नैनीताल खोजे जाने की कहानी

by Diwakar Rautela
919 views


Beautiful Nainital

विश्व भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने वाला स्थान, जो नाम अपने आप में खूबसूरती का पर्याय बन चुका है, ना जाने कितने लेख, कहानियों में यहाँ का जिक्र और न जाने कितनी फिल्मों में यहाँ की खूबसूरती को दिखाया गया है। … बस बस ज्यादा भूमिका न बाधते हुए शुरू करते हैं आज की लेख के मुख्य विषय के बारे में। आज के, और इस लेख का विषय – नैनीताल और नैनीताल खोजे जाने की कहानी।

नैनीताल, उत्तराखंड राज्य का एक प्रमुख नगर होने के साथ-साथ जिला मुख्यालय भी है। उत्तराखंड का उच्च न्यायालय (High Court) भी यहीं स्थित है। समुद्र तल से लगभग 2,084 मीटर (6,837 फीट) की ऊंचाई पर स्थित नैनीताल पर्यटकों की wish list में हमेशा प्राथिमिकता में रहा है। इसका कारण कुछ पंक्तियों में कह पाना संभव नहीं, फिर भी अगर संक्षेप में कहने का प्रयास करें तो, यूं कह सकते हैं – एक ही स्थान में इतनी विविधता (झील, हिमालय दर्शन, घाटियों का दृश्य, Heritage भवन, शांति) के साथ कई activities (नौकायन, घुड़सवारी, रज्जु मार्ग/ Rope-way ride, paragliding, bird watching, hiking, mountain biking) आदि विकल्पों का उपलप्ध होना, इस स्थान को विशेष बनाता है
नैनीताल की खूबसूरती को खूबसुरती से दिखाता विडियो देखें ?

नैनीताल की खूबसूरती को सबसे पहले दुनिया से परिचित कराने और नैनीताल को बसाने का श्रेय अंग्रेज़ यात्री, लेखक और व्यापारी पी बैरन को जाता हैं। वे अपनी यात्राओं के अनुभव से जुड़े लेख, विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में पिल्ग्रिम नाम से भेजा करते थे। पी बैरन सन 1839 में केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा करने के बाद ये कुमाऊँ की ओर बढ़ते हुए, खैरना पहुंचे। खैरना, नैनीताल से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर, रानीखेत/ अल्मोड़ा जाने वाली रूट मे एक छोटा सा खूबसूरत कस्बा है।

पी बैरन को खैरना में, वहाँ से दिखने वाली पहाड़ी – ‘शेर का डाण्डा’ की जानकारी मिली, स्थानीय लोगों ने बताया कि – उस पहाड़ी के पीछे एक सुंदर ताल भी हैं। घना जंगल और हिंसक पशुओं के कारण उस समय वहाँ लोग कम ही जाते थे। शेर का डांडा मे – डांडा शब्द स्थानीय बोली में कहें जाने वाले शब्द ड़ाना या डान से बना हैं, जिसका अर्थ हैं – पहाड़ी, शेर का डांडा यानि – ऐसी पहाड़ी जहां tiger फॅमिली के सदस्य रहते हैं।

साहसिक पर्यटन के शौकीन ‘पी बैरन’ ने कुछ स्थानीय लोगोको अपने साथ चलने को तैयार किया और ट्रेक करके समुद्र तल से 2350 मीटर ऊंची ‘शेर का डांडा’ पहुचे,सुंदर पहाड़ी और यहाँ से से खूबसूरत ताल को देखकर वह मंत्र मुग्ध हो गए। जो ताल उन्होने शेर के डांडा से देखा, उसे ही आज हम नैनीताल नाम से जानते हैं।

सैलानियों का नैनीताल आने का सिलसिला पूरे वर्षभर चलता है। ब्रिटिश काल में नैनीताल की पहचान, ब्रिटेन की समर कैपिटल के रूप में होती थी।

देखिये नैनीताल चिड़ियाघर आपको क्यू आना चाहिए!

नैनीताल और नैनीताल की आसपास कई आकर्षण है जिनमे प्रमुख हैं भीमताल, नौकुचियाताल, भवाली, कैंची धाम, खुरपाताल, कॉर्बेट फॉल, कॉर्बेट म्यूज़ियम, सातताल, रामगढ़, मुक्तेश्वर आदि।

देखिये नैनीताल के विभिन्न आकर्षणों को

नैनीताल के आकर्षण और यहां की जाने वाली activities जहां एक तरफ पर्यटकों का दिल जीत लेती हैं, वही दूसरी ओर स्थानीय लोगों को रोजगार भी देती हैं। तो आप अगर नैनीताल नहीं आयें है अब तक तो, पहला मौका और फुर्सत मिलते ही जरूर यहाँ आइये, और अपने जीवन में देखे जाने वाली एक और खूबसूरत जगह का नाम जोड़िए।

आशा है आपको उपरोक्त जानकारी देता यह लेख पसंद आया होगा, अपना समय देने के लिए धन्यवाद। फिर मिलता हूँ, एक ओर आर्टिकल के साथ।

(उत्तरापीडिया के अपडेट पाने के लिए फेसबुक ग्रुप से जुड़ें! आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।)



Related Articles

Leave a Comment

-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.