देवरिया ताल (Devriya Taal) उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में पहाड़ों के बीच में स्थित एक सुंदर झील है। यह झील जितना अपने धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है उतनी ही यह सैलानियों के बीच भी आकर्षण का मुख्य केंद्र है। इसी झील के पास में पंचकेदार मे से एक तुंगनाथ मंदिर भी स्थित (Devriya Tal) है जहाँ ट्रेक करके पहुंचा जा सकता है।
इस झील का मुख्य आकर्षण इसके पानी में बनते आसपास के पहाड़ों की चोटियों के प्रतिबिम्ब (Deoria Tal Details) हैं जिसे देखने दूर-दूर से सैलानी यहाँ आते हैं। इसके साथ ही इसका संबंध देवताओं व महाभारत काल से भी हैं। आज हम आपको देवरिया ताल झील का इतिहास, कहानियां, ट्रेक, सुंदरता इत्यादि सब बताएँगे।
देवरिया ताल झील कहा है (Deoria Tal Kahan Hai)
यह झील उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में उखीमठ के पास सारी गाँव से 2 से 3 किलोमीटर ऊपर स्थित (Sari Village To Deoria Tal Distance) है। समुंद्र तल से इसकी ऊंचाई 2,438 मीटर (8,000 फीट) है। सबसे पहले आपको सारी गाँव पहुंचना पड़ेगा जो तुंगनाथ जाते समय चोपता के रास्ते में पड़ता हैं। इस गाँव से 2 से 3 किलोमीटर ऊपर ट्रेक करके इस सुंदर झील तक पहुंचा जा सकता है।
कुछ लोग चोपता से तुंगनाथ मंदिर का ट्रेक करते हैं तो कुछ देवरिया ताल झील से भी वहां पहुँचते हैं। चोपता से तुंगनाथ का ट्रेक छोटा है तो वही देवरिया ताल से इसे करने में 3 से 4 दिन का समय लग जाता है। देवरिया ताल से तुंगनाथ के ट्रेक का इस्तेमाल मुख्यतया ट्रेवल व ट्रैकिंग कंपनियों के द्वारा किया जाता हैं।
देवरिया ताल झील, रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड (Deoria Tal)
देवरिया ताल का इतिहास (Deoria Tal History )
इसके निर्माण व इतिहास से दो घटनाएँ/ कथाएं जुड़ी हुई हैं। आइए जानते हैं:
इंद्र सरोवर देवरिया ताल (Indra Sarovar Deoria Tal)
सनातन धर्म के अनुसार स्वर्ग लोक में देवी-देवता निवास करते हैं तथा वे समय-समय पर पृथ्वी की यात्रा पर आया करते हैं। मान्यता है कि इंद्र देव व बाकि देवता इसी देवरिया ताल झील में स्नान किया करते थे। इसी कारण इसका नाम देवों की झील देवरिया ताल पड़ा। इसी के साथ इसका दूसरा नाम इंद्र सरोवर भी है अर्थात देव इंद्र के स्नान करने का सरोवर।
देवरिया ताल झील का महाभारत से संबंध (Deoria Tal Pandavas)
पांडवों को द्यूत खेल के बाद 13 वर्ष का वनवास काल मिला था। तब वनवास काल में यक्ष के द्वारा पाँचों पांडवों से पूछे जाने वाले प्रश्न की कथा तो हम सभी ने सुनी होगी। उसी कथा का संबंध इस झील से हैं। मान्यता है कि यक्ष ने पाँचों पांडवों से प्रश्न इसी झील के पास पूछे थे। एक अलग मान्यता के अनुसार यक्ष ने पांडवों से प्रश्न पाकिस्तान के कटासराज मंदिर के सरोवर में पूछे थे।
देवरिया ताल के निर्माण के लिए भी पांडवों का योगदान बताया गया हैं। एक अलग मान्यता के अनुसार, जब पांडवों को प्यास लगी थी तब भीम ने अपनी शक्ति से देवरिया ताल झील का निर्माण किया था जिससे सभी पांडवों की प्यास बुझी थी। इसी के साथ यक्ष भी इसी झील में निवास करते हैं, ऐसी मान्यता भी प्रचलित है।
देवरिया ताल सरोवर की सुंदरता (Deoria Tal Ukhimath Beauty)
देवरिया ताल झील की सुंदरता ही है जो हर वर्ष हजारों सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसके आसपास घने जंगल, असंख्य वृक्ष, रंग-बिरंगे पुष्प व पशु-पक्षी देखने को मिलते हैं। इसे उत्तराखंड का बुग्याल क्षेत्र भी कहा जाता है अर्थात मखमली घास का मैदान।
झील का पानी एक दम साफ है जिसमें आसपास के पहाड़ों की चोटियों के प्रतिबिंब स्पष्ट रूप से दिखते हैं। यही इसके आकर्षण को सबसे अद्भुत बनाते हैं। जिस छोटी का प्रतिबिम्ब देवरिया ताल में मुख्य रूप से बनता है वह है चौखम्भा की बर्फ से ढकी चोटियाँ। इसके अलावा यहाँ नीलकंठ, केदारनाथ, कालानाग, बंदरपूँछ इत्यादि चोटियों के प्रतिबिम्ब भी देखने को मिलते हैं।
देवरिया ताल झील का ट्रेक (Deoriatal Lake Trek)
यहाँ का ट्रेक भी बहुत आसान और सुगम है जहाँ आप अपने परिवारवालों के साथ भी आ सकते हैं। जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि सबसे पहले आप देवरिया ताल के सबसे पास में स्थित सारी गाँव पहुँच जाये क्योंकि यहीं से झील का सबसे छोटा और मुख्य ट्रेक शुरू होता हैं।
यहाँ से देवरिया झील बस 2 से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित (Sari To Deoria Tal Trek) है जिसे पूरा करने में लगभग 1 से 2 घंटे का समय लगता है। ट्रेक ज्यादा मुश्किल भी नही है और रास्ते में आप घने जंगलों से होते हुए निकलते हैं जहाँ सुगंधित पुष्प व कई तरह के पक्षियों के चहचहाने की आवाज़ सुनने को मिलेगी। यह सब आपके ट्रेक को और भी मनोहर बना देंगे।
देवरिया ताल में कहा रुके (Sari Village Homestay)
यहाँ पर रुकने के लिए आपको ट्रेवल कंपनी के द्वारा बुकिंग करवानी पड़ेगी लेकिन हम आपको सलाह देंगे कि यदि आप ट्रेवल पैकेज बुक किये बिना यहाँ आ रहे हैं तो अपना कैंप व खाना साथ लेकर आये क्योंकि ज्यादातर कैंप ट्रेवल कंपनियों के द्वारा पहले से बुक किये गए लोगों को ही दिए जाते हैं।
इसके अलावा आप देवरिया ताल घूमकर वापस नीचे सरी गाँव में आ सकते हैं। यहाँ स्थानीय लोगों के द्वारा किराया लेकर होमस्टे की सुविधा भी दी जाती हैं। इसके अलावा आप वापस उखीमठ जा सकते हैं जहाँ आपको सरकारी विश्रामगृह, बड़े होटल, हॉस्टल, लॉज इत्यादि सभी सुविधाएँ आसानी से मिल जाएँगी।
देवरिया ताल कब जाएँ (Best Time To Visit Deoria Tal)
देवरिया ताल सैलानियों के लिए 12 महीने खुला रहता हैं। इसलिए आपको जो भी मौसम पसंद हो उस समय यहाँ जा सकते हैं। मुख्यतया लोग मई से नवंबर के बीच में यहाँ आते हैं क्योंकि उस समय हल्की ठंड पड़ती है और तुंगनाथ मंदिर भी खुला रहता हैं जो कि दीपावली के बाद बंद हो जाता है।
यदि आप बर्फबारी का मजा लेना चाहते हैं तो दिसंबर से फरवरी के महीने में आया जा सकता हैं। इस दौरान यहाँ भीषण बर्फबारी होती हैं और लगभग 10-10 फुट तक बर्फ जम जाती हैं। इस समय सारी गाँव से चोपता तक का रास्ता भी बंद हो जाता है जिस कारण तुंगनाथ मंदिर भी बंद हो जाता है। हालाँकि सारी गाँव से देवरिया ताल होते हुए तुंगनाथ मंदिर और फिर चंद्रशिला पहाड़ी पहुंचा जा सकता है क्योंकि यह रास्ता वर्षभर खुला रहता है।
देवरिया ताल के आसपास घूमने की जगह (Deoria Tal Nearby Places To Visit)
- तुंगनाथ मंदिर
- चंद्रशिला पीक
- चोपता गाँव
- उखीमठ के मंदिर
- कस्तूरी मृग अभ्यारण्य
- रुद्रनाथ मंदिर
- अनुसूया माता मंदिर
- कल्पेश्वर महादेव मंदिर
- गोपीनाथ मंदिर
- कालीमठ
- गौरीकुंड
- मनसा देवी मंदिर इत्यादि।