आज के नए युग की बातें करें, तो हर व्यक्ति चाहता है कि उसके पास एक बड़ा सा खूबसूरत घर हो, जिसमें बड़ा सा गार्डन, खूब सारी जगह हो, और एकांतवास हो साथ ही जो आम लोगों की आवाजाही से मुक्त हो।
कुल मिलाकर व्यक्ति को अब एकांतवास अधिक प्रिय है। बात जायज भी है, क्योंकि आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में एकांतवास लेना भी बहुत जरूरी है।
परन्तु कुछ दशक पहले की बात करें तो शायद ऐसा नहीं था। शायद तब लोगों की दिनचर्या इतनी भी कठिन नहीं थी, कि उन्हें एकांतवास की आवश्यकता पड़े। इसी सोच का एक उदाहरण दिखाई पड़ता है उत्तराखंड राज्य में नैनीताल जिले के #कुमाटी गांव में आने पर।
कुमाटी गांव, नैनीताल जिले की सीमा पर स्थित है, जो कि नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लॉक के अंतर्गत आता है। यहां मौजूद है एक घरों की श्रंखला (जिसे कुमाऊनी में बाखली बोला जाता है)। इस बाखली में 35 घरों की एक श्रृंखला हैं जिन्हें प्रकार से बनाया गया है सभी घर एक दूसरे से जुड़े हुए हों।
घरों की हर श्रंखला नैनीताल जिले में सबसे बड़ी और शायद कुमाऊं डिवीजन में भी सबसे लंबी है। जो भी इस बाखेली को देखता है यह उसका मन मोह लेती है, इसमे इस्तेमाल की हुई शानदार तकनीक, इंजीनियरिंग। वास्तुकला का यह अनूठा नमूना है। दरवाजों की लकड़ी पर हुआ नक्काशी का काम किसी का भी ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। समुद्र तल से लगभग 520 मीटर की ऊंचाई पर, यह एक अत्यंत सुंदर तथा मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है।
राजमार्ग से निकट होने के कारण आने जाने वाले वाहनों से इस बाखेली पर नजर पड़ ही जाती है, आने जाने वाले पर्यटक बाखेली देखते ही फोटो निकालना नहीं भूलते।
परन्तु हर पहाड़ी क्षेत्र की प्रमुख समस्या पलायन की मार यह गांव कुमाटी स्थित बाखली भी झेल रही है। स्थिति यह है कि इस श्रंखला के अनेक मकानों मैं अब ताले लग चुके हैं।
भाईचारे और दोस्ती की मिसाल कायम करने वाली इस बाखली के कई मकान अब जर्जर हो चुके हैं, जिन्हें देखने वाला कोई नहीं।
उत्तरापीडिया के अपडेट पाने के लिए फ़ेसबुक पेज से जुड़ें।