उत्तराखंड राज्य की बात करें तो यह भारतवर्ष में मुख्यतः पर्यटन के लिए जाना जाता है। और पर्यटन की दृष्टि से देखें तो इसके नैनीताल जिले को उत्तराखंड राज्य का दिल कहा जा सकता है। नैनीताल झील तो विश्व भर में इसकी अलौकिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। सिर्फ नैनीताल झील ही नहीं इसकी कई अन्य झीलें प्राकृतिक सुंदरता तथा कई सारे हिल स्टेशन उत्तराखंड राज्य की पहचान को बढ़ाते हैं।
मुक्तेश्वर भी एक ऐसा ही हिल स्टेशन है, जो नैनीताल जिले में स्थित है। यहां की ठंड, बर्फ तथा प्राकृतिक दृश्य पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते आए हैं । यह समुद्र तल से 7500 फ़ीट (2170 meter )की ऊंचाई पर स्थित है।
उत्तराखंड के उभरते हुए शहर हल्द्वानी से यह लगभग 75 किलोमीटर तथा अल्मोड़ा शहर से यह 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । ठंड के मौसम में यहां बेशुमार बर्फ गिरती है, जो कि सैलानियों को बहुत अधिक लुभाती है। अधिक ऊंचाई पर होने के कारण यहां से अत्यंत लुभावने दृश्य दिखाई पड़ते हैं।
इतिहास की बात करें तो मुक्तेश्वर अंग्रेजों के शासनकाल में ही बहुत अधिक लोकप्रिय हो चुका था बड़े-बड़े अंग्रेजी हुकुमरानो के निवास यही थे अल्मोड़ा तथा हल्द्वानी को जोड़ने वाले पैदल रास्ते के बीच मैं होने पर होने के कारण यहां पर यात्रियों का आना जाना लगा रहता था ।
महान पर्यावरणविद रहे सर रोबर्ट कॉर्बेट के द्वारा लिखी गई पुस्तक ” The tample tiger ?”मैं उन्होंने मुक्तेश्वर का जिक्र करते हुए लिखा कि यह शेरों की नगरी है ।
यहां पर Indian Veterinary Research Institute का कार्यालय भी उपस्थित है जोकि लगभग एक शताब्दी पहले यहां बनाया गया था। आसपास में घना जंगल होने के कारण यहां पर अत्याधिक मात्रा में जानवर भी पाए जाते हैं जिनमें प्रमुख हैं तेंदुआ, भालू , घुरड़, तथा हिरन।
मुक्तेश्वर में शिव जी का एक प्राचीन मंदिर भी उपस्थित है मान्यता है कि यहां की जाने वाली हर प्रार्थना सफल होती है बाबा मुक्तेश्वर यहां तपस्या किया करते थे ।
यहां से कुछ ही दूरी पर स्थित है भालूगाड़ जलप्रपात जोकि यहां की सुंदरता में चार चांद लगाता है अब मुक्तेश्वर के नजारे की बात करें तो यहां की चौली की जाली विश्व प्रसिद्ध है, जहां से आसपास के गांवों तथा अल्मोड़ा शहर का अलौकिक दृश्य दिखता है एवं सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय यहां से एक सुंदर दृश्य दिखाई पड़ता है।
चौली की जाली पहाड़ों का एक समूह है जो काफी ऊंचाई पर स्थित है। इन पहाड़ियों में एक पत्थर ऐसा भी है जिसमें एक छिद्र है मान्यता है कि जिस किसी महिला का गर्भधारण नहीं हो पा रहा है उसके इस छिद्र को पार करने पर इस समस्या से छुटकारा मिलता है।
कई सारे रिजॉर्ट, होमस्टे, होटल्स और रेस्टोरेंट्स यहां पर कुमाऊनी भोजन का लुफ्त उठाने के लिए खोले गए हैं। जिनमें सैलानियों को विभिन्न प्रकार का लोकल भोजन उपलब्ध कराया जाता है।
राजमार्गों से पूर्णतया जुड़ा हुआ मुक्तेश्वर सैलानियों की पहली पसंद बना हुआ है।
अगर आप भी एक शांत वातावरण में कुछ समय गुजारना चाहते हैं तो मुक्तेश्वर आना ना भूलें।
धन्यवाद
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