अपनी जिंदादिली के लिए प्रसिद्ध – एमडीएच (महाशय दी हट्टी) कंपनी के संस्थापक धर्मपाल गुलाटी का गुरुवार सुबह निधन हो गया। उन्होंने आज सुबह 5.38 पर अंतिम सांस ली वह 98 साल के थे। कोरोना से ठीक होने के बाद हार्ट अटैक से उनका निधन हुआ। खबरों के मुताबिक, गुलाटी का पिछले तीन हफ्तों से दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था।
महाशयजी‘ कहलाने वाले धरमपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। उन्होंने स्कूल छोड़ दिया, और अपने पिता के मसाले के व्यवसाय में शामिल हो गए।
1947 में विभाजन के बाद, धर्मपाल गुलाटी भारत आ गए और अमृतसर में एक शरणार्थी शिविर में रहने लगे। फिर वह दिल्ली चले गए और दिल्ली के करोल बाग में एक दुकान शुरू की। महाशय धर्मपाल गुलाटी ने 1959 में आधिकारिक तौर पर मसालों की कंपनी की स्थापना की थी। व्यवसाय को न केवल देश में उल्लेखनीय सफलता मिली, बल्कि उनकी कंपनी मसालो को निर्यात भी करने लगी। उनकी कंपनी यूके, यूरोप, यूएई, कनाडा सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भारतीय मसालों का निर्यात करती है।
व्यापार और उद्योग में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया। यह पुरस्कार 2019 में उन्हें उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मिला।
एमडीएच मसाला के अनुसार, महाशय धर्मपाल गुलाटी ने अपने वेतन का लगभग 90 प्रतिशत दान में दिया है।