मुक्तेश्वर : भीड़ और शोरगुल से दूर प्राकृतिक सुंदरता देखनी हो तो यहाँ आइए

by Popcorn Trip
754 views


Mukteshwar Nainital

एक ऐसा  स्थान जो जाना  जाता  है, अपनी प्राकृतिक खुबसुरती, असीम शान्ति, यहाँ मौजूद veterinary (पशुचिकित्सा) रिसर्च इंस्टिट्यूट, यहाँ के साफ़ और स्वच्छ वातावरण, पैनोरमिक हिमालया व्यू के साथ, सांसें थमा देने वाले वैली व्यू के दृश्य और अपनी सुरम्यता के लिए।

इस लेख विडियो को पूरा पढ़, आप जानेंगे कि – मुक्तेश्वर कहाँ हैं, यहाँ कैसे पहुचे, क्या देखें, कहाँ रुके और कब और क्यों आयें आदि की जानकारी। भीड़ और शोरगुल से दूर प्राकृतिक सुंदरता देखनी हो तो यहाँ आइए।

मुक्तेश्वर का परिचय

मुक्तेश्वर एक छोटा सा साफ़ सुथरा और शांत पहाड़ी क़स्बा है, जहाँ आपको असीम शांति, वन क्षेत्र, किसी भी अन्य हिमालयी इलाके की तरह ही सीधे व सरल ग्रामीण और शुद्ध हवा और असीम मानसिक शांति मिलती है। यह स्थान नैनीताल जिले में जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर की दुरी पर समुद्र तल से 2,171 मीटर (लगभग 7122.703 ft) की ऊंचाई पर स्थित एक अत्यंत खूबसूरत और शांत स्थान है। मुक्तेश्वर प्रसिद्ध है यहाँ से दिखने वाले हिमालय श्रंखला के बेजोड़ दृश्य, अपने शांत माहौल और शीत मौसम व स्वच्छ  वातावरण , बाज और देवदार के घने जंगल और यहाँ चौली की जाली नामक स्थान से दिखने वाले असीम व अद्भुत घाटी के दृश्य और मुक्तेश्वर महादेव मंदिर से श्रद्धालुओं को मिलती असीम उर्जा के लिए।

मुक्तेश्वर पहुचने के मार्ग में दिखने वाले दृश्य भी काफी खुबसूरत और लुभावने हैं। सफ़र करते हुए दिखने वाले आकर्षक दृश्यों की सुन्दरता आपका दिल जीत लेती है। मुक्तेश्वर नाम दो संस्कृत शब्द से निकला है “मुक्ति और ईश्वर”। यानी यहाँ आप सांसारिक आपधापी से दूर मुक्त हो स्वयं को इश्वर के करीब पाते हैं।

मुक्तेश्वर बाजार से जो हालाकिं ज्यादा बड़ी नहीं है पर दैनिक आवश्यकताओं का जरूरी सामान यहाँ मिल जाता है। डाक घर, टेलीफ़ोन एक्स्चेंज, जल व बिजली विभाग से जुड़े कार्यालय यहाँ मौजूद हैं।

मुक्तेश्वर देवदार, बांज, खरसु, काफल, मेहल आदि के सुंदर और घने आरक्षित वनों से घिरा है। इन पेड़ों के अलावा जंगली फल, जामुन (किलमोरा और हर्षु) भी यहाँ मौजूद हैं।

गर्मियों में यहां का अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 15 डिग्री और सर्दियों में अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम – 5 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। दिसम्बर-जनवरी में तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है और यहां बर्फबारी भी हो जाती है।

मुक्तेश्वर की दूरी निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम से 65 किलोमीटर, निकटतम एअरपोर्ट पंतनगर से 98 किलोमीटर , नैनीताल से ४७ किलोमीटर, हल्द्वानी से 72 किलोमीटर, अल्मोड़ा से 52 किलोमीटर, दिल्ली से लगभग 350 किलोमीटर, देहरादून से 330 किलोमीटर है।

मुक्तेश्वर के आकर्षण

मुक्तेश्वर देवदार, बांज, काफल, मेहल आदि के सुंदर और घने आरक्षित वनों से घिरा है। यहाँ भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान ~ IVRI (Indian Veterinary Research Institute)~ भी स्थित है, जहाँ जानवरों पर रिसर्च (खोज) की जाती है ये इंस्टिट्यूट 1893 में अंग्रेजों द्वारा यहाँ बनवाया गया था। साथ ही IVRI में एक म्यूजियम और लाइब्रेरी भी है जहाँ जानवरों पर रिसर्च से पुराने डॉक्यूमेंट और किताबें संभाली गयी हैं।

उत्तराखंड के विभिन्न पर्यटक स्थल और ट्रेकिंग मार्गों की जानकारी देते रोचक विडियो देखें ? http://www.youtube.com/popcorntrip  ?

मुक्तेश्वर महदेव मंदिर का अति प्राचीन मंदिर भी यहाँ आने वालों के लिए एक विशेष आकर्षण है। इस मंदिर में श्री मुक्तेश्वर महाराज जी, जो शीर्ष कुटीर मंदिर में रहते थे, की समाधि  भी स्थित है। सड़क से लगभग 600 – 700 मीटर चल कर मंदिर में पहुंचा जा सकता है। यहाँ आ कर श्रद्धालुओं को असीम शांति मिलती है। मुक्तेश्वर धाम एक प्राचीन शिवमंदिर है, जिसके नाम पर ही इस इलाके को मुक्तेश्वर कहा जाता है।

यहाँ से हिमालय और हरियाली भरी घाटियों का दृश्य बहुत खूबसूरत दिखाई पड़ता है। प्रातः जब सूर्य की किरने इन पर्वतों पर पड़ती हैं, और अँधेरे से परत देर परत हटाती है, तो हिमालय का मनोहारी दृश्य देख कर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। मुक्तेश्वर पहुँचने के मार्ग में दिखने वाले दृश्य भी काफी खुबसूरत और लुभावने हैं। सफ़र करते हुए दिखने वाले आकर्षक दृश्यों की सुन्दरता आपका दिल जीत लेती है।

फ़रवरी से मार्च के माह में यहाँ के घने जंगलों में हरे देवदार वृक्षों के बीच से जब बुरांश के फूल खिलते हैं तो इनका नजारा अद्भुत और दिल को लुभाने वाला होता है।

आस-पास – मुक्तेश्वर के आस-पास देखने के लिए ढेर सारी जगह हैं, जैसे रामगढ, भवाली, घोडाखाल मंदिर, देवीधुरा मंदिर आदि। यहां से अल्मोड़ा, बिनसर और नैनीताल पास ही हैं। अगर चाहें तो मुक्तेश्वर जाते हुए या मुक्तेश्वर से वापिस आते हुए भीमताल पर बोटिंग का आनंद लिया जा सकता है

मुक्तेश्वर में की जा सकने वाली गतिविधियां

ट्रैकिंग, reading, लेखन, बर्ड watching, photography आदि यहाँ पर्यटकों द्वारा की जाने वालीम कुछ  एक्टिविटीज है।

मुक्तेश्वर प्रसिद्ध है यहाँ से दिखने वाली विशाल हिमालय श्रंखला के दृश्य के लिए, अपने शांत माहौल और शीत मौसम के लिए, बाज और देवदार के घने जंगल और स्वच्छ मौसम के लिए। यहाँ चौली की जाली नामक स्थान से दिखने वाले असीम और अद्भुत घाटी के दृश्य के लिए, और मुक्तेश्वर महादेव मंदिर से श्रद्धालुओं को मिलती असीम उर्जा के लिए, ध्यान, योग, जंगल वाक, नेचर वाक, बर्ड watching, रीडिंग, राइटिंग, रॉक क्लाइम्बिंग, rappelling, jungle trekking, फोटोग्राफी  ईत्यादी यहाँ पर्यटकों द्वारा की जाने वाली कुछ गतिविधियों में से है।

कहाँ ठहरे

मुक्तेश्वर से लगभग ४ किलोमीटर पहले, भटेलिया से कुछ आगे बढ़ ही सड़क के दोनों ओर होटल , रिसोर्ट , रेस्टोरेंट , गेस्ट हाउस आपको मिलने शुरू हो जाते हैं। मुक्तेश्वर में आप को 500 -700 रुपये से लेकर 5000-6000 हजार तक के कमरे उपलब्ध हो जाते हैं, ये इस पर भी निर्भर करता है कि आप किस सीजन में मुक्तेश्वर आ रहे है जैसे गर्मियों में, त्योहारों और वीकेंड में आपको रूम रेंट में ज्यादा डिस्काउंट नहीं मिलेगा, वहीं अगर आप ऑफ सीजन जैसे बरसातों या सर्दियों में यहाँ आने का प्रोग्राम बनाते है तो काफी कम कीमत में आपको होटल के कमरे मिल जाते हैं। साथ ही यहा आपको होम स्टे के विकल्प भी मिल जाएंगे। यहाँ के होटल और अन्य पर्यटन से जुडी जानकारियां आप वेबसाइट www.NainitalOnline.com  द्वारा भी जान सकते हैं।

ये जान लीजिये कि, ऐसा तो हो ही नहीं सकता की यहाँ जो एक बार आये वो खुद से दुबारा यहाँ आने का वादा न करे। वैसे तो यहां साल में कभी भी जाया जा सकता है परंतु यहां जाने का उचित समय मार्च से जून और अक्टूबर से नवंबर तक है। अगर गर्मियों में यहां जाएं तो हल्के ऊनी कपड़े और सर्दियों में जाएं तो भारी ऊनी कपड़े साथ ले जाएं।

आशा है नैनीताल जिले में स्थित मुक्तेश्वर की जानकारी देता लेख आपको पसंद आया होगा। मुक्तेश्वर पर बना विडियो भी देखें ?

[ad id=’11174′]



Related Articles

Leave a Comment

-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.