विश्व की योग राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित, गंगा नदी के किनारे बसा पौराणिक, आध्यात्मिक, धार्मिक और पर्यटक नगर ऋषिकेश (Rishikesh), देवभूमि उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहारादून से लगभग 43 किलोमीटर की दूरी पर और हरिद्वार से 25 किमी की दूरी पर स्थित है।
यह स्थान यहाँ के योग, ध्यान, आध्यात्म, शिक्षा, संस्कृति के अलावा कई अन्य साहसिक और मनोरंजक गतिविधियों के लिए जैसे – रिवर रैफ्टिंग, Paragliding, bungee jumping, Camping, tracking, hiking आदि के लिए भी जाना जाता है। हर आयु वर्ग और रूचि रकने वालों के लिए कुछ न कुछ अवश्य हैं, चाहे आप पर्यटक हो, अध्यात्मिक अन्वेषक हों, ट्रैकर हों, शांति व ध्यान की तलाश में हों या फिर हों तीर्थयात्री।
कहा जाता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है। हर साल यहाँ के आश्रमों के बड़ी संख्या में, भारतीयों के साथ साथ विदेशी पर्यटक व तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शान्ति और आध्यात्मिक उपलब्धि के खोज में, नियमित रूप से यहाँ पहुचते रहते हैं।
ऋषिकेश से सम्बंधित अनेक धार्मिक कथाएँ प्रचलित हैं। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकला विष शिव ने इसी स्थान पर पिया था। विष पीने के बाद उनका गला नीला पड़ गया और उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना गया।
लक्ष्मण झूला
एक अन्य जनश्रुति के अनुसार भगवान राम ने वनवास के दौरान यहाँ के जंगलों में अपना समय व्यतीत किया था। रस्सी से बना लक्ष्मण झूला इसका प्रमाण माना जाता है।
1939 ई० में लक्ष्मण झूले का पुनर्निर्माण किया गया। यह भी कहा जाता है कि ऋषि रैभ्य ने यहाँ ईश्वर के दर्शन के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान हृषीकेश के रूप में प्रकट हुए। तब से इस स्थान को ऋषिकेश नाम से जाना जाता है।
लक्ष्मण झूला ऋषिकेश शहर के उत्तर-पूर्व में 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गंगा नदी के एक किनार को दूसर किनार से जोड़ता यह झूला नगर की विशिष्ट की पहचान है। पूरा पुल लोहे और रस्सियों से बना हुआ है और यह 450 फीट लंबा है और गंगा नदी से 70 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
ऋषिकेश में कई दर्शनीय स्थल हैं,
त्रिवेणी घाट
ऋषिकेश में स्नान करने का यह प्रमुख घाट है जहां प्रात: काल में अनेक श्रद्धालु पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं। कहा जाता है कि इस स्थान पर हिन्दू धर्म की तीन प्रमुख नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है।
इस घाट पर शाम की आरती के दौरान अद्भुत नजारा देखने को मिलता है जो आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है।
स्वर्ग आश्रम
स्वर्ग आश्रम को स्वामी विशुद्धानंद की याद में बनवाया गया था। यह एक आध्यात्मिक आश्रम है, जिसे काली कमली वाला के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वे हमेशा काले रंग का कम्बल पहने रहते थे।
राम झूला और लक्ष्मण झूला के बीच स्थित, भारत का यह सबसे पुराना आश्रम है और ऋषिकेश के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में से एक है। इस आश्रम से सूर्यास्त का नजारा देखने के लिए पर्यटक जुटते हैं। यहां योग और ध्यान करने के लिए 300 रुपये का शुल्क लगता है।
नीलकंठ महादेव मंदिर
नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश शहर से 12 किमी दूर स्थित है। लगभग 5500 फीट की ऊंचाई पर स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर नीलकंठ महादेव मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया गया था। विषपान के बाद विष के प्रभाव के से उनका गला नीला पड़ गया था और उन्हें नीलकंठ नाम से जाना गया था। मंदिर परिसर में पानी का एक झरना है जहां भक्तगण मंदिर के दर्शन करने से पहले स्नान करते हैं।
भरत मंदिर
यह ऋषिकेश का सबसे प्राचीन मंदिर है जिसे 12 शताब्दी में आदि गुरू शंकराचार्य ने बनवाया था। भगवान राम के छोटे भाई भरत को समर्पित यह मंदिर त्रिवेणी घाट के निकट ओल्ड टाउन में स्थित है। आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा रखा गया श्रीयंत्र भी यहां देखा जा सकता है।
कैलाश निकेतन मंदिर
लक्ष्मण झूले को पार करते ही कैलाश निकेतन मंदिर है। इस मंदिर में सभी देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। ये मंदिर 13 मंज़िला है, ये से नदी और लक्ष्मण झूले का व्यू काफ़ी ख़ूबसूरत लगता है। राम झूला लगभग 229 मीटर (750 फीट) लम्बा पुल जो मुनि की री रेटि और स्वरागश्रम छेत्र को कनेक्ट करता है।
वशिष्ठ गुफा
ऋषिकेश से 22 किलोमीटर की दूरी पर 3000 साल पुरानी वशिष्ठ गुफा बद्रीनाथ-केदारनाथ मार्ग पर स्थित है। इस स्थान पर बहुत से साधुओं विश्राम और ध्यान लगाए देखे जा सकते हैं। कहा जाता है यह स्थान भगवान राम और बहुत से राजाओं के पुरोहित वशिष्ठ का निवास स्थल था। वशिष्ठ गुफा में साधुओं को ध्यानमग्न मुद्रा में देखा जा सकता है। गुफा के भीतर एक शिवलिंग भी स्थापित है। यह जगह पर्यटन के लिये बहुत मसहूर है।
गीता भवन
राम झूला पार करते ही गीता भवन है जिसे 1950 ई. में श्री जयदयाल गोयन्दकाजी ने बनवाया गया था। यह अपनी दर्शनीय दीवारों के लिए प्रसिद्ध है। यहां रामायण और महाभारत के चित्रों से सजी दीवारें इस स्थान को आकर्षण बनाती हैं। यहां एक आयुर्वेदिक डिस्पेन्सरी और गीताप्रेस गोरखपुर की एक शाखा भी है। प्रवचन और कीर्तन मंदिर की नियमित क्रियाएं हैं। शाम को यहां भक्ति संगीत की आनंद लिया जा सकता है। तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए यहां सैकड़ों कमरे हैं।
ऋषि कुंड
ऋषि कुंड एक प्राकृतिक गर्म पानी का तालाब है जिसे शहर में एक पवित्र जल निकाय माना जाता है। मान्यता है कि यमुना नदी के आशीर्वाद के बाद एक ऋषि ने इस तालाब को पानी से भरा था। स्थानीय लोगों का यह भी मानना है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान कुंड में स्नान किया था और इस स्थान पर गंगा और यमुना एक दूसरे से मिलती हैं। इस तालाब में स्नान करना अपने आप में काफी सुकून भरा होता है यही कारण है कि ऋषिकेश आने वाले पर्यटक ऋषि कुंड में स्नान जरूर करते हैं।
Activities
Rafting
ऋषिकेश में विशेषरूप से राफ्टिंग के लिए भारी संख्या में पर्यटक आते हैं। यहां कुछ सर्टिफाइड ऑपरेटर हैं, जो राफ्टिंग के लिए अच्छी सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराते हैं और ऋषिकेश में कैंपिंग और राफ्टिंग के लिए अनुकूलित पैकेज भी है। यदि आप स्ट्रेस फ्री आउटिंग चाहते हैं तो आपके भोजन, पानी और राफ्टिंग की व्यवस्था संचालकों द्वारा की जाती है। यदि आप स्वंय व्यवस्था करना चाहते हैं तो उसका भी विकल्प मौजूद है। पीक सीजन में ऋषिकेश में राफ्टिंग के लिए काफी भीड़ देखी होती है।
Bungee Jumping
ऋषिकेश को एडवेंचरर पसंद लोगो के लिए तीर्थ की तरह है, खतरों से खेलने का शौक रखने वालों के बीच यहां का बंजी जम्पिंग सबसे अधिक लोकप्रिय है। जम्पिंग हाइट्स की टीम बंजी जम्पिंग, फ्लाइंग फॉक्स और विशाल झूलों जैसे विभिन्न एडवेंचरस विकल्प देती है। आपको यहां पूरी सुरक्षा मुहैया करायी जाती है और बंगी जम्पिंग करने के लिए बस हिम्मत की जरूरत होती है। लेकिन इसका एक अलग ही आनंद होता है। बंगी जम्पिंग स्पॉट मुख्य शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है और यह आपके जीवन का सबसे रोमांचकारी अनुभव साबित हो सकता है।
योग राजधानी बनने के बाद ऋषिकेश पर्यटन में अचानक से तेजी आई, ऋषिकेश में हर साल लाखों लोग योग सीखने पहुंचते हैं। हर रोज हरिद्वार और ऋषिकेश के बीच नियमित बस सेवा सुचारू है
ऋषिकेश पहुचने के लिए
वायुमार्ग
ऋषिकेश से 18 किलोमीटर की दूरी पर देहरादून के निकट जौली ग्रान्ट एयरपोर्ट नजदीकी एयरपोर्ट है। एयर इंडिया, जेट एवं स्पाइसजेट की फ्लाइटें इस एयरपोर्ट को दिल्ली से जोड़ती है।
रेलमार्ग
ऋषिकेश का नजदीकी रलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो शहर से 5 किलोमीटर दूर है। ऋषिकेश देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग
दिल्ली के कश्मीरी गेट से ऋषिकेश के लिए डीलक्स और निजी बसों की व्यवस्था है। राज्य परिवहन निगम की बसें नियमित रूप से दिल्ली और उत्तराखंड के अनेक शहरों से ऋषिकेश के लिए चलती हैं।
खरीददारी
ऋषिकेश में हस्तशिल्प का सामान अनेक छोटी दुकानों से खरीदा जा सकता है। यहां अनेक दुकानें हैं जहां से साड़ियों, बेड कवर, हैन्डलूम फेबरिक, कॉटन फेबरिक आदि की खरीददारी की जा सकती है। ऋषिकेश में सरकारी मान्यता प्राप्त हैन्डलूम शॉप, खादी भंडार, गढ़वाल वूल और क्राफ्ट की बहुत सी दुकानें हैं जहां से उच्चकोटि का सामान खरीदा जा सकता है।
ऋषिकेश में ठहरने के लिए आपके पास कई ऑप्शन है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि कम बजट में आप ऋषिकेश में कैसे और कहां कमरे बुक कर सकते हैं
Stay
पीक सीजन में महंगे होते हैं कमरें
गर्मी की छुट्टी में ज्यादातर लोग ऋषिकेश और हरिद्वार घूमने जाते हैं और यहां पीक सीजन में होटल के कमरे काफी महंगे मिलते हैं।
लेकिन ऋषिकेश में कई आश्रम हैं जहां कम बजट में कमरे मिल जाते हैं। कई प्रसिद्ध आश्रमों के कमरे काफी बड़े होते हैं। एसी कमरे में डबल बेड, टीवी, टेबल, कुर्सी जैसी सभी बेसिक सुविधाएं मिलती है। इन आश्रम में कमरे 350 रुपए से शूरू हो जाते हैं। लेकिन यहाँ रहने के लिए बुकिंग पहले करानी होती है।
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