली भूमि दान में देने का आदेश है। भूमि दान के इस ताम्रपत्र में राजा रुद्रचंद के पुत्र लक्ष्मण चंद सहित 16 लोगों को गवाह बनाया गया था। सभी 16 लोगों के नाम भी ताम्रपत्र में दर्ज हैं।