उत्तराखंड एक उत्तरी भारतीय राज्य है जिसे कई लोग उत्तरांचल भी कहते है। उत्तराखंड को देव भूमि के रूप में जाना जाता है, कई मंदिरों और तीर्थ स्थलों के कारण उत्तराखंड एक विशेष पर्यटक स्थल है । उत्तराखंड हिमालय की प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, उत्तराखंड की सीमा हिमाचल प्रदेश के साथ उत्तर पश्चिम में और दक्षिण में उत्तर प्रदेश में सीमाएं हैं। उत्तराखण्ड राज्य को गढ़वाल और कुमाऊं नाम से दो भागों में विभाजित किया गया है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। यह वह राज्य है जहां देश की दो पवित्र नदियों का उद्गम है, अर्थात्, गंगोत्री में गंगा और यमुनोत्री में यमुना। इस राज्य में सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान है जिसका नाम जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क है। उत्तराखंड के कुछ रोचक तथ्य आप इस पोस्ट में आगे पढ़ सकते है।
- उत्तराखंड में जनसँख्या घनत्व देश के अन्य कई राज्यों की तुलना में कम है, पुरे राज्य की कुल आबादी कोलकाता शहर से भी कम है।
- भारतीय सेना में उत्तराखंड की सबसे अधिक भागीदारी है और किसी भी अन्य भारतीय राज्य की तुलना में सेना में उत्तराखंड के अधिक लोग हैं।
- उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित रूपकुंड एक उच्च ऊचाई वाली हिमनदी झील है । झील के किनारे सैकड़ों मानव कंकालों के लिए रूपकुंड प्रसिद्ध है इसी कारण इसे एक रहस्यमयी झील के रूप में जाना जाता है, रूपकुंड झील लगभग दो मीटर गहरी है, हर साल सैकड़ों ट्रेकर्स और तीर्थयात्री यहाँ सैर करने आते है
- विश्व में तुंगनाथ सबसे बड़ा भगवान शिव मंदिर है। तुंगनाथ का शाब्दिक अर्थ है (पहाड़ के ईश्वर) पहाड़ों में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी घाटियां बनती है। यह मंदिर 1000 वर्ष पुराना माना जाता है। यह पांडवों और महाभारत के सेनानियों महाकाव्य से जुड़ा हुआ है।
- विश्व में योग की राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित पवित्र स्थल ऋषिकेश गंगा नदी के किनारे हिमालय की गोद में बसा स्थान भारत का प्रमुख पर्यटन एवं आध्य्मतिक स्थल उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में हरिद्वार के निकट स्थित है।
- नंदा देवी, उत्तराखंड में सबसे ऊंचा पर्वत 7,816 मीटर की ऊंचाई पर है, भारत का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत है । नंदा देवी पर्वत विश्व का सबसे ऊंचा पर्वत माना जाता था , जब तक धौलागिरी पर्वत को नही मापा गया था, ये नंदा देवी नेशनल पार्क से घिरा है जहां दुर्लभ फूलों और पौधों सहित लुप्तप्राय जानवरों की उपस्थिति है मवेशी हिरण, भूरा भालू, लाल लोमड़ी, एशियाई काली भालू, हिम तेंदुए और नीली भेड़ । नंददेवी अभयारण्य- 1983 में स्थानीय और पर्वतारोही दोनों के लिए बंद हुआ करता था ।
- फूलों की घाटी 1931 में तीन ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ, एरिक शिपन और आर.एल. होल्डरवर्थ द्वारा खोजी गयी थी, जब वे कामेट माउंट से वापस लौट रहे थे। 1982 में फूलो की घाटी को राष्ट्रीय उद्यान धोषित किया गया, फूलो की घाटी की भारी लोकप्रियता के परिणामस्वरूप 1988 में विशेष सांस्कृतिक या भौतिक महत्व के लिए साइट को यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
- नंदा देवी उत्तराखंड में सबसे प्रतिष्ठित देवी है और गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र दोनों में इनकी पूजा की जाती है। तीर्थयात्रा प्रत्येक 12 वर्षों में एक बार होती है और बड़ी संख्या में भक्तों द्वारा संम्पन की जाती है। ट्रैकिंग के माध्यम से 230 किलोमीटर की दूरी के साथ 3-सप्ताह की कठिन यात्रा, नंदादेवी राज जात सबसे लंबे समय का तीर्थ हैं। तीर्थयात्रा कर्नाप्रयाग के निकट नौटी गांव से शुरू होती है और हिमपात की चोटियों के बीच 5000 मीटर की ऊँचाई पर रूपकुंड के पास समाप्त होती है।
- लाटू देवता मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले के वान गांव के पास स्थित है। ये मंदिर लाटू देवता को समर्पित है, जो देवी नंदा देवी के गोद लिए भाई थे ये राज्य का एक अनोखा मंदिर है। क्योंकि मंदिर के अंदर किसी भी भक्त की प्रवेश की अनुमति नहीं है। यहां तक कि पुजारी भी दीप को रोशन करने के लिए आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर में प्रवेश करते हैं। ये मंदिर साल में एक बार ही भक्तो के लिए खुलता है।
मान्यताओं के अनुसार , लोगों का मानना है कि इस मंदिर के अंदर साक्षात रूप में नागराज अपने अद्भुत मणि के साथ वास करते हैं, जिसे देखना आम लोगों के वश की बात नहीं है। पुजारी भी साक्षात विकराल नागराज को देखकर न डर जाएं इसलिए वे अपने आंख पर पट्टी बांधते हैं। लोगों का यह भी मानना है कि मणि की तेज रौशनी की चुंधियाहट इन्सान को अंधा बना देती है। लोग यह भी कहते हैं कि न तो पुजारी के मुंह की गंध तक देवता तक और न ही नागराज की विषैली गंध पुजारी के नाक तक पहुंचनी चाहिए। इसलिए वे नाक-मुंह पर पट्टी लगाते हैं।
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