आज कल पहाड़ो में असोज के काम अपने अंतिम चरण में है लगभग सभी घरों में विभिन्न प्रकार की दालें ( गहत ,भट्ट ,रेस, मास ) ,मड़ुआ ,झुंगर ,धान आदि इकठा कर लिया है। अब इसके बाद शुरू होता है बड़ी बनाने का सीजन बड़ी वैसे तो कई तरह से बनाये जाती है लेकिन पहाड़ो में विशेष रूप से पहाड़ी मूली और पहाड़ी ककड़ी में मास की दाल मिलाकर बड़िया बनाई जाती है। अपने लाजवाब स्वाद से ये बड़िया सभी को अपना दीवाना बना देती है। गाँव से दूर शहरों में जीवन व्यापन कर रहे लोगो के बीच इन बड़ियो की डिमांड काफी रहती है । बड़ियो को बनाने में लगभग एक हफ्ता पूरा लग जाता है। आइये जानते है इनको बनाने की विधि –
मूली व पहाड़ी ककड़ी से बड़ी बनाने की प्रक्रिया –
- सबसे पहले मूली या ककड़ी को कद्दूकस किया जाता है।
- कद्दूकस मूली या ककड़ी को निचोड़कर उसे सुखाया जाता है।
- मास की दाल उचित अनुपात में लेकर उसे सिलबट्टे या मिक्सर में पिसा जाता है।
- पिसी हुई दाल और सुखाई गयी कद्दूकस मूली या ककड़ी को मिक्स किया जाता है ।
- उसके बाद छोटी छोटी लोइया बनाकर टिन के ऊपर या लकड़ी पर ये डाली जाती है।
कुछ दिन व रात तक ये बड़िया बाहर ही सुखाई जाती है। रात की ओस व दिन की हल्की धुप से इनपर खमीर चढ़ जाता है । जिससे इनका स्वाद लजीज हो जाता है। सूखने के बाद ये बढ़िया स्टोर कर ली जाती है। जिसे अगले कुछ महीनो तक चावल के साथ बड़ी की सब्जी के रूप में उपयोग किया है।