kah dalo

अनकही बातें..(कविता निर्मला जोशी )

0
कह डालो, कह डालो जो कहना है बाहर निकालो पर रोक लिया अंगद के पैर से जमे हुवे संस्कारों ने और.....अनकही रह गईं कुछ बातें उन अनकही बातों का स्वाद जब उभरता है...