नैनीताल में हो रही ‘नीदरलैंड’ के सेब की खेती, देखिये उत्तराखंड के सेब और सेब की खेती,

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नैनीताल : उत्तराखंड के नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर, चाफी समेत कई क्षेत्रों में इन दिनों सेब की खेती की जा रही है. इनमें खास बात यह है कि यहां नीदरलैंड के डच प्रजाति के साथ-साथ अन्य विदेशी प्रजाति के सेबों का उत्पादन किया जा रहा है. विदेशी प्रजाति के पेड़ केवल एक साल के अंदर ही फल देने के लिए तैयार हो जाते हैं, जिससे इस बार पहाड़ के किसान अच्छे मुनाफे की उम्मीद कर रहे हैं।

रामगढ़, मुक्तेश्वर, चाफी जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में फलों का उत्पादन काफी ज्यादा किया जाता है. यहां पहाड़ी सेब के अलावा कई अलग-अलग तरह के फलों का उत्पादन होता है. हालांकि इन दिनों क्षेत्र के बगीचों में विदेशी प्रजाति के सेबों के पेड़ किसानों के लिए काफी फायदेमंद हो रहे हैं. बीते 3-4 वर्षों में पहाड़ के फल पट्टी क्षेत्रों में विदेशी सेब के बगीचे काफी ज्यादा बढ़े हैं. जहां इटली के डिलीशियस, फैनी स्काटा, स्कर्ट लेट स्पर, जर्मन प्रजाति के रेड चीफ, ग्रीन स्मिथ का उत्पादन हो रहा है, तो वहीं हॉलैंड के रेड स्पर डिलीशियस, रेड कॉर्न, मिजगाला, किंग रॉड, रेड लमगाला के साथ अन्य विदेशी प्रजाती के सेबों का भी उत्पादन किया जा रहा है. इन सेबों की डिमांड दिल्ली, कोलकाता और अन्य महानगरों के साथ-साथ विदेशों में भी है।

सेब की खेती से होगा मुनाफा, 

भारत में बहुत से फलों की खेती की जाती है। इसमें सेब की खेती किसान को अच्छा मुनाफा देने वाली खेती मानी जाती है। इसकी खेती से किसान को कम लागत में अधिक फायदा होता है। क्योंकि बाजार में सेब के भाव अन्य फलों की अपेक्षा काफी अच्छे मिल जाते हैं। इस तरह से देखा जाए तो सेब की बाजार मांग हमेशा बनी रहती है। आज हम आपको ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से सेब उत्पादन के बारे में जानकारी दे रहे हैं। उम्मीद करते हैं कि ये जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।

जानें, सेब खाने के फायदे (Benefits of Eating Apple)

सेहत के लिहाज से भी सेब का सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी माना जाता है। कहावत भी है कि जो एक सेब रोज खाता है उसके घर डॉक्टर कभी नहीं आता है। जब आप कभी बीमार हो जाते हैं डाक्टर भी आपको सेब खाने की सलाह देते हैं। इसमें पोषक तत्वों की मात्रा भी अधिक होती है। इसमें प्रचूर मात्रा में विटामिन पाए जाते हैं।

भारत में कहां-कहां होती है इसकी खेती (Apple Farming in India)

भारत में सेब की खेती जम्मू सहित हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, अरूणाचल प्रदेश, नगालैंड, पंजाब और सिक्किम में की जाती है। इसके अलावा अब इसकी खेती अन्य राज्यों जैसे- महाराष्ट्र, बिहार में भी की जाने लगी है।

सेब की खेती का उचित समय

नवंबर से लेकर फरवरी अंत तक सेब के पौधे को लगाया जा सकता है। लेकिन इसे उगाने का सबसे अच्छा महीना जनवरी और फरवरी माना जाता है। नर्सरी से लाए गए पौधे एक साल पुराने और बिल्कुल स्वस्थ होने चाहिए। पौधों की रोपाई जनवरी और फरवरी के माह में की जाती है। इससे पौधों को ज्यादा समय तक उचित वातावरण मिलता है, जिससे पौधे अच्छे से विकास करते है।

एक पेड़ में लगते हैं 20 किलो फल

नीदरलैंड की सनलाइट और मून लाइट प्रजाति के सेब के एक पेड़ में 20 किलो तक फल लगते हैं। इनका स्वाद भी बेहद अच्छा है। इस सीजन मे बायफ ने 50 किलो सेब खेतीखान बाजार में बेचे। बायफ के निदेशक डॉ. दिनेश रतूड़ी ने बताया कि खेतीखान में तैयार नर्सरी से अगले सीजन में 200 काश्तकारों को नीदलैंड के सेब के पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे। जिला उद्यान अधिकारी चम्पावत सतीश शर्मा ने बताया कि नीदरलैंड की प्रजाति के सेब के लिए चम्पावत का वातावरण काफी उपयुक्त है। उत्पादन होने से खेतीखान में इसका प्रयोग सफल हुआ है। बायफ संस्था को अन्य क्षेत्रों में भी इसका विस्तार करने को कहा गया है। विभाग भी इस कार्य में संस्था का पूरा सहयोग करेग

सेब की खेती के लिए तापमान

20 डिग्री तापमान पौधे के विकास के लिए सबसे अच्छा वातावरण रहता है। पेड़ पर सेव के फलों के पकने के दौरान 7 डिग्री तापमान सबसे उचित रहता है। सेब के पौधों की रोपाई का सर्वश्रेष्ठ समय जनवरी व फरवरी माह रहता है। हालांकि दिसंबर से मार्च माह तक भी रोपण किया जा सकता है।

 

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