तीरथ सिंह रावत सरकार के मंत्रिमंडल में स्थान पाने को नहीं लगी दिल्ली दौड़
इसे पार्टी हाईकमान के सख्त रुख का असर कहें या फिर सालभर बाद होने वाले विधानसभा चुनाव का, बात चाहे जो भी हो, लेकिन भाजपा सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बाद मंत्री पद के लिए इस बार विधायकों में दौड़ कहीं नजर नहीं आई। न किसी ने दिल्ली की ओर रुख किया और न बड़े नेताओं की परिक्रमा ही की।
आमतौर पर देखा जाता है कि किसी दल की सरकार बनने की स्थिति में मंत्री पदों के लिए दौड़-धूप शुरू हो जाती है। हर बार ही यह क्रम चलता है। पिछले सालों की तरह इस बार प्रदेश की भाजपा सरकार में नेतृत्व परिवर्तन हुआ तो ऐसा नजारा कहीं नजर नहीं आया। दरअसल, प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई भाजपा सरकार में चार साल में नेतृत्व परिवर्तन के पार्टी हाईकमान के फैसले से हर कोई सहमा हुआ था। ऐसे में माना जा रहा था कि यदि किसी ने मंत्री पद के लिए दिल्ली दौड़ लगाई तो दांव उल्टा पड़ सकता है। अगले साल विधानसभा चुनाव भी हैं, ऐसे में जरा सी चूक भारी पड़ सकती है। शायद यही वजह रही कि मंत्री पद के लिए न तो किसी ने दबाव बनाया और न दिल्ली दौड़ ही लगाई। पार्टी हाईकमान ने जिसके नाम की मुहर लगाई, उसे ही मंत्री पद मिला।
तीरथ मंत्रिमंडल में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पसंद का भी ध्यान रखा गया है। यह इससे साबित होता है कि त्रिवेंद्र सरकार में शामिल रहे सभी कैबिनेट व राज्यमंत्रियों को तीरथ मंत्रिमंडल में भी इन्हीं ओहदों के साथ जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके साथ ही संतुलन और समन्वय का भी प्रयास किया गया।
आदि कैलाश यात्रा की तैयारी शुरू, मानसरोवर भी शुरू होने की उम्मीद, मार्ग सर्वे के लिए केएमवीएन भेजने जा रहा रेकी टीम
कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) ने अपने स्तर से कैलाश मानसरोवर यात्रा एवं आदि कैलाश यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी हैं। यात्रा मार्ग की रेकी के लिए अप्रैल में विभागीय टीम क्षेत्र में जा रही है। निगम आदि कैलाश यात्रा का कार्यक्रम जल्द जारी करेगा। वहीं ब्रिक्स सम्मेलन के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा को देखते हुए कैलाश मानसरोवर यात्रा की भी उम्मीद जग रही है। इसे देखते हुए निगम को अपने स्तर से भी इस यात्रा के लिए तैयार रहना है। दरअसल दो साल से बंद चल रही कैलाश मानसरोवर यात्रा के कारण कुमाऊं मंडल के साथ ही निगम की आर्थिकी भी प्रभावित हो रही है। पर भारत-चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद के कारण यात्रा पर इस साल भी संकट के बादल मंडल रहे हैं।
केएमवीएन के प्रबंध निदेशक रोहित मीणा का कहना है कि आदि कैलाश यात्रा निगम की अपनी निजी यात्रा है। यात्रा को बेहतर बनाने के लिए निगम प्रयासरत है। यात्रा को आकर्षक बनाया जाएगा। अब इसे स्थानीय लोगों के साथ जोड़ा जाएगा। इसमें होम स्टे का इस्तेमाल कर स्थानीय लोक कला, संस्कृति तथा क्षेत्र के अन्य स्वरोजगारियों को भी इससे लाभान्वित किया जाएगा। मानसरोवर यात्रा का भी यही मार्ग है, इसलिए विदेश मंत्रालय से आदेश मिलते ही निगम मानसरोवर यात्रा भी शुरू करवा देगा। इसके लिए निगम अपने स्तर से पूरी तैयारियां कर चुका है।
कोविड के कारण दोनों यात्रा स्थगित
बीते वर्ष कोविड-19 के चलते उक्त दोनों यात्राएं नहीं हो सकीं। एमईए के दिशानिर्देशों पर संचालित कैलाश मानसरोवर यात्रा में अब तक लगभग तीन स्तर की बैठकें हो जाती थीं, जबकि अप्रैल माह की शुरुआत में ट्रांसपोर्टेशन समेत अन्य निविदाएं हो जाती थी। रेकी टीम मुख्य रूप से निगम संसाधनों के इस्तेमाल के साथ ही होम स्टे, लोककला, संस्कृति समेत लोक से संबंधित अन्य स्वरजोगार से जुड़े लोगों को लाभान्वित करने को लेकर जानकारी जुटाती है। साथ ही यात्रा मार्ग पर जहां भी मरम्मत की जरूरत पड़ती है, उसे भी चिह्नित करती है।
66 नए संक्रमित मिले, मरीजों की मौत का आंकड़ा 1700 पार
उत्तराखंड में कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत का आंकड़ा 1700 पार हो गया है। बीते 24 घंटे के भीतर दो संक्रमित मरीजों की मौत हुई और 66 नए संक्रमित मिले हैं। कुल संक्रमितों की संख्या 97700 हो गई है।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार शुक्रवार को 15346 सैंपलों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है, जबकि आठ जिलों में 66 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आए हैं। हरिद्वार में 23, नैनीताल में 21, देहरादून में 11, पौड़ी में तीन, ऊधमसिंह नगर में तीन, बागेश्वर में दो, रुद्रप्रयाग में दो, टिहरी में एक संक्रमित मिला है। प्रदेश में दो कोरोना मरीजों की मौत हुई है।
जिसमें श्री महंत इन्दिरेश हॉस्पिटल में एक, हिमालयन हॉस्पिटल में एक मरीज ने इलाज के दौरान दम तोड़ा है। अब तक 1700 कोरोना मरीजों की मौत हो चुकी है। वहीं, 68 मरीजों को ठीक होने के बाद घर भेजा गया है। इन्हें मिलाकर 93952 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। वर्तमान में 638 सक्रिय मरीजों का उपचार चल रहा है।
लाकडाउन के दौरान महामारी एक्ट में दर्ज मुकदमें होंगे वापस
प्रदेश में कोविड-19 के कारण लागू लाकडाउन के दौरान महामारी एक्ट और आपदा प्रबंधन एक्ट में दर्ज सभी मुकदमें वापस लिए जाएंगे। इसके साथ ही वर्ष 2016 और उसके बाद गठित क्षेत्रीय विकास प्राधिकरणों का मानचित्र को स्वीकृति देने का अधिकार भी स्थगित कर दिया गया है। इन प्राधिकरणों की समीक्षा के लिए कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कैबिनेट उप समिति का गठन किया गया है। सभी स्थानों में इन प्राधिकरणों के गठन से पहले ही स्थिति बहाल की गई है।
नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में शुक्रवार को मंत्री परिषद की पहली बैठक आयोजित की गई। बैठक की जानकारी देते हुए मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि बैठक में दो बिंदुओं पर निर्णय लिया गया। पहला निर्णय प्रदेश में लाकडाउन के दौरान दर्ज मुकदमें वापस लेने का रहा। दरअसल, लाकडाउन के दौरान प्रदेश से बाहर जाने वाले प्रवासी मजदूरों और प्रदेश में आने वाले व्यक्तियों पर महामारी एक्ट और आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत मुकदमें दर्ज किए गए थे। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्रवासी मजदूरों से मुकदमें वापस लेने के निर्देश दिए थे। इस तरह के कुल 155 मुकदमें दर्ज थे। इस क्रम में कुछ जिलों से मुकदमें वापस भी ले लिए गए हैं। अब मंत्री परिषद ने इस अवधि में महामारी एक्ट और आपदा प्रबंधन एक्ट में दर्ज सभी मुकदमें वापस लेने का निर्णय लिया है। चाहे ये मुकदमें किसी पर भी दर्ज किए गए हैं। वहीं, दूसरे अहम निर्णय में मंत्री परिषद ने वर्ष 2016 और इसके बाद गठित विकास प्राधिकरणों की समीक्षा के लिए कैबिनेट उप समति बनाई गई है। इसके अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत हैं। इसमें कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल व अरविंद पांडेय को भी शामिल किया गया है।
दरअसल, 2016 के बाद कई क्षेत्रीय विकास प्राधिकरणों का गठन किया गया। इन प्राधिकरणों की कार्यशैली को लेकर विधायकों में खासा आक्रोश है। इसे लेकर कई बार पिछली सरकार के सामने विरोध भी प्रकट किया गया। अब मंत्री परिषद ने फिलहाल इन प्राधिकरणों के मानचित्रों को स्वीकृति देने का अधिकार स्थगित कर दिया है। यह साफ किया गया है कि 2016 से पूर्व जिस तरह से मानचित्र स्वीकृति का काम चल रहा था उसी तरह चलता रहेगा।
मुकदमे वापस लेने से राहत
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की पहली कैबिनेट बैठक में लॉकडाउन के दौरान महामारी एक्ट और आपदा प्रबंधन एक्ट में दर्ज मुकदमों को वापस लेने के आदेश के बाद सैकड़ों व्यक्तियों को राहत मिल गई है। लॉकडाउन के दौरान प्रदेश में करीब 4500 मुकदमे दर्ज किए गए थे। सरकार के इस आदेश के बाद जहां कई व्यक्तियों को राहत मिली है, वहीं पुलिस को भी अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। पुलिस की मानें तो लॉकडाउन के दौरान हुए अधिकतर मुकदमों में चार्जशीट कोर्ट चली गई है। जबकि, कुछ मामलों में अभी बयान दर्ज किए जा रहे हैं। आदेश जारी होने के बाद अब जिन मुकदमों में चार्जशीट कोर्ट में जा चुकी है, उनकी पैरवी नहीं होगी। वहीं जिन मुकदमों में अभी बयान चल रहे हैं, उनमें संबंधित जांच अधिकारी फाइनल रिपोर्ट लगा देगा।
पिछौड़ा और नथुली पहनकर शपथ लेने पहुंचीं ये मंत्री, टिकी सबकी निगाहें
उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत के मंत्रिमंडल शपथ ग्रहण समारोह में जैसे ही सोमेश्वर की विधायक रेखा आर्य पहुंचीं तो उन पर सबकी निगाहें टिक गईं। वह शपथ ग्रहण करने के लिए पारंपरिक पिछौड़ा और नथुली पहनकर पहुंची थीं। जैसे ही उन्होंने शपथ ग्रहण करने के लिए माइक संभाला तो जमकर नारे लगने लगे।
राजभवन में आयोजित समारोह में 11 मंत्रियों ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। मंत्रिमंडल में चार नए चेहरे शामिल किए गए हैं। नए मंत्रिमंडल में गढ़वाल मंडल से चार कैबिनेट और दो राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने शपथ ली है।
कैबिनेट में चार मंत्रियों के साथ पौड़ी गढ़वाल का दबदबा दिखा। कुमाऊं मंडल से भी चार कैबिनेट मंत्री और एक राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है। वहीं, कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय ने संस्कृत में पद और गोपनीयता की शपथ ली। कार्यकर्ताओं ने तालियां बजाकर उनका समर्थन किया। तीरथ सिंह रावत की कैबिनेट के मंत्रियों के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या समर्थक उमड़े।
कांग्रेस से भाजपा में आए ‘मित्रों’ से किया वादा निभाया, टीम तीरथ में भी मिली जगह
वर्ष 2016 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए कांग्रेस विधायकों से किया वादा पार्टी ने तीरथ की टीम में भी उन्हें बरकरार रख पूरी तरह निभाया। पिछली त्रिवेंद्र सरकार में शामिल पांचों कांग्रेस पृष्ठभूमि के मंत्रियों को टीम तीरथ में भी जगह मिली है। अलबत्ता जो नए चार मंत्री बनाए गए हैं, उनमें सभी भाजपा पृष्ठभूमि के ही हैं।
वर्ष 2014 की शुरुआत में कांग्रेस आलाकमान ने तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को हटाकर हरीश रावत को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी थी। इससे खफा होकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। फिर कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के दौरान 18 मार्च 2016 को पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नेतृत्व में नौ कांग्रेस विधायकों ने कांग्रेस में टूट कराकर भाजपा का दामन थाम लिया था। इससे उस वक्त हरीश रावत सरकार संकट में घिर गई थी। हालांकि न्यायालय के हस्तक्षेप से हरीश रावत तब सरकार बचाने में कामयाब रहे। इसके बाद 10 मई 2016 को हुए फ्लोर टेस्ट के दौरान एक अन्य कांग्रेस विधायक रेखा आर्य ने भी कांग्रेस को अलविदा कह दिया। इसके बाद वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन कैबिनेट मंत्री व प्रदेश अध्यक्ष रहे यशपाल आर्य ने भी कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और भाजपा में चले गए। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इन सभी पूर्व कांग्रेसियों को प्रत्याशी बनाया। विजय बहुगुणा स्वयं चुनाव नहीं लड़े, मगर उनके स्थान पर भाजपा ने उनके पुत्र सौरभ बहुगुणा को विधानसभा पहुंचाया। इनमें से अधिकांश चुनाव जीतने में कामयाब रहे। मार्च 2017 में जब त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी तो 10 सदस्यीय मंत्रिपरिषद में कांग्रेस पृष्ठभूमि के पांच विधायकों को जगह दी गई। इनमें सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, सुबोध उनियाल को कैबिनेट तथा रेखा आर्य को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया। महत्वपूर्ण बात यह कि तब मंत्रिपरिषद में भाजपा के भी पांच ही सदस्य शामिल थे। त्रिवेंद्र की मुख्यमंत्री पद से विदाई के बाद सियासी गलियारों में इन पांचों मंत्रियों के भविष्य को लेकर दिलचस्प चर्चाएं चल रही थीं, लेकिन शुक्रवार को शपथ ग्रहण के बाद इन पर पूरी तरह विराम लग गया। त्रिवेंद्र सरकार में शामिल रहे कांग्रेस पृष्ठभूमि के सभी पांचों मंत्रियों को तीरथ की टीम में भी शामिल किया गया है। इनमें चार कैबिनेट व एक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) शामिल हैं। यानी, त्रिवेंद्र के बाद तीरथ की टीम में भी जगह देकर भाजपा ने पांच साल पहले के कमिटमेंट को अब भी पूरा किया।
राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोल्डन गर्ल पूजा भी दिखा रहीं दम, नेशनल में अब तक 17 स्वर्ण किया है अपने नाम
कयाकिंग एवं कैनोइंग में पहली बार भारत को ब्रांज मेडल दिलाने वाली अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी पूजा उर्फ गोल्डन गर्ल भी गुलरभोज में आयोजित राष्ट्रीय साहसिक खेल प्रतियोगिता में शिरकत कर रही हैं। जागरण से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि कयाकिंग और कैनोइंग प्रतिस्पर्धा के लिए साहस और एक खास तरह का जुनून होना चाहिए। स्वास्थ्य के लिए बेहतर और रोमांचक इससे बेहतर कोई और खेल नहीं हो सकता। प्रदेश स्तर पर प्रतियोगिताओं के आयोजन से स्थानीय प्रतिभाओं को उभरने का मौका मिलेगा।
आठ वर्ष की आयु में तैराकी सीखने के बाद कयाकिंग व कैनोइंग की ओर रुझान करने वाली हरिद्वार निवासी पूजा सिंह ने बताया कि पिता तेजपाल सरकारी विभाग में सेवारत थे। मां सुमित्रा गृहणी हैं। पिता ने खुद से लक्ष्य चुनने की आजादी दी तो मां ने हमेशा हौसला बढ़ाया। परिवार का ही सहयोग रहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल हासिल करने का सौभाग्य मिला। पूजा ने वर्ष 2019 में चीन के लिंबा में आयोजित कयाकिंग वर्ल्ड कप में भारत की ओर से हिस्सा लिया था। इसमें देश के लिए ब्रांज मेडल हासिल किया। पूजा ने गूलरभोज की व्यवस्था पर संतोषजनक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह के आयोजन होते रहने से युवा जागरूक होंगे।
पूजा की उपलब्धियां
-वर्ष, 2014 से अब तक 17 गोल्ड मेडल। इसमें गूलरभोज में आयोजित राष्ट्रीय खेल में छह गोल्ड मेडल शामिल।
वर्ष, 2019 में चीन के अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में ब्रांज मेडल।
-दो इंडिया कैंप वर्तमान में एनआइएस कर रहीं ।
-फरवरी, 2021 टिहरी में आयोजित प्रतिस्पर्धा में गोल्ड मेडल।
कयाकिंग कोच के रूप में बनाना चाहती हैं करियर
पूजा का लक्ष्य कयाकिंग कोच बनना है। वह बताती हैं कि प्रदेश में खिलाडिय़ों को वाटर स्पोर्ट के लिए तैयार कर मजबूत टीम बनाकर प्रदेश के साथ ही देश का भी नाम रोशन कर सकती हैं।
यूएस नगर में पूजा से गोल्डन गर्ल वर्ष, 2018 में गूलरभोज में राष्ट्रीय साहसिक खेल का आयोजन किया गया। इसमें उन्होंने पांच गोल्ड मेडल झटके। इसके बाद से उन्हें गोल्डन गर्ल के नाम से बुलाया जाने लगा।
ऊधमसिंह नगर का एक भी खिलाड़ी नहीं
यह तीसरी बार है जब गूलरभोज में राष्ट्रीय साहसिक खेलों का आयोजन किया जा रहा है। लेकिन इतने बड़े आयोजन में जिले का एक भी खिलाड़ी नहीं है। उत्तराखंड की टीम में टिहरी, हरिद्वार, नैनीताल, देहरादून के छह बालक एवं चार बालिकाएं शामिल हैं।
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