Home News उत्तराखंड के लक्ष्य सेन को राष्ट्रपति द्वारा मिला अर्जुन अवॉर्ड

उत्तराखंड के लक्ष्य सेन को राष्ट्रपति द्वारा मिला अर्जुन अवॉर्ड

by Neha Mehta
Lakshya Sen

Uttarakhand: उत्तराखंड के अल्मोड़ा (Almora) के लक्ष्य सेन Lakshya Sen जो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) द्वारा उन्हे अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति ने लक्ष्य सेन को अजुर्न अवॉर्ड से सम्मानित किया। लक्ष्य को अर्जुन अवार्ड मिलने से अल्मोड़ा में खेल प्रेमी खुशी से झूम उठे।

लक्ष्य सेन का जन्म 16 अगस्त 2001 को अल्मोड़ा के तिलकपुर वार्ड में हुआ था। लक्ष्य सेन ने चार साल की छोटी सी उम्र से खेलना शुरू कर दिया था। छह-सात साल की उम्र में ही लक्ष्य का खेल और उनकी प्रतिभा हर किसी को हैरान कर देती थी। छह साल के बच्चे के खेल को देखकर बैडमिंटन के दिग्गज भी दंग रह जाते थे।

लक्ष्य के पिता डीके सेन भारतीय खेल प्राधिकरण में बैडमिंटन कोच रहे हैं और वर्तमान में प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन एकेडमी बंगलुरु में प्रशिक्षण दे रहे हैं। लक्ष्य को यहां तक पहुंचाने में माता पिता का भी बड़ा त्याग रहा है। लक्ष्य सेन अब तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 26 पदक जीत चुके हैं। इनमें अकेले 16 स्वर्ण पदक(Gold Medal) हैं। लक्ष्य सेन के बड़े भाई चिराग सेन भी अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। चिराग जूनियर राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियनशिप और जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में नंबर दो रह चुके हैं।

राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में लक्ष्य सेन को राष्ट्रपति के हाथों अर्जुन अवार्ड पाते देख वहां मौजूद लक्ष्य के पिता और कोच डीके सेन, माता निर्मला सेन की आंखे खुशी से नम हो गई। पुरस्कार समारोह में लक्ष्य के माता पिता के साथ उत्तराखंड राज्य बैडमिंटन संघ के सचिव बीएस मनकोटी भी मौजूद रहे।

लक्ष्य ने दादा को समर्पित किया पुरस्कार

लक्ष्य ने दादा से ही बैडमिंटन सीखा और उन्हीं को अर्जुन अवार्ड समर्पित किया। उत्तराखंड राज्य बैडमिंटन संघ के सचिव बीएस मनकोटी ने बताया कि लक्ष्य ने अर्जुन अवार्ड अपने दादा स्व. सीएल सेन को समर्पित किया है। लक्ष्य के दादा स्व. सीएल सेन बैडमिंटन के बेहतरीन खिलाड़ी थे। अपने समय में उन्होंने वेटरन में राज्य और राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताएं जीतीं थीं। उन्होंने अल्मोड़ा में बैडमिंटन खेल को बढ़ावा दिया था। अल्मोड़ा में उन्हें बैडमिंटन का भीष्म पितामह के नाम से भी जाना जाता है।

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