पढ़ाई कैसे हो जब व्यवस्था है ही नहीं? कैसे पढ़ेंगे बच्चे?

by सुभाष चंद्र
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village school
कोराना काल में सबसे ज्यादा किसी को नुकसान हो रहा है तो वो बच्चों का, चंपावत जिले में हर समय नेटवर्क की परेशानी रहती है या बिजली सप्लाई की, चंपावत जिले में बनबसा, टनकपुर को छोड़ सारा जिला पहाड़ी क्षेत्र में आता है। मैदानी क्षेत्र में अध्यापक आनलाइन कक्षा ले रहे हैं इससे विद्यालय को फायदा हो रहा है या बच्चों को ये तो भविष्य की बात है, पर पहाड़ी क्षेत्रों में अभी तक राजकीय विद्यालय के बच्चों को किताबें नहीं मिल पाई, अधिकतर ऐसे परिवार हैं जिनके पास स्मार्ट फोन ही नहीं है,तो ये बच्चे क्या करेंगे? कुछ परिवार में फोन हैं भी तो पूरे परिवार का फोन एक ही है तो बच्चे कैसे काम करेंगे, अभिभावक यही कह रहे हैं कि ये आनलाइन शिक्षा हमें समझ में नहीं आई ना हम सपोर्ट करते हैं इस शिक्षा का उनका कहना है सरकार इसी प्रकार पढ़ाती है तो बच्चों के कक्षा के हिसाब से फोन, लैपटॉप उपलब्ध करवाये।

तब इसका असर दिखेगा तब भी ना अभिभावकों को लैपटॉप चलाना आता है ना स्मार्ट फोन, पहले सरकार इन उपकरणों का प्रयोग का तरीका बताते, सरकार के पास कोई योजना है ही नहीं सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की, मूलाकोट क्षेत्र के अभिभावक ने नाम नहीं उजागर करने को कहा है कि इस संकुल में 22 विद्यालय राजकीय वाले आते हैं और किसी का बच्चा नवोदय में नहीं निकलता वहीं एक विद्यालय प्राइवेट है उसके बच्चे लगातार, जवाहर, राजीव व सैनिक विद्यालय में जा रहे हैं, जब कि उस विद्यालय के पास संसाधन का अभाव है, तो राजकीय विद्यालय क्या कर रहे हैं ये सरकार की ही तो नाकामी कहीं जायेगी, तभी इतना करने के बाद राजकीय विद्यालय बंद होते जा रहे हैं।


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