Home UttarakhandKumaonChampawat Mahadev: महादेव के गले में लिपटे हुए नाग का मंदिर जिसका नाम है नागनाथ का मंदिर

Mahadev: महादेव के गले में लिपटे हुए नाग का मंदिर जिसका नाम है नागनाथ का मंदिर

by Pooja A

नागनाथ का मंदिर (Nagnath Mandir Champwat )

जैसा कि इस मंदिर के नाम से ही पता चलता है, नाग+नाथ, नाग यानी सांप और नाथ भगवान भोले नाथ के नाम पर पड़ा है अब आपको पता ही होगा कि भगवान शंकर ने जब समुद्र मंथन से निकले विष को पिया था, तो वह विष गले से नीचे न जाये इसके लिए नाग भोलेनाथ के गले के आभूषण बन गए इसलिए यहाँ मंदिर उनके नाग व उनके लिए समर्पित है, इस मंदिर में एक बरगद का बड़ा सा पेड़ भी है जो कि यहां आए भक्तों को शीतल शीतल हवा प्रदान करता है,

कहा स्थित है

नागनाथ मंदिर , चम्पावत जिले के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है जो कि भगवान शिव को समर्पित है, जो कि सांप के लिए एक लगाव रखते थे और अपनी गर्दन के चारों ओर एक अनमोल गहने की तरह पहनते थे। उत्तर भारत के विशेष पहाड़ी शहरो में हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार उत्तर भारत के लोग भगवान शिव को प्रमुख देवता के रूप में पूजा करते है।
नागनाथ मंदिर के बारे में स्थानीय लोगो द्वारा कहा गया है कि यहां पूजा अर्चना करने से संतान सुख की प्राप्ति तो होती ही है एवम् शत्रुओं का नाश भी होता है । यह भी कहा जाता है कि चंद राजाओं ने जब चम्पावत जिले में अपनी राजधानी स्थापित की तो चम्पावत के शीर्ष भाग में नगर की रक्षा के लिए नाथ संप्रदाय के एक महंत ने अपना डेरा जमाया । जिसे राजा ने अपना गुरु मानते हुए उनसे आशीर्वाद लिया और यह स्थान नागनाथ के रूप में जाना जाने लगा । भगवान शिव के बारे में यह माना जाता है कि शिव मृत्यु के विजेता है और अपने सभी भक्तो को हर संभव मुसीबत से बचाते है एवम् जीवन को शांतिपूर्ण और सफल बना देते है | इस मंदिर में नागनाथ की धूनी के साथ ही कालभैरव का भी मंदिर है।

नागनाथ मंदिर की स्थापना

यह मंदिर पहाड़ियों के लोकप्रिया व प्रसिद्ध गुरु गोरखनाथ ने बनाया था, उन्हें महादेव के प्रति बहुत आस्था थी इसीलिए उन्होंने इस मंदिर का निर्माण  करवाया, 18 वीं सदी के आसपास जब उत्तराखंड में गोरखाओ ने आक्रमण करके अपना अधिकार किया तो उन्होंने इस मंदिर को  क्षतिग्रस्त कर दिया था आक्रमण किया तो उन्होंने इस मंदिर को थोड़ा सा छतिग्रस्त कर दिया था,वक्त के साथ इसका क्षतिग्रस्त हिस्सों को सही कर दिया गया और यह आज अच्छी हालत में हैl

किन्तु इस मंदिर के बाएं हाथ में चंद राजाओं का एक पुराना किला है जो वक्त के साथ बहुत ज्यादा अत्याधिक क्षतिग्रस्त हो गया है किन्तु आज भी यहाँ किला उस समय की कहानी व्यक्त कर रहा है आश्चर्य की बात यह है कि यहाँ एक राष्ट्रीय धरोहर होने पर भी यहाँ आज ऐसी स्थिति में है, इस किले का नाम राजबुंगा का किला है जो की उस समय की संस्कृति व रहन सहन को दर्शाता हैl

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